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डॉक्‍टरी व इंजीनियरिंग की पढ़ाई, UN में भी प्रयोग…मोदी सरकार ने हिन्‍दी भाषा के लिए क्‍या कुछ किया?

आज 14 सितंबर है. इस दिन को दुनिया भर में हिन्‍दी दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत के एक बड़े हिस्‍से में हिन्‍दी भाषा का प्रयोग होता है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में करीब 60 करोड़ लोगा हिन्दी भाषा बोलते हैं. साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्‍ता में आने के बाद सरकारी कामकाज में भी हिन्‍दी भाषा का प्रयोग बढ़ा है. ऐसे में यह वक्‍त है जानने का कि पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान हिन्‍दी भाषा को कितनी तवज्‍जों मिली है. सरकार हिन्‍दी भाषा के प्रयोग को बढ़ाने के लिए क्‍या कदम उठा रही है.

पीएम मोदी की सरकार की नई शिक्षा नीति में हिन्‍दी भाषा के प्रयोग पर काफी जोर दिया गया है. इस नीति में तीन भाषाओं का फॉर्मूले दिया गया है, जिसमें अंग्रेजी के अलावा दो भारतीय भाषाओं को स्‍थान दिया गया है. अबतक गैर-हिन्‍दी भाषी राज्‍यों में स्‍थानीय भाषा के अलावा केवल अंग्रेजी को तवज्‍जो दी जाती थी. नई शिक्षा नीति में तीसरी भाषा के तौर पर हिन्‍दी को अनिवार्य कर दिया गया है. केंद्र सरकार की तरफ से इसी साल यह भी बताया गया कि अब देश में ऐसी व्‍यवस्‍था की जा रही है जिसके तहत हिन्‍दी भाषा में भी इंजीनियरिंग और डॉक्‍टरी की पढ़ाई की जा सकेगी.

पीएम मोदी के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट में अदालती आदेश अब हिन्‍दी भाषा में उपलब्‍ध कराए जा रहे है. लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने ऐसा करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को धन्‍यवाद भी किया था. इसके बाद सीजेआई ने बार काउंसिल के एक समारोह के दौरान बताया था कि आगे आने वाले वक्‍त में बड़ी संख्‍या में हिन्‍दी में आदेश की कॉपी उपलब्‍ध होनी शुरू हो जाएगी.

केंद्रीय ग्रह मंत्रालय हर साल राजभाषा विभाग को हिन्‍दी को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये का बजट देता है. पिछली सरकारों के दौर में सरकारी कामकाज के दौरान अंग्रेजी भाषा का ज्‍यादा प्रयोग होता था. पीएम मोदी अपने सभी सार्वजनिक आयोजनों के दौरान हिन्‍दी भाषा का प्रयोग करते हैं. वो खुले तौर पर हिन्‍दी को बढ़ावा देने पर जोर भी देते हैं.

भारतीय मूल के लोग दुनिया भर में फैले हुए हैं. हिन्‍दी को बोलने और समझने वालों की तादाद दुनिया के हर हिस्‍से में हैं. पीएम मोदी भी अमूमन यूनाइटेड नेशन में अपने भाषणों के दौरान हिन्‍दी भाषा का प्रयोग करते नजर आते हैं. पीएम ने यूएन में हिन्‍दी को आधिकरिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके लिए सरकार ने 400 करोड़ रुपये तक खर्च किए.

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