कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी को तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ विज्ञापन छापने से रोक दिया था। इसके खिलाफ BJP ने सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच में याचिका लगाई थी, जिसे सोमवार (27 मई) को खारिज कर दी गई। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- प्रथम दृष्टया ये समझ आता है कि विज्ञापन अपमानजनक था। हम याचिका खारिज करते हैं।
दरअसल, 20 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने एक आदेश में कहा था कि विज्ञापन अपमानजनक है और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं। इसके बाद 22 मई को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा था कि वह सिंगल जज बेंच से पारित हुए अंतरिम आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है।
इस
BJP का दावा- कोर्ट ने हमारा पक्ष सुना ही नहीं
भाजपा ने डिवीजन बेंच के समक्ष इंट्रा-कोर्ट अपील लगाई थी। इसमें दावा किया गया था कि सिंगल जज बेंच ने बिना कोई सुनवाई किए आदेश पारित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दी गई अपनी याचिका में, भाजपा ने कहा है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच को इस बात पर विचार करना चाहिए था कि पार्टी की बात नहीं सुनी गई और सिंगल जज ने केवल एक पक्ष पर रोक लगा दी।
BJP ने कहा कि यह सामने लाना जरूरी है कि हाईकोर्ट ने जो राहत TMC को दी है, वह उसकी अपील में ही नहीं थी। उनकी अपील केवल चुनाव आयोग को कानून के अनुसार कदम उठाने का निर्देश देने वाले अंतरिम आदेश तक ही सीमित थी।
याचिका में यह भी दावा किया है कि सिंगल जज ने आचार संहिता उल्लंघन के आधार पर रोक लगाकर गलती की। उन्होंने यह नहीं देखा कि मामला चुनाव आयोग में। जिसके पास आचार संहिता उल्लंघन करने वाली पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
क्या था पूरा मामला
कुछ विज्ञापनों के प्रकाशन के बाद टीएमसी ने चुनाव आयोग में BJP के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। चुनाव आयोग ने 18 मई को शिकायत के आधार पर BJP को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिस पर 21 मई तक जवाब मांगा गया। इस बीच TMC 20 मई को याचिका लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गई, जहां सुनवाई के दौरान सिंगल जज बेंच ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 4 जून तक आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन पब्लिशन करने से रोक दिया।
कोर्ट ने BJP को उन विज्ञापनों को भी पब्लिश करने से रोक दिया था, जिनके बारे में TMC ने याचिका में कहा था कि इन विज्ञापनों में उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे। डिवीजन बेंच ने कहा था कि भाजपा फैसले के रिव्यू, बदलाव या आदेश वापस लेने के लिए सिंगल जज बेंच में जा सकती है। के बाद BJP ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन लगाई थी। इस याचिका में 20 मई के अंतरिम आदेश के साथ-साथ हाईकोर्ट से पारित आदेश पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.