हरियाणा में 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद भाजपा की पूर्व सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गुरुवार को गवर्नर को पत्र लिखा। चौटाला ने कहा कि अगर बहुमत नहीं तो तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। उन्होंने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के भी आरोप लगाए। भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार में दुष्यंत साढ़े 4 साल डिप्टी सीएम रहे।
इस बीच भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ने गवर्नर को समर्थन वापसी का पत्र सौंप दिया है। इसे मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई है।
सरकार अल्पमत में, गवर्नर के पास फ्लोर टेस्ट का अधिकार
इस बारे में दुष्यंत चौटाला ने कहा-'' 2 महीने पहले बनी सरकार अल्पमत में चली गई है। उनको सपोर्ट करने वाले 1 भाजपा और एक निर्दलीय ने इस्तीफा दे दिया। 3 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। जजपा ने खुलकर कहा है कि अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है तो हम उसका समर्थन करेंगे। इसके लिए हमने गवर्नर को लिखित तौर पर भेजा है। जिसमें मांग की है कि संविधान के अनुसार फ्लोर टेस्ट की पावर गवर्नर के पास है। वह सरकार को सदन बुलाकर फ्लोर टेस्ट के लिए आदेश दें।''
2. कांग्रेस बदलाव चाहती है तो गवर्नर को लिखकर भेजे
दुष्यंत ने आगे कहा- ''अब कांग्रेस ने ये कदम उठाना है कि क्या उनके 30 और उनके समर्थन वाले विधायक और विपक्ष के दूसरे MLA क्या भाजपा की सरकार को बदलना चाहते हैं। वह बदलाव के लिए कदम उठाएं। विश्वास खो चुकी सरकार को बदलने के लिए गवर्नर को लिखकर भेजें। हमने कल ही गवर्नर को चिट्ठी भेजी है। 88 विधायक हैं और 45 का समर्थन चाहिए, इससे पता चलेगा कि सरकार के साथ 44 में से कितने विधायक हैं''
3.पिछला अविश्वास प्रस्ताव खट्टर सरकार के खिलाफ, अब सैनी की नई सरकार
दुष्यंत ने कहा कि हम सोचते थे कि हॉर्स ट्रेडिंग बंद हो गई है। मगर, भाजपा ने प्रदेश में इसे नए तरीके से चलाया है। जब तक संगठन के आदेश हों, व्हिप के आदेश हों, सभी विधायकों को उसका पालन करना पड़ेगा। पिछला अविश्वास प्रस्ताव मनोहर लाल की सरकार के लिए आया था। अब नई सरकार मुख्यमंत्री नायब सैनी की अगुआई में बनी है। उसी सरकार के 3 लोगों ने समर्थन वापस लिया है। अब गवर्नर को देखना है कि वह सरकार के बहुमत के लिए फ्लोर टेस्ट कराएं। अगर सरकार के पास बहुमत नहीं तो तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाएं।
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