मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव का इंडिया गठबंधन पर ये असर हुआ कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में फूट पड़ गई. विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन इन दिनों खामोश है. बीते 13 सितंबर को शरद पवार के घर हुई बैठक के बाद कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई. इसके पीछे वजह 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं. इस गठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इंडिया गठबंधन का गठन मूलरूप से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हुआ है. इसके लिए कांग्रेस ने रणनीति तैयार की है.
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में विपक्षी दलों का गठबंधन मुश्किल है. इसके तहत कांग्रेस ने अलग रणनीति तैयार की है. बता दें कि मिजोरम को छोड़कर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है. वहीं तेलंगाना में भी कांग्रेस ही केसीआर से मुकाबला कर रही है. कांग्रेस इनमें से किसी राज्य में सहयोगियों को समझौते और गठबंधन धर्म के आधार पर सीट देकर खुद को कमजोर नहीं करना चाहती. कांग्रेस हर सीट पर खुद चुनाव लड़कर सरकार बनाने की तैयारी में है. यही वजह है कि वो आप, सपा या लेफ्ट सहित अन्य दलों के लिए सीट छोड़ने को राजी नहीं है.
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सहित मिजोरम में भी आप, सपा और ने सहयोगी दलों ने उम्मीदवार घोषित किए हैं. कांग्रेस से उनका समझौता फिलहाल नहीं हो सका है. कभी अखिलेश नाराज होते हैं तो कभी अरविंद केजरीवाल. अब सवाल ये है कि कांग्रेस सहयोगी दलों की नाराजगी की कीमत पर भी उनसे समझौता क्यों नहीं करना चाहती. वहीं सहयोगी दल विधानसभा चुनाव से पहले ही लोकसभा चुनाव की बात क्यों कर रहे हैं?
कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन अच्छा होगा. वो मजबूत होकर उभरेगी तो लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे में सहयोगी दलों के दबाव में आने की बजाए उनको दबाव में लेकर ज्यादा सीटें हासिल कर सकती है. यूपी में जब विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस मजबूत बनकर उभरेगी तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस को दो दर्जन के आस पास सीटें भी देने को मजबूर हो जाएंगे. इसके नीचे वजह मुस्लिम वोटर भी हैं जिनका लोकसभा में रुझान 2009 की तर्ज पर कांग्रेस के साथ हो सकता है. बिना मुस्लिम वोटर सपा की ताकत सिर्फ यादव वोट बैंक के सहारे काफी घट जाएगी.
इसी तरह कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब में भी आप से डील करना चाहती है. हालांकि पंजाब के कांग्रेस नेता तो केजरीवाल के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं. चुनावी राज्यों में इसलिए ही कांग्रेस समझौता नहीं कर रही. बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यदि आपकी जेब में सिक्का खनकेगा तभी कोई आपसे व्यापार करेगा. इसका मतलब जब आपके पास वोट बैंक होगा. राज्यों में सरकार होगी, पार्टी का जनाधार बढ़ेगा. तभी सहयोगी इज्जत से बराबरी पर बात करेंगे.
सहयोगी चाहते हैं कि बातचीत अभी हो, जिससे कांग्रेस को ज्यादा दबाया जा सके. राज्यों में भी सीट इसलिए मांगी जा रही है ताकि कुछ सफलता पाकर कांग्रेस को तर्क दिया जा सके और ज्यादा सीटें मांगना जायज ठहराया जा सके. फिलहाल राजस्थान में लेफ्ट और जयंत चौधरी के साथ गहलोत बात कर रहे हैं और दिग्विजय सिंह सपा से मध्य प्रदेश चुनाव के लिए बात कर रहे हैं. हालांकि बात अब तक बनी नहीं है. जेडीयू ने भी चुनावी राज्यों में अपने उम्मीदवार कुछ सीटों पर उतार दिए हैं.
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