पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पोर्श एक्सीडेंट केस में शनिवार (25 मई) को नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। उस पर फैमिली ड्राइवर को बंधक बनाने का आरोप है। इस मामले में नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल भी आरोपी है। पुलिस ने उसे 21 मई को गिरफ्तार किया था।
क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक, 18-19 मई की रात हादसे के बाद आरोपी के दादा और पिता ने नाबालिग को बचाने के लिए ड्राइवर को फंसाने की प्लानिंग की थी। ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
42 साल के ड्राइवर ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि घटना के तुरंत बाद मुझे सुरेंद्र अग्रवाल का फोन आया। वह फोन पर पहले चिल्लाए। फिर अपनी BMW कार में जबरन बिठाकर मुझे अपने बंगले ले गए। वहां 19-20 मई तक कैद रखा।
ड्राइवर के मुताबिक, नाबालिग के पिता और दादा ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया था। उन्होंने हादसे का इल्जाम लेने के लिए पैसे का लालच दिया और कहा कि वे उसे जल्दी ही जेल से निकाल लेंगे। दोनों ने धमकी भी दी और कहा कि इस बारे में किसी से बात की तो याद रखना। मेरी पत्नी ने मुझे छुड़ाया।
200 की स्पीड में बाइक को टक्कर मारी, दो IT इंजीनियर्स की जान गई
18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के आरोपी ने लग्जरी पोर्श कार से बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। हादसे में IT सेक्टर में काम करने वाले 24 साल के अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक, तब कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी।
आरोपी नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने 23 मई को दावा किया था कि घटना के वक्त कार उनका फैमिली ड्राइवर चला रहा था। आरोपी के पिता विशाल ने भी यही बात कही थी। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी पहले खुद गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की थी।
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