कम्युनिकेशन किसी भी रिलेशनशिप की लाइफलाइन है। ये सिर्फ मनुष्य तक सीमित नहीं है। जानवरों की भी अपनी भाषा है जिससे वे कम्युनिकेट करते हैं। यहां तक की पौधे भी रसायनिक संकेतों के जरिए संवाद करते हैं।
कम्युनिकेशन एक तरह से अपने विचारों को एक-दूसरे तक पहुंचाना ही तो है। यह अनादि काल से चलता आ रहा है। यह हमें बातचीत करने, सोचने–विचारने, सीखने और चीजों को समझने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और समझ को डेवलप करने के लिए करते हैं।
कम्युनिकेशन हर कोई कर सकता है, लेकिन हर इंसान अच्छा कम्युनिकेटर नहीं होता। यह बनने के लिए थोड़ी मेहनत करनी होती है। अगर आपको सफलता पानी है तो आपका एक बेहतर कम्युनिकेटर होना जरूरी है। ये न केवल आपकी प्रोफेशनल लाइफ बल्कि निजी जीवन में भी बदलाव लाएगा।
रिसर्चगेट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, प्रोफेशनल लाइफ में इफेक्टिव कम्युनिकेशन का बड़ा रोल है। चाहे वह आपके बॉस और कलीग्स के साथ हो या बिजनेस में क्लाइंट्स के साथ हो, हर पेशे में कम्युनिकेशन की जरूरत होती है। इफेक्टिव कम्युनिकेशन स्किल्स दूसरों के साथ इंटरेक्शन को बेहतर बनाती हैं। साथ ही आपके काम में सफलता दिलाने में मदद करती हैं।
इसलिए आज ‘वर्कप्लेस रिलेशनशिप’ में बात करेंगे कम्युनिकेशन स्किल्स की। इसके साथ ही जानेंगे कि-
कम्युनिकेशन करना बात करने से कहीं ज्यादा है। यह लोगों से जुड़ने के बारे में है। कम्युनिकेशन लैटिन भाषा के शब्द ‘कम्युनिकेयर’ से लिया गया है, जिसका मतलब ही है ‘जोड़ना’।
हसन गिल ने कम्युनिकेशन पर एक किताब लिखी है- ‘ब्रिलिएंट कम्युनिकेशन स्किल्स।’ इस किताब में उन्होंने बताया है कि वर्कप्लेस और घर में कैसे आप कम्युनिकेशन के जरिए स्ट्रॉन्ग रिलेशन बना सकते हैं। इसके लिए आप को कम्युनिकेशन स्किल्स सीखने और प्रैक्टिस करने की जरूरत है।
फादर ऑफ कम्युनिकेशन विल्बर श्राम के मुताबकि, आइडिया, इंफॉर्मेशन और एटीट्यूड को शेयर करना ही कम्युनिकेशन है। 1954 में वो एक कम्युनिकेशन मॉडल लेकर आए, जिसमें ये चार तत्व हैं-
कम्युनिकेशन चार तरह से किया जा सकता है- वर्बल कम्युनिकेशन यानी मौखिक, नॉन-वर्बल यानी बिना शब्द यूज किए, विजुअल यानी पिक्चर के साथ और रिटेन कम्युनिकेशन यानी लिखित में की गई बातचीत।
फेमस मोटिवेशनल स्पीकर ब्रायन ट्रेसी कहते हैं “कम्युनिकेशन एक स्किल है, जिसे आप सीख सकते हैं। ये बाइसिकल चलाने या टाइपिंग करने जैसा है। अगर आप इस पर काम करने के लिए इच्छुक हैं तो आप अपने जीवन के हर हिस्से की गुणवत्ता में तेजी से सुधार कर सकते हैं।”
वर्कप्लेस पर जरूरी है इफेक्टिव कम्युनिकेशन
कम्युनिकेशन में सबसे जरूरी वो बात सुनना है, जिसे कहा नहीं जा रहा है। यह कहना है विश्व प्रसिद्ध मैनेजमेंट कंसल्टेंट पीटर ड्रकर का। कम्युनिकेशन का मतलब सिर्फ बात को कह देना नहीं होता। अपनी बात को कितने अच्छे तरीके से आप दूसरे तक पहुंचा रहे हैं, उसका रिस्पॉन्स भी आपको मिल रहा है। यह होता है इफेक्टिव कम्युनिकेशन करना।
ऑफिस में कैसे करें बेहतर कम्युनिकेशन
सबका कम्युनिकेशन करने का तरीका अलग होता है। कभी आपको लग सकता है कि आप अच्छा संवाद कर रहे हैं। लेकिन जिस व्यक्ति से बात कर रहे हैं, उसके बात करने की शैली अलग हो सकती है, जिससे गलतफहमी भी पैदा हो सकती है। यहीं काम करता है कम्युनिकेशन पैटर्न। इसका बेहतर होना जरुरी है। तभी आप एक अच्छे कम्युनिकेटर बन सकते हैं। वर्कप्लेस पर इसका अलग ही इफेक्ट पड़ता है।
वर्कप्लेस पर इफेक्टिव कम्युनिकेशन करने का सबसे पहला स्टेप है- सोशल बनना। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि एम्प्लॉइज ज्यादा एक्टिव रहते हैं। जब ऑफिस में कम्युनिकेशन अच्छा होता है तो आप कलीग के साथ बेहतर तालमेल बिठा पाते हैं।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.