पुणे हिट एंड रन केस में एक और जानकारी सामने आई है। पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि, आरोपी नाबालिग युवक एक्सीडेंट से पहले अपने दोस्तों के साथ कोसी और ब्लैक मैरियट नाम के दो पब में गया था। पुलिस ने दोनों बार को सील कर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आरोपी लड़का 18 मई को रात करीब 10:40 बजे कोसी पब पहुंचा। यहां उसने 90 मिनट में 48 हजार रुपए का बिल चुकाया था। इसके बाद वह रात करीब 12:10 बजे यानी रविवार को ब्लैक मैरियट गया था। यहां से निकलने के बाद ही रात 2 बजे उसने पोर्श कार से दो IT इंजीनियर्स को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर ही जान चली गई।
ACP मनोज पाटिल ने कहा- ड्राइविंग से पहले आरोपी लड़के ने दोस्तों के साथ शराब पी थी। आरोपी का ब्लड टेस्ट कराया गया है। रिपोर्ट का अभी इंतजार है। पुलिस ने अब तक के सबूतों के आधार पर 17 साल के आरोपी के खिलाफ FIR में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 शराब पीकर गाड़ी चलाना यानी ड्रिंक एंड ड्राइव का चार्ज जोड़ा है।
बोर्ड को आरोपी के दादा ने आश्वासन दिया कि वो अपने पोते को बुरी संगत से दूर रखेंगे। उसकी वोकेशनल स्टडी पर ध्यान देंगे, जो उसके करियर के लिए उपयोगी हो। बोर्ड ने नाबालिग को निर्देश दिया कि वो रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस जाकर ट्रैफिक नियमों की स्टडी करे और 15 दिन में एक प्रेजेंटेशन जमा करे। बोर्ड ने 7500 रुपए की जमानत पर उसे रिहा कर दिया।
पुलिस ने घटना को गंभीर अपराध बताते हुए जुवेनाइल बोर्ड के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने आदेश के रिव्यू के लिए पुलिस को जुवेनाइल बोर्ड जाने का निर्देश दिया। बुधवार को जुवेनाइल बोर्ड ने आरोपी को एक बार फिर नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया है।
आरोपी के पिता ने पुलिस को गुमराह करने के लिए कई कारें बदलीं
बेटे के एक्सीडेंट की खबर सुनने के बाद बिल्डर विशाल अग्रवाल ने पुलिस से बचने के लिए भागने का प्लान बना लिया था। पुलिस को गुमराह करने के लिए वह अपनी कार घर से लेकर निकला और ड्राइवर से मुंबई जाने के लिए कहा। उन्होंने दूसरे ड्राइवर को अपनी दूसरी कार से गोवा जाने के लिए कहा।
विशाल मुंबई जाने के दौरान बीच रास्ते में कार से उतर गया। इसके बाद वह छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) जाने के लिए एक दोस्त की कार का इस्तेमाल किया। पुलिस के मुताबिक, विशाल अग्रवाल ने गुमराह करने के लिए ही कई कारों का इस्तेमाल किया। उसने एक नए सिम कार्ड का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया था, ताकि उसका नंबर ट्रैक न हो सके।
जब पुलिस को जानकारी मिली कि वह अपने दोस्त की कार में है, तो उन्होंने GPS के जरिए गाड़ी को ट्रैक करना शुरू कर दिया। पुणे क्राइम ब्रांच की एक टीम ने CCTV कैमरों के फुटेज का उपयोग करके विशाल अग्रवाल की पहचान की। आखिरकार, 21 मई की रात संभाजीनगर के एक लॉज में छापेमारी कर पुलिस ने विशाल और दो अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
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