सपा-कांग्रेस गठबंधन पर एमपी में हुए विवाद ने यूपी की राजनीति पर भी गहरा असर डाला है. कांग्रेस के वादों से असमंजस में रही सपा को रणनीतिक तौर पर बड़ा झटका लगा है. एक तरफ जहां गठबंधन की आस में मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी को समय पर सटीक चुनावी रणनीति जमीन पर उतारने में देरी हुई, वहीं पार्टी के उत्तर प्रदेश संगठन के भी चुनावी कार्यक्रम प्रभावित हुए. खासकर, एमपी चुनाव में उलझी सपा नवरात्रि पर्व पर अपने लोकसभा प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी.
दरअसल, समाजवादी पार्टी ने नेताओं का प्लान था कि वह 2024 का चुनावी बिगुल नवरात्रि के शुभदिनों से बजाएंगे. इसके लिए राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 10 से 15 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा करना भी शामिल था. ये वीआईपी सीटें थीं, जो कि सैफई परिवार समेत पार्टी के रणनीतिक लिहाज से प्रमुख थीं. पहले इन सीटों पर घोषणा का उद्देश्य चुनावी तैयारियों को अभी से अंजाम देना था. मगर, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन विवाद में लोकसभा प्रत्याशी घोषित करने का मामला अटक गया.
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा मध्य प्रदेश चुनाव और वहां बदली राजनीतिक परिस्थिति की वजह से नवरात्रि में लोकसभा प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल नहीं हो सकी. इस वजह से घोषित नहीं हो सकी. लिहाजा, इसी माह प्रत्याशियों के नामों पर फिर से विचार किया जाएगा और नवम्बर में पहली लिस्ट जारी कर दी जाएगी.
कांग्रेस और सपा के बीच मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं हो सका. दरअसल, कांग्रेस के नेतृत्व और सपा मुखिया के बीच फोन पर वार्ता होने के बाद समर्थकों में गठबंधन की उम्मीद जगी थी, लेकिन यह उम्मीद तब धराशाई हो गई. जब सपा ने अपने उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट और जारी कर दी. ऐसे में दोनों दलों के गठबंधन न होने की स्थिति अब विधानसभा चुनाव में साफ हो गई है. लिहाजा सपा अपनी दम पर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. सपा के अब तक 36 उम्मीदवारों के नाम घोषित हो चुके हैं. समाजवादी पार्टी 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
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