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एनकाउंटर में छत्तीसगढ़ के कॉप हैं टॉप, 5 महीने में 120 नक्सलियों को उतारा मौत के घाट - Chhattisgarh Cops Are Top

रायपुर: लाल आतंक का नासूर छत्तीसगढ़ के विकास की राह में रोड़ा बनकर दशकों से अड़ा है. बहादुर जवानों की बदौलत अब ये रोड़ा हटाया जा रहा है. बीते पांच महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो छत्तीसगढ़ के सुपर कॉप जवानों ने हिंसा के रास्ते पर चल रहे 120 नक्सलियों को मार गिराया है. 100 से ज्यादा नक्सली बीते पांच महीनों में जवानों की गोलियों के जख्मी होकर जंगल में भागे भागे फिर रहे हैं. बस्तर में सर्चिंग पर निकले सुपर कॉप की दहशत का आलम ये है कि इस साल 350 से ज्यादा नक्सली हथियार छोड़ सरेंडर कर चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने से लाल आतंक बैकफुट पर है.

छत्तीसगढ़ के सुपर कॉप टॉप पर: नक्सलियों की मांद में घुसकर उनको धूल चटाने वाले छत्तीसगढ़ के सुपर कॉप टॉप पर हैं. नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन और जवानों की बहादुरी की कहानियां, एनकाउंटर में मिल रही बड़ी सफलताएं अब पूरा देश देख और सुन रहा है. बीते पांच महीनों में ही माओवादियों को उनकी मांद से निकालकर जवानों ने जो गोलियां बरसाई है उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच महीनों में जवानों ने सर्च ऑपरेशन के दौरान 120 नक्सलियों को ढेर कर दिया. 100 से ज्यादा नक्सली मुठभेड़ में घायल हुए. नक्सली जो कभी बस्तर में खौफ की वजह हुआ करते थे अब जान की भीख मांगते बस्तर में भागते फिर रहे हैं. डर का आलम ये है कि सरेंडर करने वाले माओवादियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जवानों के खौफ का सिलसिला आगे भी ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों हथियार उठाने वाले हाथ बस्तर में नहीं मिलेंगे.

आतंक का सरेंडर: आंकड़ों के मुताबिक पांच महीनों के भीतर ही 375 से ज्यादा नक्सली हथियार और हिंसा का रास्ता छोड़ सरेंडर कर चुके हैं. सर्च ऑपरेशन के दौरान 183 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं. मुठभेड़ के दौरान जवानों को भी शहादत देनी पड़ी है. आंकड़ों के मुताबिक पांच महीने में एनकाउंटर के दौरान 12 जवान शहीद हुए जबकी 24 जवान जख्मी हुए. राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने जरुर नक्सलियों से बीते दिनों पुनर्वास नीति पर सुझाव मांगे हैं. सरकार की मंशा साफ है कि हिंसा का अंत हर हाल में करना है. सरकार ने इसलिए बातचीत और नक्सल ऑपरेशन दोनों का रास्ता खुला रखा है.

आंकड़े बताते हैं बहादुरी की कहानियां: ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ के कॉप पहली बार टॉप पर हैं. इसके पहले भी छत्तीसगढ़ में कई बड़े एनकाउंटर हुए. 1 जनवरी 2017 से लेकर 31 जनवरी 2022 तक के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं. पूरे देश में पुलिस की मुठभेड़ में 655 लोगों की मौत के मामले दर्ज हुए. इसमें सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ पुलिस के नाम पर एनकाउंटर दर्ज थे. पांच सालों में एनकाउंटर की संख्या 191 रही. जिसका अर्थ है प्रदेश की पुलिस देश में एनकाउंटर के मामले पर नंबर वन पर रही.

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