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राजस्थान में भ्रष्ट और नाकारा अफसर-कर्मचारियों की होगी छुट्‌टी: लिस्ट बनाने का काम शुरू, जानें- कौनसे विभाग टॉप पर और कौन दायरे में

सरकारी विभागों में अब भ्रष्ट और काम नहीं करने वाले अफसर, कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जाएगा। भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में लगातार शिकायतों और नॉन परफॉर्मर बने रहने वाले अफसर-कर्मचारियों की विभागवार लिस्ट बनाने का काम शुरू हो चुका है। 15 साल की नौकरी पूरी कर चुके अफसर-कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे।

दरअसल, मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों को भ्रष्ट और नॉन परफॉर्मर अफसर, कर्मचारियों की विभागवार लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। ऐसे अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। मुख्य सचिव के आदेशों के बाद सभी विभागों में काम शुरू हो चुका है। करप्शन के मामले में टॉप रहने वाले विभागों में सबसे ज्यादा अफसर और कर्मचारी छंटनी के दायरे में आएंगे।

सेवा नियमों में पहले से है जबरन रिटायर करने के प्रावधान

राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य रिटायरमेंट के प्रावधान पहले से है। इन नियमों के तहत सरकार ऐसे किसी अफसर या कर्मचारी को जबरन रिटायर कर सकती है, जिन अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के मामले आते हों। सरकार के कामकाज में लगातार लापरवाह हो। जो सरकारी सेवा में विभाग पर बोझ बन चुके हों। उन्हें जबरन रिटायर किया जा सकता है।

3 महीने का नोटिस या तीन महीने की एडवांस सैलरी देकर जबरन रिटायर कर सकती है सरकार
भ्रष्ट और काम नहीं करने वाले अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के लिए तय नियमों के हिसाब से प्रोसेस पूरा किया जाता है। नियमों के अनुसार जिन अफसर और कर्मचारियों की 15 साल की सरकारी नौकरी पूरी हो चुकी हो, उन्हें आचरण और खराब काम को आधार बनाकर जबरन रिटायर किया जा सकता है।

इस नियम के तहत जबरन रिटायर करने वाले कर्मचारी-अफसरों की विभागवार स्क्रीनिंग होती है। इनकी सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) खराब होती है। उन्हें छांटा जाता है।

नियमों के अनुसार जबरन रिटायरमेंट के दायरे में आने वाले अफसर-कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिया जाता है। नोटिस पीरियड की जगह तीन महीने की एडवांस सैलरी और भत्ते देकर तुरंत रिटायर किया जा सकता है।

लापरवाह अफसर-कर्मचारियों को चेतावनी
मुख्य सचिव ने भ्रष्ट और नॉन परफॉर्मर अफसर, कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने का प्रोसेस शुरू करने के आदेश देकर ब्यूरोक्रेसी को चेतावनी देने का प्रयास किया है। लापरवाह अफसर-कर्मचारियों को इसे चेतावनी के तौर पर माना जा रहा है। सरकारी दफ्तरों में कामकाज की लचर गति और जनता के काम नहीं करने की लगातार शिकायतें आती रहती हैं। जबरन रिटायर करने के प्रोसेस के बाद इसमें कुछ सुधार हो सकता है।

जिनकी एसीआर खराब, काम नहीं करने की शिकायत, वे नॉन परफॉर्मर
सरकारी कर्मचारियों और अफसरों के कामकाज का आकलन सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) से किया जाता है। अलग-अलग लेवल पर पदों के हिसाब से सीनियर अफसर जूनियर की एसीआर भरते हैं, यह एसीआर ही अफसर-कर्मचारी की परफॉर्मेंस का पैमाना है।

जो अफसर-कर्मचारी लापरवाह, भ्रष्ट और काम में लापरवाह है और जिनके खिलाफ शिकायतें होती हैं, उनकी एसीआर खराब होती है। खराब एसीआर वालों को नॉन परफॉर्मर माना जाता है। भ्रष्टाचार के केस में पकड़े जाने वालों को दागी माना जाता है। जबरन रिटायर करने के लिए स्क्रीनिंग में खराब एसीआर वालों को ही लिया जाएगा।

पहले भी दागी अफसर-कर्मचारियों को किया जा चुका जबरन रिटायर

राज्य सरकार में पहले भी दागी अफसर और कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। वसुंधरा सरकार के समय पुलिस, रेवेन्यू से लेकर कई विभागों में दागी अफसरों और कर्मचारियों को रिटायर किया गया था।

केंद्र सरकार भी ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों के कामकाज का आकलन करवाकर दागी और खराब काम करने वाले अफसरों को जबरन रिटायर करती रही है। राज्यों में भी उसी तर्ज पर प्रोसेस अपनाया जाता है।

छह साल एसीआर नहीं भरने पर आईएफएस जेडए खान को जबरन रिटायर किया था

आईएफएस जुल्फिकार अहमद खान को 31 अगस्त 2018 में जबरन रिटायर किया गया था। खान ने लगातार छह साल तक सालाना गोपनीय रिपोर्ट (ACR) नहीं भरी थी। एसीआर नहीं भरने के आधार पर ही उन्हें जबरन रिटायर कर दिया गया था, इस गलती के अलावा उन पर कोई आरोप नहीं था।

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