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गहलोत ने मुझे अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में अकेले छोड़ा: पूर्व ओएसडी बोले- पैन ड्राइव-लैपटॉप नष्ट कर देता तो आज खुद को कैसे बचाता, मेरे पास सबूत हैं

राजस्थान की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के खुलासों के बाद फोन टैपिंग मामला सुर्खियों में है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अशोक गहलोत ने उन्हें ऑडियो क्लिप्स पेन ड्राइव में देकर वायरल करने को कहा था।

फिर इन ऑडियो क्लिप्स के आधार पर भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप लगाए थे। इसके बाद कॉल कर सबूत मिटाने को कहा था, लेकिन मैंने उन्हें बचाकर रखा। अब वही सबूत दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दूंगा। गहलोत ने उन्हें ओएसडी बनाया और वे गहलोत की खिलाफत कर रहे हैं? लोकसभा चुनाव के मौके पर ही खुलासे के पीछे क्या राज है? क्या वे सरकारी गवाह बनेंगे?

मुझे लोकसभा चुनाव से भी कोई लेना देना नहीं है। मैं पिछले 6 महीने से विचलित हो रहा था। मुझे मजबूरन अब ये कदम उठाना पड़ा। मैं हर तरह के प्रेशर-टॉर्चर बर्दाश्त कर रहा था, लेकिन चुप रहा। आप सभी जानते हैं कि पिछले 3 वर्ष से दिल्ली के चक्कर लगा रहा हूं, दिल्ली क्राइम ब्रांच का टॉर्चर सहन कर रहा हूं।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुझे इस बात का भरोसा दिलाया था कि आप चिंता मत करो चाहे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े हम आपके साथ हैं। जब उन्होंने पूरी तरह किनारा कर लिया, तो फिर मैं इस बोझ को लेकर क्या करता।

फोन टैपिंग प्रकरण के मालिक अशोक गहलोत ही थे। मुझे सीएम हाउस बुलाकर उन्होंने पेन ड्राइव दी थी। मैंने उनके आदेश का पालन किया और ऑडियो क्लिप को मीडिया तक पहुंचाया। उनका (गहलोत) काम निकल गया और वह यह सोच रहे हैं कि उन्हें अब मेरी कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया।

मेरा काम निर्देश की पालना करना था और फोन टैपिंग का काम मैंने नहीं किया, तो उसका बोझ लेकर मैं क्यों चलूं। मैं और मेरा परिवार मानसिक प्रताड़ना क्यों झेलें? बस इसी वजह से मैं परेशान हो गया, मुझे सच्चाई बताने का निर्णय लेना पड़ा।

बतौर ओएसडी मैंने पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के सभी आदेशों की पालना की। मुझे जो डायरेक्शंस दिए गए, मैं फोलो करता रहा। मैंने हर आदेश की पालना ड्यूटी समझकर निभाई। ऑडियो क्लिप भी उनके कहने से ही मीडिया तक पहुंचाई। जब तक उन्होंने (गहलोत) साथ दिया मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन आदमी अपना बचाव तो किसी न किसी स्थिति में जाकर करेगा ही।

गहलोत ने मुझे अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में अकेले छोड़ दिया और सोचा कि ये वापस निकलेगा ही नहीं। लेकिन मैंने उस चक्रव्यूह को तोड़ दिया और अपने जीवित रहने की वजह अपने पास बचा कर रखी। इसलिए मैंने पेन ड्राइव, लैपटॉप सहित अन्य दस्तावेज अपने पास सुरक्षित रखे। यही वजह है कि मैं अब आगे सरवाइव करने की स्थिति में हूं।

मैंने तो सारी चीजों को अपने पास बचाकर रखा है। अगर दिल्ली क्राइम ब्रांच मुझे फिर तलब करेगी और सवाल पूछेगी तो मैं जो सही है वह बताऊंगा। मैं जांच में सहयोग करते हुए सारी चीजें क्राइम ब्रांच को उपलब्ध करवाऊंगा। उनकी जांच में जो भी आवश्यक है, वह सब बताऊंगा।

मैंने सत्यता सभी के सामने लाकर रख दी है। फोन टैपिंग चाहे कानूनी थी या गैर कानूनी थी। जो हुआ मुख्यमंत्री के कहने से हुआ। मुझे जो डायरेक्शन दिए जा रहे थे मैं उनको फॉलो कर रहा था।

सरकार में फोन टैपिंग प्रक्रिया किस विभाग के अधीन होती है, सभी जानते हैं। गृह विभाग के तहत सारी मशीनरी काम करती है। गृह मंत्री खुद अशोक गहलोत थे, उन्हीं के आदेश से इंटरसेप्शन (फोन टैपिंग) हुआ। इसके बाद क्लिप को मुझे पेन ड्राइव के माध्यम से दिया गया और सर्कुलेट के लिए कहा गया।

गहलोत ने मुझे बार-बार पूछा कि क्या पेन ड्राइव को नष्ट कर दी? क्या लैपटॉप दूसरे राज्य में भेज दिया या बेच दिया? गहलोत ने यहां तक कहा कि लैपटॉप मुझे दे दो मैं तुम्हें नया दे दूंगा। यही नहीं, बहुत सारी बातें हुई हैं डिटेल में। मुझे कहा गया 200 परसेंट आपने डिस्ट्रॉय कर दिया ना सब कुछ।

जब आशंकाएं होती हैं तो भविष्य को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी होती है। मैंने अपने बचाव के लिए सब कुछ किया। मुझे उलझाया गया, मुझे फंसाया गया है। यदि आज मेरे पास यह सब सबूत नहीं होते तो लोगों की नजरों में और कानून की नजरों में यह सारा कुछ मेरा किया कराया माना जाता और मेरे पास कोई इसका जवाब नहीं होता।

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