प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने ब्रिक्स की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि इस सगंठन ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं और लोगों के जीवन में साकारात्मक बदलाव लाते हुए उसे बेहतर बना रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के खुले पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘ब्रिक्स को भविष्य के लिए तैयार संगठन बनाने के लिए, हमें अपने संबंधित समाजों को भी भविष्य के लिए तैयार करना होगा और प्रौद्योगिकी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.’ प्रधानमंत्री मोदी ने यहां कहा, ‘लगभग दो दशकों में, ब्रिक्स ने एक लंबी और शानदार यात्रा की है. इस यात्रा में, हमने कई उपलब्धियां हासिल कीं…’
वहीं जोहान्सबर्ग से भारत के संबंधों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘जोहान्सबर्ग जैसे खूबसूरत शहर में एक बार फिर से आना मेरे और मेरे प्रतिनिधिमंडल के लिए खुशी की बात है. इस शहर का भारतीयों और भारतीय इतिहास से गहरा और पुराना रिश्ता रहा है. यहां से कुछ दूरी पर टॉल्स्टॉय फार्म स्थित है, जिसका महात्मा गांधी ने 110 वर्ष पूर्व निर्माण करवाया था. महात्मा गांधी ने भारत, यूरेशिया और अफ्रीका के महान विचारों को जोड़कर हमारी एकता और सद्भाव की मजबूत नींव रखी.’
पीएम मोदी ने इसके साथ ही कहा, ‘हम दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में ब्रिक्स में वैश्विक दक्षिण के देशों को विशेष महत्व देने के कदम का स्वागत करते हैं. भारत ने भी G20 की अध्यक्षता में इस विषय को महत्व दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘भारत ब्रिक्स के विस्तार का पूरा समर्थन करता है, हम इस पर आम सहमति के साथ आगे बढ़ने का स्वागत करते हैं.’
ब्रिक्स के पूर्ण सत्र में पीएम मोदी ने कुछ अहम प्रस्ताव पेश किए, जिसमें अंतरिक्ष अन्वेषण संघ स्थापित करना, शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग, स्किल मैपिंग में सहयोग बढ़ाना, अंतरराष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन के तहत ‘बड़ी बिल्लियों’ पर सहयोग तथा भंडार बनाकर पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल था.
ब्रिक्स के विस्तार को लेकर पीएम मोदी का यह बयान इसलिए भी खासी अहमीयत रखता है, क्योंकि ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अर्जेंटीना, अल्जीरिया, बोलीविया, इंडोनेशिया, मिस्र, इथियोपिया, क्यूबा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कोमोरोस, गैबॉन और कजाकिस्तान सहित 40 से अधिक देश इस मंच से जुड़ने के इच्छुक रहे हैं.
ये सारे देश ब्रिक्स को पारंपरिक पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले वैश्विक निकायों के विकल्प के रूप में देखते हैं. इन देशों का मानना है कि ब्रिक्स से जुड़ने पर उन्हें ना केवल आर्थिक लाभ मिलेंगे, बल्कि पश्चिम के अमीर देशों के वर्चस्व से मुकाबले में भी मदद मिलेगी.
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