चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को एक वकील के ईमेल पर कड़ी आपत्ति जाहिर की और फटकार लगाई. वकील एक मामले में पेश होने सीजेआई की कोर्ट में पहुंचे थे. सुनवाई के बाद जब कोर्ट से जाने लगे तो चीफ जस्टिस ने उनके ई-मेल का जिक्र करते हुए टोक दिया. एडवोकेट मैथ्यूज जे. नेदुमपारा (Mathews J. Nedumpara) ने CJI को एक ईमेल कर संवैधानिक पीठ यानी कांस्टीट्यूशन बेंच के मामलों को ‘बेकार’ का बताया था और कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान पीठ के मसलों की जगह साधारण मामलों को तरजीह देनी चाहिए.
15 सितंबर को जब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई तो एडवोकेट नेदुमपारा, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने एक मामले में पेश हुए. सुनवाई पूरी होने के बाद एडवोकेट कोर्ट रूम से निकलने लगे. इसी दरम्यान चीफ जस्टिस ने उन्हें टोक दिया.
Live Law की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई ने कहा, ”मिस्टर नेदुमपारा, मेरे सेक्रेटरी जनरल ने आपका वो शिकायती ईमेल दिखाया, जिसमें आपने कहा था कि संविधान पीठ के मामले नहीं सुनने चाहिए, क्योंकि यह बेकार के मामले होते हैं. इसपर एडवोकेट ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, ‘बिल्कुल, सुप्रीम कोर्ट को साधारण आदमी के केसेस को तरजीह देना चाहिए’।
आपको समझ ही नहीं… इसपर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने जवाब देते हुए कहा, ‘मैं सिर्फ और सिर्फ आपको इतना बताना चाहता हूं कि आपको संविधान पीठ के मामलों की समझ ही नहीं है. मुझे नहीं लगता है कि आपको पता भी है कि संविधान पीठ क्या करती है’. चीफ जस्टिस यहीं नहीं रुके. उन्होंने संविधान पीठ से जुड़े मामलों पर रोशनी डालते हुए कहा कि ‘कई केसेज इतने पेचीदा होते हैं, जिसमें संविधान की व्याख्या करने की जरूरत होती है.’
CJI चंद्रचूड़ ने आगे सवाल किया, ‘क्या आपको लगता है कि आर्टिकल 370 का केस बेकार है? मुझे तो नहीं लगता है कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं या केंद्र सरकार की भी यही राय है…’
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