निपाह वायरस का ‘बांग्लादेश वेरिएंट’ केरल के कोझिकोड जिले में तेजी से फैल रहा है. बुधवार को इस वायरस का पांचवां मामला रिपोर्ट किया गया, जिसके बाद कोझिकोड जिले में सभी शिक्षा संस्थानों को अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. ताजा मामले में यहां एक स्वास्थ्यकर्मी का परीक्षण पॉजिटिव आया है. उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा संक्रमित लोगों के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आज उपलब्ध करा दी जाएगी.
कोझिकोड जिले में छुट्टी की घोषणा कलेक्टर ए गीता ने की. एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा कि अगले दो दिन स्कूल बंद रहेंगे. शैक्षणिक संस्थान छात्रों के लिए दो दिनों में ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था कर सकते हैं. हालांकि, विश्वविद्यालय परीक्षा कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं होगा. मौजूदा वक्त में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ही निपाह वायरस संक्रमण का एकमात्र इलाज उपलब्ध है. हालांकि यह अभी तक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध नहीं हो पाया है.
निपाह वायरस की चपेट में पहले आया नौ साल का बच्चा काफी गंभीर स्थिति में है. द हिंदू अखबार की रिपोर्ट में बताया गया कि उसके संपर्क में आए 60 लोगों का पता लगा लिया गया है. इसी तर्ज पर कोझिकोड के मारुथोंकारा के एक 47 वर्षीय व्यक्ति के 371 संपर्क चिकित्सा निगरानी में हैं. केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि लड़का कोझिकोड के एक अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है. “हमने ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) के साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का ऑर्डर दिया है और इसे जल्द ही कोझिकोड लाया जाएगा. आयात की गई ये दवा आईसीएमआर के पास पहले से ही उपलब्ध है.”
यहां ये सवाल उठता है कि आखिर निपाह या फिर कोरोना के शुरुआती मामले भारत में केरल राज्य से ही क्यों शुरु हुए? एम्स दिल्ली में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ संजय राय के मुताबिक केरल में एक तरफ जंगल है, तो दूसरी ओर समुद्र. दोनों में तरह-तरह के जानवर होते हैं. इनके सम्पर्क में आने से बीमारी फैलने की संभावना अधिक होती है. केरल में हर घर में जानवर पालने की भी प्रथा है. दक्षिण अफ्रीका की भी यही स्थिति है. वहां भी आए दिन इसी तर्ज पर नई बीमारी का पता चलता रहता है.
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