प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा को बौद्धिकता का केंद्र बताते हुए कहा कि नया संसद भवन मात्र एक नई बिल्डिंग नहीं है, बल्कि ये एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है. उन्होंने कहा, “हमारे संविधान में राज्यसभा की परिकल्पना उच्च सदन के रूप में की गई है. संविधान निर्माताओं का ये आशय रहा है कि ये सदन राजनीतिक आपाधापी से ऊपर उठकर गंभीर बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र बने.”
पीएम मोदी ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अमृतकाल की शुरुआत में ही इस भवन का निर्माण और यहां हम सबका प्रवेश अपने आप में देश के 140 करोड़ नागरिकों की आशा, आकांक्षाओं में नई ऊर्जा और नया विश्वास पैदा करेगा. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में कौन शासन में आएगा और कौन नहीं आएगा ये क्रम चलता रहता है, लेकिन जब भी देश के लिए विषय सामने आए, तो हम सबने राजनीति से ऊपर उठकर देश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करने का प्रयास किया है.”
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “राज्यसभा से देश को बड़ी उम्मीद है. उच्च सदन में देश को दिशा देने की ताकत है. हमारे फैसलों में देश पहले हो.” उन्होंने कहा कि हमें तय समय में लक्ष्य हासिल करना है.
नए संसद भवन के राज्यसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन यादगार भी है और ऐतिहासिक भी है. उन्होंने कहा, “राज्यसभा में हमारे पास बहुमत नहीं था, लेकिन हमें भरोसा था कि राज्यसभा राजनीतिक सोच से ऊपर उठकर देशहित में फैसले लेगी. आपकी (सांसदों) परिपक्वता के कारण हम कठिन निर्णय लेने में सक्षम हुए… आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करना हमारा दायित्व है. इसमें दल आड़े नहीं आते, सिर्फ दिल चाहिए, देश के लिए चाहिए.”
पीएम मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक पर भी बात की. उन्होंने कहा, “आज नया संसद भवन देश के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले का साक्षी बन रहा है. अभी लोकसभा में एक बिल पेश किया गया है. जो वहां पारित होने के बाद यहां भी आएगा.” पीएम ने कहा, “नारीशक्ति के सशक्तिकरण की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हम सब आज मिलकर उठाने जा रहे हैं. इसके लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम संविधान संशोधन के रूप में सरकार लोकसभा में लेकर आई है. बुधवार को लोकसभा में इसपर चर्चा होगी और उसके बाद वह राज्यसभा में आएगा.”
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