पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में जमीन हड़पने और महिलाओं के खिलाफ अपराध (यौन शोषण) मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में गुरुवार (2 मई) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को भी पार्टी बनाने की परमिशन दे दी है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसे पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों का जांच में सहयोग नहीं मिल रहा है। मामले में एजेंसी की जांच जारी है। ऐसे में कोर्ट एजेंसी की रिपोर्ट का खुलासा करना नहीं करना चाहेगा। क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ सकता है।कोर्ट ने खुद मामले की बारीकी से निगरानी करने की बात कही है। साथ ही कहा है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों में आत्मविश्वास पैदा होना चाहिए। इसलिए CBI की महिला अधिकारियों की एक टीम भी तैनात की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 13 जून को होगी।
25 अप्रैल को CBI ने पहली FIR दर्ज की थी
इससे पहले 25 अप्रैल को कलकत्ता HC के आदेश के बाद CBI ने पहली FIR दर्ज की थी। इसमें 5 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। अपने आदेश में कहा था कि CBI कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी।
संदेशखाली की महिलाओं ने 8 फरवरी को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जाने का आरोप लगाया था। मामले में 3 आरोपी शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार 13 मई तक कस्टडी में हैं।
जांच CBI को सौंपने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की SC में याचिका
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के संदेशखाली केस की जांच CBI को सौंपने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। उस पर 29 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। SC ने दलीलें सुनने के बाद मामले को जुलाई के लिए लिस्ट कर दिया था।
जस्टिस बीआर गंवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सवाल किया था कि निजी लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने याचिका क्यों लगाई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली केस CBI को सौंपा था। हाईकोर्ट ने 2 मई को सुनवाई तय की थी, लेकिन इसके पहले ही ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
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