कर्नाटक (Karnataka) में मंदिरों में चल रहे विकास के कामों (Temples Development) को रोकने के एक आदेश पर तेज हुए विवाद को देखते हुए कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने तत्काल डैमेज कंट्रोल किया. राज्य के मुजराई विभाग (Muzrai Department) ने उस विवादास्पद सर्कुलर को वापस ले लिया. जिसमें अगली सूचना तक मंदिरों में सभी विकास कामों को पूरी तरह से रोकने के लिए कहा गया था. प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की धमकी दी और हिंदू संगठनों ने इस सर्कुलर को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया. जबकि मुजराई मंत्री आर रामलिंगा रेड्डी ने साफ किया कि सरकार का कभी भी मंदिरों में विकास कार्य रोकने का इरादा नहीं था. उसने केवल चल रहे काम पर एक स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा था.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के मुजराई मंत्री ने पिछली भाजपा सरकार के तहत हर मंदिर के लिए मंजूर किए गए धन की मात्रा, अब तक जारी धन की राशि और परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति पर मुजराई विभाग से 30 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. 14 अगस्त को मुजराई विभाग ने एक आदेश जारी कर विभाग के सभी उपायुक्तों और जिला अधिकारियों को सरकार के दायरे में आने वाले मंदिरों में चल रहे विकास कार्यों को रोकने के लिए कहा. इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मुजराई मंत्री रेड्डी ने कहा कि ‘आदेश वापस ले लिया गया है. हम केवल नवीकरण कार्य के लिए आवंटित किए जा रहे धन की स्थिति देख रहे थे. मंदिर परिसर में चल रहे काम को रोकने का हमारा कोई इरादा नहीं था.’
जबकि मुजराई विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्री की स्टेटस रिपोर्ट की मांग की गलत व्याख्या के कारण मंदिरों में सभी विकास कार्य रुक गए. वहीं भाजपा और हिंदू संगठनों ने सरकार पर ‘आस्था के साथ राजनीति खेलने’ का आरोप लगाया. बेलगावी में मुजराई विभाग की पूर्व मंत्री शशिकला जोले ने सरकार की कार्रवाई पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनके समय में मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए धन की पहली किस्त जारी की गई थी. लेकिन मई में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मार्च में लागू हुई आदर्श आचार संहिता के कारण दूसरी किस्त जारी नहीं की जा सकी थी.
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