Ex Police Officer to join BJP : राजस्थान की पॉलिटिक्स में अब एक और 'नॉन पोलिटिकल' शख्सियत की एंट्री होने जा रही है। पुलिस सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे एक ऑफिसर आज जयपुर में भाजपा का दामन थामकर अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं।
जयपुर के पहले पुलिस कमिश्नर रहे भगवान लाल सोनी की आखिरकार सक्रिय राजनीति में एंट्री होने जा रही है। वे आज जयपुर स्थित भाजपा मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेंगे। जानकारी के अनुसार प्रदेश भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति के नारायण पंचारिया और जॉइनिंग कमेटी के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी की मौजूदगी में बीएल सोनी को आज पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा।
पहले ही मिल गए थे संकेत
पूर्व पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी के भाजपा में शामिल होने के संकेत कुछ दिनों पहले ही मिलने लग गए थे। दरअसल, राजनीतिक हलचलों में उनकी दिलचस्पी और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार विरोधी बयानों के चलते उनके जल्द ही भाजपा में शामिल होने की अटकलें और चर्चाएं होना शुरू हो गई थीं। आखिरकार आज वे भाजपा का दामन थामने जा रहे हैं।
पहले पुलिस कमिश्नर, फिर एसीबी में सेवाएं
बीएल सोनी ने अपने पुलिस सेवा काल में अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। राजधानी जयपुर में व्यवस्था लागू होने के बाद पहले कमिश्नर का ज़िम्मा संभालने वाले बीएल सोनी ही थे। इसके बाद उन्होंने राजस्थान पुलिस अकादमी में निदेशक और फिर राजस्थान एन्टी करप्शन ब्यूरो में महानिदेशक जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां संभाली। सेवाकाल के दौरान कार्य कुशलता के चलते उनके कई पुलिस पदकों और अन्य सम्मानों से भी नवाज़ा गया।
गहलोत सरकार पर रहे हमलावर
पुलिस सेवा से रिटायरमेंट के बाद बीएल सोनी पिछले कुछ दिनों से पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के खिलाफ बयानबाज़ी को लेकर चर्चा में रहे। उनका एक ऑडियो-वीडियो साक्षात्कार भी हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वे पूर्व सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार की कार्यशैली पर कई संगीन आरोप लगाते दिख दे रहे हैं।
ये लगाए थे पूर्व सरकार पर आरोप--
- ''पिछले 5 साल में करीब सारे पेपर लीक हुए विभिन्न बोर्ड में और लोक सेवा आयोग में सदस्य और उनके अधिकारी बार-बार पकड़े गए, लेकिन उन इन्वेस्टिगेशन को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।''
- ''एक राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति 8 लाख रुपए की रिश्वतखोरी में पकड़ा गया, जिसके मोबाइल में सदस्यों से हो रही संदिग्ध चैटिंग से भर्ती में घपले का सुराग मिल सकता था, और तो और उसके मोबाइल में ओएमआर शीट तक मिली थी, लेकिन उन इन्वेस्टिगेशन को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।''
- ''पेपर लीक प्रकरणों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार में मीटिंग ही नहीं होती थी। गृह मंत्री का चार्ज मुख्यमंत्री जी के पास था और उनका ज्यादातर समय नहीं मिलता था। वह मीटिंग करते नहीं थे और अगर मीटिंग होती थी तो उसमें उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और एक केंद्रीय मंत्री महोदय को किसी फालतू में मामले में उलझाते थे, कोई भी सीरियस बात नहीं होती थी। मुख्यमंत्री महोदय ने कभी चर्चा में भाग नहीं लिया।''
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