उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि वे प्रदेश के इंडस्ट्रियल ढांचे को नया रूप देना चाहते हैं। उनका कहना है कि सरकार नई इंडस्ट्री लाएगी। उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। प्रदेश के हर इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने की गारंटी है। प्रदेश में निवेश, इंडस्ट्रीयल पार्क पॉलिसी, उद्योगों को बिजली-पानी की उपलब्धता पर दैनिक भास्कर से बातचीत के अंश...
Q. प्रदेश में निवेश का माहौल कब बनेगा? क्या इसके लिए इन्वेस्ट समिट पर्याप्त है?
राठौड़ : पिछली सरकार में इन्वेस्ट समिट दावत के अलावा कुछ नहीं था। हम दिसंबर-जनवरी में इन्वेस्ट समिट करेंगे। राजस्थान के प्रवासियों, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। मौजूदा कंपनियों को आगे बढ़ाने के ऑप्शन होंगे। हमारा संकल्प और लक्ष्य प्रदेश काे इंडस्ट्रियल स्टेट बनाने का है।
Q. सिस्टम सुधरेगा कैसे, इंडस्ट्रियल कॉस्ट अत्यधिक है?
राठौड़ : बिजनेस कॉस्ट कम करने जा रहे हैं। ईज ऑफ बिजनेस के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस पर काम कर रहे हैं। उद्योगपति आसानी से उद्योग लगा सकें, इस पर सिस्टम बना रहे हैं। मार्केट कहां है, रॉ-मेटेरियल कहां मिलेगा? कम्युनिकेशन लाइंस क्या है, रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसा है? इनके हिसाब से ही कॉस्ट बिल्डिंग होती है। सिंगल विंडो क्लियरेंस यानी लैंड रेवेन्यू, फॉरेस्ट क्लियरेंस, बिजली, पानी इन सबका तालमेल बैठा रहे हैं। सबकुछ ऑनलाइन होगा। हर स्टेप की टाइमलाइन होगी। डैश बोर्ड बनेगा। किस अधिकारी के पास फाइल अटकी है, यह सब रेड लाइनर में दिखेगा।
Q. जमीन महंगी है और रीको सिर्फ जमीन बेचने वाली संस्था बन गई है, कौन निवेश करना चाहेगा?
राठौड़ : हमारा काम जमीन बेचना नहीं, उद्योग लाना है, ताकि रोजगार के अवसर विकसित हों। उद्योग का ईको सिस्टम विकसित करने जा रहे हैं। चाहे राज्य के फायदे के लिए जमीनें सस्ती दें या बिजली...। राजस्थान को इंडस्ट्रियल स्टेट बनाएंगे। राजस्थान से एक्सप्रेस वे, फ्रेट-इंडस्ट्रियल कॉरिडोर निकल रहे हैं। देखेंगे! कैसे फायदा उठा सकते हैं।
Q. महंगी बिजली के कारण उद्योग शिफ्ट हो रहे हैं?
राठौड़ : उद्योग चाहते हैं उन्हें बिजली गारंटी मिले। यहां बिजली प्रोडक्शन कम है। सोलर एनर्जी के लिए डेढ़ लाख करोड़ के निवेश के लिए एमओयू किया है। उद्योगों को सौर बिजली उत्पादन की छूट दे रहे हैं। पिछली सरकार में उद्योगों पर लगाई कैप हटेगी। (कैप : 1000 किलोवाट से ज्यादा के पैनल नहीं लगा सकते। जितनी कॉन्ट्रेक्ट डिमांड है उससे ज्यादा का उत्पादन नहीं कर सकते।)
यह तब तक होगा जब तक कि बिजली पर प्रदेश सेल्फ रिलायंट न हो जाए। साथ में यह भी करने जा रहे हैं कि वह जो प्लांट उद्योगों में होगा, कैप्टिव प्लांट होगा। केवल उसी इंडस्ट्री के लिए बिजली होगी, जो लगाएगा। हम बैंकिंग फेसेलिटी भी देंगे कि यदि आप एक्सेस बिजली उत्पादन कर रहे हैं तो हम वो बिजली आपको पुन: देंगे।
Q. उद्योगों की जमीनों के लिए भी क्या पॉलिसी बनेगी?
प्रदेश में रीको में नई इंडस्ट्रीयल पार्क पॉलिसी ला रहे हैं। हम रीको के पार्क बेचेंगे नहीं, लीज पर देंगे। प्रोडक्शन शुरू करने की सख्त कंडीशन लगा रहे हैं। ऐसे नहीं चलेगा कि लोग प्लॉट खरीदेंगे, जिन पर रीको लाइट लगाएगा, सड़कें बनाएगा, कॉस्ट बढ़ जाएगी तो उसके बाद बेच देंगे। यह रियल स्टेट का खेल अब नहीं चलेगा। हम लैंड प्राप्त करना आसान करेंगे, लेकिन सीरियस प्लेयर्स के लिए। हमें चाहिए प्रॉडक्शन, मैनुफैक्चरिंग, रोजगार। वे इकॉनोमिक डवलपमेंट के लिए काम करें।
आप उद्योग लगाना चाहते हैं तो हम मदद करेंगे। उसकी गति बढ़ा देंगे। आपके खर्च को अपने ऊपर ले लेंगे। क्लियरेंस जल्दी कराएंगे, लेकिन शर्त यही कि सीरियस प्रॉडक्शन हो। हम मल्टीपल क्लस्टर लेकर आ रहे हैं। जिस तरह की मैनुफैक्चरिंग जहां ज्यादा, वहां उसी का क्लस्टर।
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