राजद के राज्य सभा सांसद मनोज झा द्वारा कथित तौर पर ‘ठाकुरों के अपमान’ का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बिहार में इसको लेकर एक ओर राजनीति जहां गर्म हो गई है. जदयू की ओर से जहां इसको लेकर आपत्ति जताई गई है, वहीं अब बीजेपी के एक विधायक ने भी राजद सांसद पर हमला बोला है. साफ है कि ‘राजपूत सम्मान’ के इस मुद्दे पर जदयू और भाजपा के सुर मिल रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर महिला आरक्षण पर बहस के दौरान मनोज झा के संसद में दिए गए भाषण को RJD ने शानदार और जानदार बताकर बिहार की राजनीति में नया ट्विस्ट ला दिया है.
राजद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर संसद में मनोज झा के भाषण को ट्वीट कर दमदार, शानदार और जानदार बताया गया है. बता दें कि उनके जिस भाषण पर आरजेडी के एमएलए चेतन आनंद ने सवाल उठाया था उसी भाषण को आरजेडी ने बेहतर बताया है. इससे लगता है कि राजद के भीतर इस विवादित प्रकरण में लालू यादव की पार्टी आरजेडी सांसद मनोज झा के साथ खड़ी है.
बता दें कि इस मुद्दे पर जदयू के प्रवक्ता सुनील सिंह ने सांसद मनोज झा पर बड़ा हमला बोलते हुए इसे शर्मनाक और निंदनीय बताया और मनोज झा से माफी की मांग की है. जदयू प्रवक्ता ने कहा, मनोज झा का राजपूतों के लिए बयान शर्मनाक और निंदनीय है और मनोज झा को अपने बयान के माफी मांगनी चाहिए. अगर वह माफी नहीं मांगते हैं तो राजद आलाकमान कारवाई करे. जदयू प्रवक्ता ने कहा, प्रोफेसर हैं तो इतिहास में ठाकुरों के योगदान भी याद रखना चाहिए. कई लेखकों ने लिखा है मैथिल ब्राह्मण और सांप दिखे तो पहले मैथिल ब्राह्मण को मारें. कोई अगर इसे कहे तो क्या समाज साथ देगा?
इस बीच भाजपा के विधायक ने राजद सांसद पर हमला बोलते हुए कहा कि मेरे सामने बोलते तो उनको पटककर मुंह तोड़ देता. इस देश की रक्षा ठाकुरों ने की है, अगर ठाकुर न होते तो हिंदुस्तान का नाम मुगलिस्तान होता. मनोज झा ने यह क्यों नहीं कहा कि अपने अंदर के रावण को मारो. दरअसलस, यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद ने मनोज झा के भाषण पर आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया. इस पर बवाल मचने के बाद चेतन आनंद ने एक और वीडियो संदेश जारी किया जिसमें मनोज झा के भाषण पर फिर आपत्ति जताई.
बता दें कि महिला आरक्षण बिल पर सदन में अपनी बात रखते हुए आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा था कि इस बिल को दया भाव की तरह पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि दया कभी अधिकार की श्रेणी में नहीं आ सकता है. आखिरी में उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता पढ़कर अंदर के ठाकुरों को मारने का आह्वान किया था.
“चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का. भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का. बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी, फसल ठाकुर की. कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के, गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या?” मनोज झा के इसी बयान पर ब चेतन आनंद ने फेसबुक पोस्ट कर उनके विचारों का विरोध किया है.
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