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हरियाणा में एक विधायक के निधन से खतरे में आई नायब सैनी सरकार, नंबर गेम में आगे हुआ विपक्ष, जानिए मौजूदा आंकड़ा - Haryana BJP Government In Minority

डीगढ़: हरियाणा के बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद (Rakesh Daultabad) के आकस्मिक निधन से हरियाणा की बीजेपी सरकार पर खतरा और ज्यादा गहरा गया है. आंकड़ों के खेल में बीजेपी का एक नंबर और कम हो गया है. जबकि विपक्ष का नंबर यथास्थिति में है और बहुमत के लिहाज से ज्यादा मजबूत हो गया है. बदले घटनाक्रम में नायब सैनी की अल्पमत की सरकार की आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती है.

हरियाणा विधानसभा में वर्तमान दलीय स्थिति

हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति की बात करें तो बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के बाद विधानसभा में मौजूदा विधायकों की कुल संख्या 87 हो गई है. क्योंकि 90 विधायकों में से 3 सीटें रिक्त हैं. जिसमें एक करनाल लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. वहीं रणजीत चौटाला के लोकसभा चुनाव लड़ने से रानिया सीट भी खाली है. अब राकेश दौलताबाद के निधन के बाद बादशाहपुर सीट भी खाली हो गई है. 87 की कुल संख्या में सरकार बनाने के लिए 44 का आंकड़ा जरूरी है.

सरकार और विपक्ष के पास मौजूदा समर्थन

मौजूदा वक्त में 87 विधायकों में से सत्ता पक्ष के पास अभी 42 और विपक्ष के पास 45 विधायकों का आंकड़ा है. सत्ता पक्ष के विधायकों में 40 बीजेपी, एक निर्दलीय और एक हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा हैं. जबकि विपक्ष में 30 कांग्रेस, 10 जेजेपी, एक इनेलो और 4 निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे में स्थिति साफ दिखाई देती है कि बीजेपी की सरकार अल्पमत में है. लेकिन जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया था, उन्होंने ऑफिशियल अकाउंट से समर्थन का पत्र नहीं भेजा था, जिसकी वजह से राजभवन ने समर्थन वापसी का पत्र अस्वीकार कर दिया था. अगर वो ऑफिशियल अकाउंट से या खुद आकर राजभवन में अपना समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को देते हैं तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

पार्टी विधायकों की संख्या परिवर्तन
बीजेपी 40 मनोहर लाल का इस्तीफा
कांग्रेस 30  
जेजेपी 10  
इनेलो 1  
एचएलपी 1  
निर्दलीय 5 रणजीत चौटाला का इस्तीफा, राकेश दौलताबाद का निधन
कुल 87 रणजीत चौटाला, मनोहर लाल का इस्तीफा. राकेश दौलताबाद का निधन
हरियाणा में कुल सीटें 90 बहुमत के लिए जरूरी- 44

 

नायब सैनी के उपचुनाव जीतने के बाद दलीय स्थिति

अगर करनाल सीट के उपचुनाव में सीएम नायब सैनी जीत जाते हैं तो सत्ता पक्ष का आंकड़ा 43 हो जायेगा. लेकिन अगर वो चुनाव हारते हैं तो इस स्थिति में फिर विपक्ष मजबूत हो जायेगा. इस हालत में फिर ये आंकड़ा 42 सत्ता पक्ष और 46 विपक्ष का हो जायेगा. वहीं अगर नायब सैनी जीत भी जाते हैं तब भी सरकार का कुल अकड़ा 43 का ही होगा. कुल विधायकों की संख्या 88 हो जायेगी. उस हालत में भी सरकार को 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी, जो कि अभी नहीं दिख रहा है.

अगर जेजेपी के दो विधायक निलंबित होते हैं

जेजेपी ने भी अपने दो विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा है. अगर उन दोनों की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष रद्द करते हैं और नायब सैनी चुनाव जीत जाते हैं तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 66 होगी. उस हालत में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत होगी. इस स्थिति में भी सत्ता के पास केवल 43 (नायब सैनी के जीतने पर) विधायक ही रहेंगे. जबकि विपक्ष के पास 45 का पूर्ण बहुमत होगा. फिलहाल जेजेपी के दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द करने का अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष के पास अभी लंबित है.

पार्टी विधायकों की संख्या
सरकार- BJP 40 + IND 1 + HLP 1 42
विपक्ष- Congress- 30 + JJP- 10 + INLD- 1 + IND-4 45
बहुमत के लिए जरूरी 44
  • कांग्रेस के साथ निर्दलीय विधायक- सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन, धर्मपाल गोंदर कांग्रेस के साथ
  • निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी विपक्ष के साथ.
  • राकेश दौलताबाद के निधन से सरकार के समर्थन का एक विधायक कम हुआ.

नायब सैनी को बागियों का सहारा

वर्तमान में जो हालत हरियाणा विधानसभा के बन हैं उसमें लोकसभा चुनाव अहम भूमिका निभा सकते हैं. अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनती है तो बीजेपी उम्मीद कर सकती है कि जिन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है वो वापस सरकार के पाले में आ जायें. अगर ऐसा नहीं होता है तो सिर्फ जेजेपी के बागी विधायक ही सरकार के लिए तारणहार बन सकते हैं. क्योंकि पार्टी के कई विधायक नाराज चल रहे हैं. ऐसे में सरकार को जेजेपी के बागियों का ही सहारा है.

दो रिक्त सीटों पर नहीं होगा चुनाव !

विधानसभा की दो रिक्त सीटों (रानिया और बादशाहपुर) पर अब उपचुनाव नहीं हो सकेंगे. क्योंकि उपचुनाव के लिए विधानसभा का कम से कम 6 महीने का कार्यकाल बचा होना चाहिए. हरियाणा में अक्टूबर में ही सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में मुश्किल से 5 महीने का ही कार्यकाल बचा हुआ है. इस स्थिति में दोनों खाली सीटों पर चुनाव की उम्मीद ना के बराबर है. यानि विधानसभा का आंकड़ा 88 का ही रहेगा.

7 मई को 3 विधायकों ने लिया समर्थन वापस

नायब सैनी सरकार पर खतरा उस समय आया जब सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने 7 मई को रोहतक में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के साथ प्रेस कान्फ्रेंस करके कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर दिया. तीन विधायकों में चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी के रणदीर गोलन और नीलोखेड़ी के धर्मपाल गोंदर शामिल हैं. हालात बदलते ही जेजेपी ने भी सरकार गिराने में विपक्ष का साथ देने की घोषणा कर दी और राज्यपाल से सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग की. वहीं इनेलो के विधायक अभय चौटाला और निर्दलीय बलराज कुंडू ने भी फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए विपक्ष का समर्थन कर दिया. जिसके बाद नायब सैनी सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा कम हो गया.

 

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