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राजस्थान की 13 सीटों पर कहां है कांटे की टक्कर: जाति और मोदी का चेहरा तय करेगा हार-जीत, जानें किस सीट पर क्या है स्थिति

प्रदेश में 26 अप्रैल (शुक्रवार) को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान होने हैं। दूसरे फेज की 13 सीटों पर (उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा, कोटा, जोधपुर,टोंक-सवाई माधोपुर,जालोर-सिरोही, पाली, बाड़मेर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़-बारां ) में इस बार का चुनाव काफी रोचक है। दूसरे फेज में बाड़मेर, कोटा और बांसवाड़ा हॉट सीट बनी हुई हैं।

जालोर-सिरोही और झालावाड़-बारां में दो पूर्व सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने बेटों के लिए चुनावी मैदान में जुटे हुए हैं। इनके अलावा कहीं मोदी का चेहरा तो कहीं जाति कैंडिडेट की जीत का कारण बन सकती है। वहीं, एक सीट ऐसी है, जहां मुद्दे से बड़ा धर्म है।

उदयपुर: ब्यूरोक्रेट्स में मुकाबला

यहां दो ब्यूरोक्रेट्स के बीच मुकाबला है। भाजपा के प्रत्याशी मन्नालाल रावत उदयपुर में पूर्व परिवहन उपायुक्त रह चुके हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीना उदयपुर में कलेक्टर रह चुके हैं और यहीं से रिटायर हुए हैं। तीसरा वजूद यहां बीएपी (भारतीय आदिवासी पार्टी) का है, जिसके सिंबल पर प्रकाशचंद्र बुझ भी मैदान में हैं। बीएपी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है, जिसका फायदा बीजेपी को होगा।

बीजेपी लोकसभा क्षेत्र की आठ में से पांच विधानसभा सीटों पर काबिज है, बीएपी दो और कांग्रेस के पास महज एक सीट है। आरएसएस के दबदबे और हिंदू संगठनों की सक्रियता चुनावी माहौल को बीजेपी के पक्ष में लाने में जुटी है। बीजेपी नेता पीएम मोदी के चेहरे और विकास कार्यों के भरोसे हैं।

 राजसमंद : यहां लड़ाई मार्जिन को लेकर, कांग्रेस उपस्थिति दर्ज कराने में जुटी

राजसमंद में बीजेपी इस बार हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है। बीजेपी प्रत्याशी मेवाड़ के पूर्व राजघराने की बहू महिमा सिंह मेवाड़ हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पति विश्वराज सिंह मेवाड़ के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। उस दौरान जनता से जुड़ाव का फायदा उन्हें अब मिल सकता है। वे नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान देश में पिछले 10 सालों में हुए विकास कार्यों को गिनाते हुए जनता से वोट मांग रही हैं।

वहीं, कांग्रेस में प्रत्याशी बदलने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से टिकट देने के बाद उनकी सीट बदलकर राजसमंद कर दी गई, जबकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नाथद्वारा के विधायक रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी को भीलवाड़ा से टिकट दिया गया। सीपी जोशी को राजसमंद से टिकट नहीं देना चर्चा का विषय बना हुआ है।

 बांसवाड़ा-डूंगरपुर : कांग्रेसी अपनी ही पार्टी को वोट नहीं देने की कर रहे अपील

विधानसभा चुनाव में वागड़ क्षेत्र में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में असहज स्थिति में है। कांग्रेसी कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं। अपनी पार्टी के ही खिलाफ प्रचार करने से कार्यकर्ता दुखी व मायूस हैं। वहीं बीजेपी ने पहले क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया काे पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को पटखनी दी और अब उनके सहारे आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगा रही है।

दरअसल, इस सीट पर कांग्रेस रणनीतिकार बुरी तरह फेल हुए हैं। नामांकन के आखिरी दिन 4 अप्रैल को पूर्व मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन उन्होंने नामांकन नहीं भरा तो समय समाप्त होने से 15 मिनट पहले कांग्रेस ने अरविंद डामोर को प्रत्याशी बनाकर नामांकन भराया। इसके बाद नाम वापसी के अंतिम दिन बीएपी को समर्थन दे दिया और कांग्रेसी प्रत्याशी को नाम वापस लेने के निर्देश दिए।

इसके बावजूद प्रत्याशी डामोर ने नाम वापस नहीं लिया। ऐसे में प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रत्याशी डामोर की बजाय बीएपी को समर्थन करने के निर्देश दिए। कांग्रेसी प्रत्याशी के मैदान में टिके रहने से अब इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता नजर आ रहा है। यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेसी वोट पूरी तरह से बीएपी को ट्रांसफर हो पाएगा? जमीनी स्तर पर ऐसा नहीं लग रहा, जिससे बीएपी को नुकसान होने की संभावना है। शहर में बीजेपी को बढ़त है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बीएपी से कड़ी टक्कर मिल रही है।

टोंक-सवाई माधोपुर : कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर

टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर है। इस सीट पर बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने देवली-उनियारा विधायक हरीश मीना को मैदान में उतारा है।

इस सीट से जौनापुरिया लगातार 10 सालों से सांसद हैं। ऐसे में उनके खिलाफ स्वाभाविक रूप से एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) देखी जा सकती है। इसके बावजूद भी मोदी फैक्टर उन्हें चुनाव में मजबूती दे रहा है। दूसरी तरफ हरीश मीना को स्थानीय फैक्टर के साथ-साथ सचिन पायलट का सपोर्ट मिल रहा है।

टोंक-सवाई माधोपुर सीट में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 4 बीजेपी और 4 कांग्रेस ने जीती थी। जिसमें से टोंक से कन्हैयालाल चौधरी और सवाई माधोपुर से किरोड़ीलाल मीणा भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इन दोनों की साख भी इस सीट से जुड़ी हुई है।

वहीं टोंक विधानसभा सीट से सचिन पायलट दूसरी बार जीते हैं। हरीश मीना उनके गुट के माने जाते हैं। ऐसे में पायलट की साख भी इस सीट से जुड़ जाती है। इन समीकरणों की वजह से इस सीट पर मुकाबला कांटे का बना हुआ हैं। इस सीट पर गुर्जर और मीणा समुदाय के वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।

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