कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजस्थान में लगभग 50 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएं. हालांकि, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसका ये कहकर विरोध कर रहे हैं कि जो विधायक सरकार बचाने में उनके साथ खड़े रहे, उनके टिकट नहीं काटने चाहिए. ऐसे में गहलोत और कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर आमने-सामने हैं.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलू की टीम ने अपने सर्वे के बाद पार्टी आलाकमान को बताया है कि राज्य में तमाम विधायकों और कई मंत्रियों के खिलाफ बेहद सत्ता विरोधी लहर है. लिहाजा, तकरीबन 50 फीसदी सिटिंग विधायकों के टिकट बदलकर किसी अन्य को दिया जाना चाहिए.
वहीं सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि सचिन पायलट और राजेंद्र गुढ़ा की नाराज़गी के संकट के समय भी जिन 121 विधायकों ने हमेशा उनका साथ दिया, उनको नुकसान नहीं होना चाहिए. यही वजह है कि कोनूगोलू की रिपोर्ट ने गहलोत की टेंशन बढ़ा रखी है.
गहलोत का मानना है कि उनके समर्थक 121 विधायकों ने न सिर्फ राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया, बल्कि वे सभी उनके पीछे चट्टान की तरह हर मुश्किल वक्त में खड़े रहे. इनमें बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक भी हैं. यानी गहलोत चाहते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर टिकट न काटे जाए और अगर टिकत काटने ही हैं, तो बगावत करने वालों के ज़्यादा काटे जाएं न की पार्टी के साथ खड़े रहने वालों के. सितंबर में कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने का ऐलान किया था, लेकिन इन्हीं वजहों से मामला फंसा हुआ है.
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय और अरुण गोयल ने 29 सितंबर को जयपुर में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विधानसभा चुनाव-2023 की तैयारियों का जायजा लिया था और अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा भी की.
राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त, आयुक्त व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी.
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