देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि हाशिए पर मौजूद सामाजिक वर्गों के खिलाफ हुईं ऐतिहासिक गलतियों को कायम रखने में, दुर्भाग्य से कानून व्यवस्था ने भी अहम भूमिका निभाई है। रविवार को अमेरिका में मैसाच्युसेट्स की ब्रांडेस यूनिवर्सिटी में 'डॉ. बीआर अंबेडकर की अधूरी विरासत' पर छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने ये बात कही।
अपने संबोधन में भारत के चीफ जस्टिस ने कहा कि 'इतिहास में हाशिए पर छूटे सामाजिक वर्गों को खिलाफ सामाजिक असमानता, पूर्वाग्रह और शक्ति के असंतुलन के चलते कई ऐतिहासिक गलतियां हुईं। इनमें ट्रांस अटलांटिक व्यापार के तहत लाखों अफ्रीकी नागरिकों को जबरन गुलाम बनाना और उनका विस्थापन, मूल अमेरिकियों का विस्थापन, भारत में जातीय भेदभाव से करोड़ों लोग प्रभावित हुए और आदिवासी समुदायों का शोषण, महिलाओं का शोषण, एलजीबीटीक्यू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का शोषण जैसी घटनाओं से इतिहास दागदार है।' ऐसी सामाजिक व्यवस्था बनाई गई, जिसमें हाशिये पर मौजूद वर्गों को उभरने की इजाजत नहीं थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारी कानून व्यवस्था ने भी इसे बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई। जैसे अमेरिका और भारत के कुछ हिस्सों में गुलामी व्यवस्था को कानूनी तौर पर मान्यता दी गई। अमेरिका में भेदभाव वाले कानून बनाए गए। जिम क्रो कानूनों के जरिए मूल लोगों को निशाना बनाया गया और कानूनी व्यवस्था को सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों पर अत्याचार के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया। अमेरिका और भारत में शोषित वर्ग को लंबे समय तक मतदान के अधिकार से वंचित रखा गया। इस तरह कानून को भेदभाव वाली व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया गया।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज ये भेदभाव वाले कानून नहीं हैं लेकिन इसका प्रभाव कई पीढ़ियों तक रहेगा। भारत में आजादी के बाद कई अहम कदम उठाए गए, जिससे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को ऐसे मौके मिले, जिनसे उन्हें रोजगार, पढ़ाई में प्रतिनिधित्व मिला।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.