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हनुमान बेनीवाल बोले- कांग्रेसी नेताओं को मुझसे डर लगता है कहा- उपचुनाव में 2 सीट देंगे तो करूंगा गठबंधन झूठे हैं किरोड़ीलाल मीणा

इंडिया गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचने वाले हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेताओं को मुझसे तकलीफ है, उन्हें मुझसे डर लगता है। इसके साथ ही बेनीवाल ने साफ किया कि उपचुनाव में इस बार उन्हें दो सीटें मिलेंगी तो ही वे गठबंधन करेंगे।

बेनीवाल ने महिला आरक्षण को लेकर भजनलाल सरकार पर निशान साधा। वहीं, राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा को झूठा करार दिया। 

सवाल -कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अपने लोकसभा चुनाव लड़ा था। अब आप कांग्रेसी नेताओं से नाराज चल रहे हैं। आखिर इसकी वजह क्या है?

जवाब - राजस्थान में बीजेपी को हराने के लिए मैंने गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था। बाकी भला मैं क्यों गठबंधन करता। मुझे गठबंधन की कोई आवश्यकता नहीं थी। मैंने तो 2014 में भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था। 2013 में निर्दलीय चुनाव जीता था। 2018 में पार्टी बनाकर बिना गठबंधन के तीन MLA राजस्थान से जीताकर लाया था। कांग्रेस के कुछ नेता राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन करने के पक्ष में नहीं थे। कांग्रेस के कुछ नेता चाहते थे कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को तोड़ दिया जाए। उनके नेता बाड़मेर से मेरे उम्मीदवार को चुराकर ले गए। अब बड़ी-बड़ी डींगे हाक रहे हैं। जो नेता चुनाव जीता है, वह राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का 6 फीट लंबा झंडा लेकर पूरे चुनाव में घूम रहा था। उसी के आधार पर उसे जीत मिली है।

बाड़मेर का उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की वजह से ही जीता है। बिना राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पूरे राजस्थान में कांग्रेस की हवा बन ही नहीं पाती। कांग्रेस के नेताओं को अगर फिर भी किसी तरह की गलतफहमी है। मैं आज इस्तीफा देने को तैयार हूं। राजस्थान में आठ सांसद कांग्रेस पार्टी से भी जीते हुए हैं। उनमें से कोई भी दो इस्तीफा देकर फिर से चुनाव जीत कर बता दें। मैं भी फिर से चुनाव लड़कर जीतकर बता दूंगा। जब मैं एनडीए में था, हमने उन्हें 25 सीट जिताई थी। इंडिया गठबंधन में जब हम थे। तब मैंने कहा था कि हम भारतीय जनता पार्टी को राजस्थान में 15 पार नहीं करने देंगे। आज उन्हें 15 से नीचे लेकर आ गए हैं। मैंने जो कहा वह करके दिखाया है।

मैं कांग्रेस पार्टी से नाराज नहीं हूं, लेकिन उन नेताओं से कैसे राजी हो सकता हूं। जो ना तो गठबंधन में मेरे साथ थे और ना ही मुझे चुनाव जिताने में मेरे साथ थे। बाड़मेर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार को तोड़कर कांग्रेस की मोहर लगा दी। इस तरह चूरू में भी कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं जीता है। भारतीय जनता पार्टी का नेता जो शामिल हुआ। उस पर कांग्रेस का ठप्पा लगा दिया।

इसी तरह सीकर में भी कम्युनिस्ट जीते हैं। बांसवाड़ा में भी भारतीय आदिवासी पार्टी जीती है। इसके अलावा जो कांग्रेस के नेता जीते हैं। उनसे उनकी स्थिति पूछ लीजिए। अगर हम उनकी मदद नहीं करते तो वह भी नहीं जीत सकते थे। राजस्थान में कांग्रेस ने एक भी सीट बड़े अंतर से नहीं जीती है। 30 हजार, 50 हजार से लेकर 70 हजार से जीत का ही अंतर राजस्थान में रहा है।

लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 20 लाख वोट कांग्रेस पार्टी को मिले हैं। उसका फायदा उन्हें धरातल पर हुआ। इसी वजह से उनके उम्मीदवार जीते हैं। अगर कांग्रेस पार्टी के नेता लोकसभा चुनाव में मेरा इस्तेमाल सही ढंग से करते तो आज राजस्थान में जयपुर ग्रामीण, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, अलवर सीट भी कांग्रेस के खाते में आ जाती।

कांग्रेस के नेताओं को मुझसे तकलीफ थी। उन्हें डर लगता था कि कहीं हनुमान बेनीवाल हेलिकॉप्टर से उड़ेगा तो हमारा कद घट जाएगा। हम दिल्ली में जाकर कैसे कहेंगे कि हमने राजस्थान में इतनी सीट जीता दी है। वैसे भी कांग्रेस के सभी नेता सिर्फ दिल्ली दौड़कर यह बताने और जताने में ही लगे हैं कि हमने इतनी सीट जीता दी हैं। लोकसभा में किसकी वजह से कितनी सीट कैसे आई हैं। उपचुनाव आने वाले हैं, इसकी हकीकत का सबको पता चल ही जाएगा।

सवाल - राजस्थान में होने वाले पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव में क्या आप फिर से कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगे?

जवाब - राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी खींवसर की सीट के साथ ही देवली - उनियारा सीट पर भी मजबूत पकड़ रखती है। हमारी पार्टी को देवली-उनियारा में 20 हजार वोट मिले थे। इसलिए मैं पूरी कोशिश करूंगा कि अगर गठबंधन हो तो मुझे देवली-उनियारा की सीट भी मिले। अगर ऐसा होगा तभी गठबंधन होगा, वरना गठबंधन नहीं किया जाएगा। क्योंकि मुझे मेरी पार्टी को राजस्थान में मजबूत करना है। मैंने नरेंद्र मोदी और अमित शाह का घमंड तोड़ने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। मैं कांग्रेसी नहीं हूं, ना ही कभी कांग्रेसी रहा हूं। कांग्रेस के नेता इस गलतफहमी में नहीं रहे कि उन्होंने मुझे चुनाव जीता दिया है।

सवाल - तो क्या आप फिर से एनडीए में शामिल होने जा रहे हैं?

जवाब - एनडीए के साथ में बिल्कुल नहीं जा रहा हूं। अग्निवीर योजना का विरोध करने वाला में देश का एकमात्र सांसद बचा हूं। मैं चाहता हूं की अग्निवीर योजना की समीक्षा नहीं होनी चाहिए। उसे पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए। आज भारतीय जनता पार्टी के नेता भी अग्निवीर योजना को अपनी हार का जिम्मेदार बता रहे हैं। जब इस योजना को लागू किया गया था, तब यही नेता सोशल मीडिया पर इसकी तारीफ कर रहे थे। अब अग्निवीर पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।

सवाल - 6 महीने में ही अपने विधायक कोष का सारा पैसा खर्च कर दिया। आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों की?

जवाब - विधायक या सांसद कोष का पैसा एक दिन में खर्च करें या फिर 15 दिन में खर्च करें। यह विधायक और सांसद का अधिकार होता है। इससे लोगों को भी पता चलता है कि उनका विधायक जिसे उन लोगों ने चुनकर भेजा है। वह उनसे प्यार करता है। उनकी समस्याओं को समझता है। इसी सोच के साथ मैंने भी अपने विधायक कोष का पैसा खर्च किया था।

मुझे सरकार की मानसिकता पर दुख होता है। जो पांच विधायक सांसद बनकर जा रहे हैं। उनके विधायक कोष की फाइल चीफ मिनिस्टर ने मंगा ली है। ग्रामीण विकास मंत्री की भी इसमें मिली भगत है। क्योंकि वह कह रहे हैं कि जो विधायक सांसद बन गए हैं। उन्हें बजट नहीं मिलना चाहिए। इससे ज्यादा ओछी मानसिकता राजस्थान सरकार की नहीं हो सकती है। क्या इतना वक्त विधायक रहने के बाद भी हम अपने मद का पैसा जनता के लिए खर्च नहीं कर सकते थे।

वसुंधरा राजे की सरकार के वक्त भी प्रदेश की 199 विधानसभा सीटों पर विधायकों को अपने मद का पैसा खर्च करने का अधिकार था। लेकिन मेरी विधानसभा में वह विधायक कोष का पैसा खर्च नहीं करने देती थीं। इसके बाद मैंने कोर्ट जाकर अपनी विधानसभा के काम करवाए थे। अब भी मैं कोर्ट जाऊंगा और अपनी विधानसभा के काम करवाऊंगा। सरकार से हमारा पैसा रिलीज करने के लिए मुझे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ही क्यों न जाना पड़े। हमारे पैसे को रोकने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री नए नियम बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

सवाल - राजस्थान सरकार ने ग्रेड थर्ड टीचर्स भर्ती में 50% महिला आरक्षण देने का फैसला किया है। क्या आप सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं?

जवाब - मैं महिला विरोधी नहीं हूं, लेकिन युवाओं के भी साथ हूं। मेरा मानना है कि सरकार को आनन-फानन में कोई फैसला नहीं करना चाहिए था। उन्हें युवाओं की बात को भी सुनना चाहिए था। एकदम से 50% आरक्षण देने के फैसले से युवाओं में भारी आक्रोश है। वैसे भी राजस्थान की बच्चियां आजकल बहुत अच्छा रिजल्ट लाती हैं। सब जगह लड़कियां ही टॉप करती है। 50% तो उन्हें वैसे भी मिल ही जाता है। सरकार ने जो 30% का आरक्षण बढ़कर सीधे 50% कर दिया है। इससे राजस्थान के युवा नर्वस हो चुके हैं। उन्हें अब यह डर लगने लगा है कि भविष्य में होने वाली सभी भर्तियों में कहीं सरकार महिलाओं को 50% आरक्षण देने का फैसला न कर दे।

मैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से यही मांग करता हूं कि यह दोनों नेता सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी में 50% आरक्षण देने के फैसले को लागू करें। मंत्रिमंडल और संगठन में 50% पदों पर महिलाओं को नियुक्ति दी जाए। उसके बाद अगर भर्तियों में महिलाओं को आरक्षण देने के फैसले को लागू करेंगे तो ज्यादा अच्छा मैसेज जाएगा

सवाल - किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान में 7 में से एक भी लोकसभा सीट हारने पर इस्तीफा देने का ऐलान किया था। फिलहाल उन्होंने चुप्पी साथ रखी है। आपको क्या लगता है, वह सरकार का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं?

जवाब - मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किरोड़ीलाल मीणा से मिले भी थे। किरोड़ीलाल तो कुछ भी कहते रहते हैं। 5 साल जब वह दिल्ली में रहे, तब भी वह परेशान ही रहते थे। उनकी आदत है, वह कभी संतुष्ट नहीं होते हैं। जो भी उनका मित्र या साथी होता है। वह उससे भी जल्दी ही मुंह फेर लेते हैं। यह उनकी आदत है। वह जो कहते हैं, वह करते नहीं है। उन्होंने मुझे भी कहा था वसुंधरा राजे को भगाएंगे, वसुंधरा राजे के साथ कभी नहीं जाएंगे। लेकिन मुझे खाना खाता हुआ छोड़कर वह वसुंधरा राजे के साथ चले गए थे। उन्होंने मुझे भी झूठ बोला था। डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा की यह पुरानी आदत है। इस उम्र में अब नहीं बदला जा सकता है।

सवाल - लोकसभा चुनाव के बाद क्या सचिन पायलट से बातचीत हुई। क्या अब आप दोनों के बीच विवाद खत्म हुआ है?

जवाब - मैंने सचिन पायलट की दो बार मदद कर रखी है। सरकार गिराने के वक्त भी मैंने उनकी मदद की थी। तीन MLA जब मेरे जीत कर आए थे। तब भी मैंने कहा था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाओ। मेरे यहां तो वह सभा करने नहीं आए थे। जबकि मैंने उन्हें बुलाया था। मेरे यहां 30 से 40 हजार गुर्जर हैं। अगर वह आते तो मुझे इसका फायदा मिलता। लेकिन नहीं आने से भी नुकसान नहीं हुआ। वैसे भी यह लोग मेरे से खुश नहीं है। इन्हें तो चापलूस या उठाई गिरे टाइप के लोग पसंद आते हैं। मैं तो लीडर हूं, मुझे कोई दूसरा नेता कैसे पसंद कर सकता है।

सवाल - खींवसर उपचुनाव क्या एक बार फिर आप अपने परिवार के सदस्य को टिकट देंगे। पार्टी के किसी कार्यकर्ता को मौका दिया जाएगा?

जवाब - खींवसर उपचुनाव मेरे लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। वहां के प्रत्याशी को लेकर मैं 5 से 7 लोगों का सर्वे कर रहा हूं। जो भी खींवसर की जनता के मन को भाएगा, मैं उसे ही टिकट दूंगा। चाहे वह मेरे परिवार कहो या फिर कोई कार्यकर्ता ही क्यों ना हो।

सवाल - नीट पात्रता परीक्षा को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का उसे पर क्या स्टैंड है?

जवाब - नीट परीक्षा रद्द होने के साथ ही इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। बीजेपी के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुरुआत में कहा था कि किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। इसके बाद छात्रों के साथ नेताओं ने विरोध किया। मीडिया ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया। उसके बाद धर्मेंद्र प्रधान ने भी नीट पेपर में गड़बड़ी की बात को स्वीकार किया है। इसलिए इस पूरे मुद्दे की सीबीआई से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो भी व्यक्ति इसमें दोषी हैं। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के इससे पहले भी कई एग्जाम करवाए हैं। उन सभी की जांच होनी बेहद जरूरी है।

राजस्थान में भी पिछले 10 साल में काफी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। पूर्व वसुंधरा सरकार से लेकर गहलोत सरकार के कार्यकाल में लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। वहीं, जयपुर में पूर्व मंत्री ही नीट पेपर लीक के खिलाफ धरना दे रहे हैं। जो खुद राजस्थान में रीट का पेपर लीक कर चुके हैं। अगर रीट पेपर लीक की ढंग से सीबीआई की जांच हो गई तो नीट मामले में जयपुर में प्रदर्शन करने वाले भी जेल जाएंगे।

इसके साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में पेपर लीक जैसी घटनाओं पर अंकुश लग सके। क्योंकि छात्र काफी भावुक होते हैं। आजकल छात्र छोटी-छोटी बातों पर सुसाइड कर रहे हैं। नीट परीक्षा में भी जिन लोगों ने मेहनत कर परीक्षा पास की थी। अब उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ होगा, जो पूरी तरह गलत है। इसलिए मैं सरकार से यही मांग करता हूं कि अब फिर से नीट परीक्षा के लिए छात्रों को कम से कम 3 से 4 महीने तैयारी का भी वक्त दिया जाए।

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