राजस्थान में लू के थपेड़े पड़ते हैं तो रेतीले धोरे झरने की तरह बहने लगते हैं। अभी न तेज गर्मी शुरू हुई है और न लू बह रही है, लेकिन दस साल में पहली बार ऐसा है कि लोकसभा चुनाव में गर्मी सिर चढ़कर बोल रही है।
25 में से 7 सीटों पर गर्म हवा बह रही है। पांच सीटों पर तो मुकाबला कांटे की टक्कर का हो गया है।
शेखावाटी की सीकर, चूरू और झुंझुनूं सीट पर मुकाबला आमने-सामने का है। बाड़मेर-जैसलमेर में निर्दलीय रविन्द्र सिंह भाटी ने इस सीट और इलाके दोनों को हॉट बना दिया है।
जोधपुर और दौसा में एक ही जाति के प्रत्याशी होने के बावजूद मुकाबला काफी पेचीदा हो गया है। मतदाता खुलकर नहीं बोल रहे।
वहीं, राजस्थान की 18 से 20 सीटों पर मतदाता को न प्रत्याशी से मतलब है, न किसी और से। यहां सिर्फ मोदी, राम मंदिर और भाजपा की ही बात होती है।
बाड़मेर-जैसलमेर : ‘भाजपा- कांग्रेस ने लॉलीपॉप पकड़ाई’
सबसे पहले सबसे चर्चित बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी के मैदान में होने से ये सीट काफी हॉट बन चुकी है। प्रधानमंत्री सहित भाजपा के कई बड़े नेताओं का यहां फोकस है।
इसका कारण समझने के लिए हम बाड़मेर पहुंचे। बाड़मेर मार्ग पर कल्याणपुर में पेट्रोल पंप पर दूदाराम मिले। वे कहते हैं, हम तो भाजपा वाले हैं।
कारण पूछा तो बताया कि काम तो वैसे भी कुछ नहीं होता, लेकिन हम तो पीढ़ियों से भाजपा को ही वोट देते आए हैं।
यहां पर सुनील सैन का कहना था कि रविन्द्र भी तो भाजपा का ही है। यहां पर रामदेव आश्रम, सारलाई के संत राकेश गिरी भी मिले। कहते हैं इस बार भाजपा ने कोई काम नहीं किया। दस साल से वोट दे रहे हैं। हर बार लॉलीपॉप पकड़ाते हैं।
बीच में ट्रक ड्राइवर राजूसिंह बोल पड़े, कांग्रेस वालों ने भी लॉलीपॉप कम नहीं पकड़ाई। उन्होंने भी बोला था- मिर्ची बड़ा नहीं पकेगा, उससे कम टाइम में कर्ज माफ कर देंगे। हम भोलेभाले लोग चक्कर में आ गए।
कांग्रेस राज में पेपर लीक और भ्रष्टाचार से त्रस्त थे। वैसे बीजेपी का काम सही है। मोदी सही हैं।
राजूसिंह कहते हैं कि रविन्द्र छत्तीस कौम को साथ लेकर चलने वाला है और उसकी भावना भी बीजेपी की ही है। कोई भी पार्टी युवा को आगे आने ही नहीं दे रही। देख लो ये 26 साल का है, सब पीछे पड़े हैं।
बालोतरा जिले के थापन गांव में बुजुर्ग चुन्नी देवी से बात की तो वोट किसे देंगी…सवाल पर गुस्सा हो गईं। बोलीं- गांव में पानी की एक बूंद नहीं है? सब चुनाव के समय आते हैं वोट के लिए डांस करते हैं। 80 साल की हो गई। एक काम नहीं हुआ।
गांव के गंगाराम कहते हैं कि भूखौ तो पेट भरिया धापै…मैं तो ट्रैक्टर चलाऊंगा उससे ही घर चलेगा।
जालोर-सिरोही : तरक्की एक्सप्रेस पर सवारी!
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर एंट्री के दौरान हमारी नजर जगह-जगह लगे तरक्की एक्सप्रेस के होर्डिंग पर पड़ी। यहां पर कई गाड़ियां भी इस तरह की मिली। प्रोफेशनल एजेंसियां चुनाव प्रचार संभाल रही हैं।
अकोली गांव के बस स्टैंड पर बात करने पर लाखाराम, देसाराम ने कहा कि जालोर की कितनी तरक्की हुई, सड़कें देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पानी के लिए आज भी तड़पना पड़ता है।
उधर, यहां पर ही बैठे कांतिलाल और रानाराम ने कहा कि बेरोजगारों का और गरीबों का भला करने वाले गहलोत हैं। उन्हीं को वोट देंगे।
रूपसिंह कहते हैं कि मोदी ने किसानों को सम्मान निधि दी। सवर्णों को आरक्षण दिया। यहां पर मौजूद भलाराम का कहना था गहलोत जी ने भी तो राशन और दवा दी।
जालोर शहर में मिले अंबालाल व्यास, अंजना सोलंकी और हेमेंद्र सिंह का कहना था कि जवाई के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार ने अनदेखी की। चूरू के तारानगर में मिले हाडूराम कहते हैं कि राहुल कस्वां के साथ अन्याय हुआ। यहां पर मिली रूमल कहती हैं कि मोदी जी अच्छे आदमी हैं, हम तो उनको ही वोट देंगे।
रोचक: चुनाव प्रचार का नया अंदाज, लेकिन डांट भी
जालोर के आहोर चौराहे पर दिल्ली से नुक्कड़ नाटक करने वाले युवकों का एक ग्रुप मतदान जागरूकता के साथ कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत का प्रचार कर रहा था।
ग्रुप ने पहले तो ढोल-नगाड़े बजाकर मतदान करने की अपील की, जैसे ही भीड़ बढ़ी ग्रुप ने नुक्कड़ नाटक शुरू कर दिया।
ग्रुप के दो युवकों ने पहले शराब, पैसों के लालच में वोट नहीं करने की अपील की। फिर पिछली गहलोत सरकार की योजनाओं के फायदे बताते हुए वैभव को वोट देने की अपील की। तभी नाटक देखने वालों में से कुछ लोगों ने सवाल शुरू कर दिए। तीखे सवाल सुनकर युवकों ने नाटक रोक दिया और वहां से निकल गए।
जालोर-सिरोही सीट: सामाजिक समझाैते पर टिकी जीत
अब तक काफी पीछे चल रहे वैभव गहलोत अब टक्कर में दिखने लगे हैं। हालांकि भाजपा का भी यहां कम प्रभाव नहीं है। पिछले दिनों अहमदाबाद में हुए प्रवासी सम्मेलन के बाद लौटते वक्त डीसा के मालीपुरा में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ खास लोगों से मुलाकात कर कुछ समीकरण बिठाए थे, इसका कुछ फायदा वैभव को मिल सकता है।
दूसरा, जालोर सिरोही में माली समाज भी काफी बड़ा है। समाज के यहां एक लाख से सवा लाख के बीच मतदाता हैं, जो परंपरागत भाजपा के हैं। पिछला चुनाव कांग्रेस यहां पर 2 लाख 61 हजार वोटों से हारी थी। इस बार ये तय है कि वोट तो बंटेंगे, लेकिन कितने? सांचौर को जिला बनाने का फायदा भले सुखराम विश्नोई को नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस को जरूर मिल रहा है।
जालोर-सिरोही सीट: सामाजिक समझाैते पर टिकी जीत
अब तक काफी पीछे चल रहे वैभव गहलोत अब टक्कर में दिखने लगे हैं। हालांकि भाजपा का भी यहां कम प्रभाव नहीं है। पिछले दिनों अहमदाबाद में हुए प्रवासी सम्मेलन के बाद लौटते वक्त डीसा के मालीपुरा में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ खास लोगों से मुलाकात कर कुछ समीकरण बिठाए थे, इसका कुछ फायदा वैभव को मिल सकता है।
दूसरा, जालोर सिरोही में माली समाज भी काफी बड़ा है। समाज के यहां एक लाख से सवा लाख के बीच मतदाता हैं, जो परंपरागत भाजपा के हैं। पिछला चुनाव कांग्रेस यहां पर 2 लाख 61 हजार वोटों से हारी थी। इस बार ये तय है कि वोट तो बंटेंगे, लेकिन कितने? सांचौर को जिला बनाने का फायदा भले सुखराम विश्नोई को नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस को जरूर मिल रहा है।
बाड़मेर-जैसलमेर: मतदाता साइलेंट, मुकाबला त्रिकोणीय
मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि निर्दलीय और कांग्रेस के बीच है। ज्यादातर लोगों का कहना था कि निर्दलीय रविन्द्र सिंह भाटी की भावना भाजपा की ही है। ऐसे में सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई है। बीजेपी ने दूसरी बार कैलाश चौधरी को, कांग्रेस ने RLP छोड़ शामिल हुए उम्मेदाराम बेनीवाल को उतारा है। कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक एससी-एसटी व मुसलमान इस बार किसका साथ देगा ये बड़ा प्रश्न है। निर्दलीय प्रत्याशी बीजेपी के माने जाने वाले वोट बैंक राजपूत समाज के अलावा मूल ओबीसी के वोटबैंक में सेंधमारी कर रहे हैं।
जोधपुर: पिछली जीत का अंतर भाजपा के लिए संजीवनी
राजपूत समाज से ही दोनों प्रत्याशी हैं। भाजपा के चुनाव प्रचार की थीम है- केंद्र में नरेंद्र और जोधपुर में गजेंद्र। यहां पर जगह-जगह सिर्फ केंद्र की योजनाओं और केंद्र के मुद्दों के पोस्टर लगे नजर आते हैं। इसमें जो राम को लाए उनको हम लाएंगे। धारा 370 हटाना भी शामिल हैं। उधर, कांग्रेस के प्रत्याशी की चुनाव थीम- जोधपुर का बेटा और विकास है।
पाली: प्रत्याशी से ज्यादा मोदी की बात
इलाके में भाजपा का काफी प्रभाव है। प्रत्याशी के स्थान पर यहां पर लोग मोदी को वोट देने की बात करते हैं। लोग साफ कहते हैं कि काम भले नहीं हुए, लेकिन वोट तो मोदी को ही देंगे। कांग्रेस की प्रत्याशी संगीता बेनीवाल प्रचार में भी काफी पीछे हैं। स्थानीय नेता भी पाली के बजाय आसपास की सीटों पर व्यस्त है। कांग्रेस यहां नजर नहीं आती।
बांसवाड़ा: गठबंधन के बावजूद कांग्रेस का प्रत्याशी भी
राजस्थान की इस सीट पर कांग्रेस के लिहाज से काफी अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। यहां कांग्रेस-बीएपी का गठबंधन है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर भी मैदान में हैं। प्रत्याशी की मौजूदगी के बावजूद अब कांग्रेस का एक धड़ा बीएपी प्रत्याशी राजकुमार रोत के समर्थन में वोटिंग करने की अपील कर रहा है। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री और इस इलाके के बड़े नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं।
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