सड़क जहां से होकर देश-दुनिया से आए श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं। पहली ही बारिश में यह सड़क कई जगह धंस गई। जगह-जगह हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण अयोध्या का रामपथ...वो ठीक से नहीं हुआ है।
राम मंदिर के अलावा हनुमान गढ़ी, बिरला धर्मशाला और राम की पैड़ी को जोड़ने वाली 13 किलोमीटर की यह सड़क पहली ही बारिश में 13 जगह धंस गई है। तस्वीरें देशभर में सुर्खियों में आई तो सरकार पर सवाल खड़े हुए। ्आर
आखिरकार शुक्रवार रात को यूपी सरकार ने पहले PWD के 3 अफसरों को सस्पेंड किया। कुछ देर बाद इस सड़क का सीवर बनाने वाली अहमदाबाद की कंपनी को नोटिस जारी किया। थोड़ी देर बाद जल निगम के भी 3 अफसरों को भी सस्पेंड करना पड़ा।
टीम ने यहां पहुंचकर जाना कि आखिरकार 844 करोड़ की लागत से बनने वाली यह सड़क पहली बारिश में ही कैसे खराब हो गई? क्या जल्दबाजी में ऐसा हुआ या फिर निर्माण की गुणवत्ता में कमी रह गई? सड़क निर्माण में क्या बड़ी खामियां रहीं? इसका जवाब जानने के लिए हम उन जिम्मेदारों से भी मिले, जिन्होंने सड़क बनवाई है।
8 फीट तक गहरे हो गए गड्ढे
रामपथ 12.94 किमी के रामपथ पर कई गड्ढे तो 8 फीट से ज्यादा गहरे हो गए थे। सबसे ज्यादा सड़क की खस्ता हालत पोस्ट ऑफिस तिराहे से रिकाबगंज चौराहे के बीच दिखी। यहां सबसे ज्यादा सड़क धंसी है। यह वह हिस्सा है जिसे सबसे आखिरी में बनाया गया था।
बारिश के बाद JCB का वजन भी नहीं सह पा रही सड़क
सड़क पर ज्यादातर गड्ढे मेनहोल के आसपास हुए हैं। JCB जब गड्ढे को पाटने पहुंची तो सड़क उसका वजन भी सह नहीं पाई। सड़क दरकने लगी। सड़क धंसने के चलते यहां से गुजरने वाले लोगों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
अब जानते हैं 3 वजह, जिसके कारण सड़क की ऐसी दुर्दशा हुई
रामपथ की दुर्दशा क्यों हुई। ये जानने के लिए हमने PWD के रिटायर्ड इंजीनियर को साथ में लिया और सड़क का मुआयना किया। यह इंजीनियर कुछ दिन पहले ही विभाग से रिटायर हुए हैं। कार्रवाई के डर से इन्होंने अपना नाम नहीं छापने की शर्त रखी। इन्होंने जो बताया उससे 3 वजह सामने आई।
1- सही तरीके से रोलिंग नहीं
रामपथ पर सीवर लाइन के मेनहोल की जगह ठीक से रोलिंग नहीं की गई। यानी उसे दबाया नहीं गया। सड़क के नीचे पाइप लाइनों का जाल बिछा है। इसमें 12 से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट है। यूटिलिटी डक्ट वह हिस्सा है जिसे खोलकर पाइप लाइन की मरम्मत की जा सकती है या नई पाइप लाइन डाली जाती है। यानी, सड़क को खोदना नहीं पड़ता है और अंडरग्राउंड केबिल या पाइप डाला जा सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे में सड़क बनाते समय प्रॉपर रोलिंग का होना जरूरी है।
2- सड़क के अंदर ड्रेनेज की सफाई नहीं की बारिश का पानी निकालने के लिए सड़क में अंडरग्राउंड पाइप लाइन डाली गई है, जिसे स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज कहते हैं। इसकी सफाई प्रॉपर तरीके से नहीं की गई। इस वजह से बारिश का पानी निकल नहीं पाया और जमा हो गया। एक्सपर्ट्स मानते हैं- अगर डामर रोड पर पानी इकट्ठा हो जाए, तब भी सड़क में गड्ढे हो सकते हैं। इसके लिए स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज की सफाई जरूरी होती है।
3- समय से पहले हैंडओवर का दबाव
रामपथ बनाने के लिए कम समय मिला। रामपथ बनाते समय तय टाइम लाइन से 4 महीने पहले ही सड़क हैंडओवर करने के लिए कहा गया। इस कारण सड़क की सभी लेयर प्रॉपर तरीके से सेट नहीं हो पाईं। ऐसे में बारिश का पानी जैसे ही सड़क के नीचे गया, सड़क धंसने लगी।
रामपथ को बनाने के लिए 485 दिन की टाइमलाइन तय हुई थी, लेकिन जल्दबाजी में इसे 341 दिन में यानी 140 दिन पहले बनाया गया।
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