- नए कानूनों के अनुसार आपराधिक मामलों में फैसला सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर आना चाहिए और पहली सुनवाई के 60 दिनों अंदर आरोप तय किए जाने चाहिए।
- बलात्कार पीड़ितों का बयान एक महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी। इन केसों में मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर आनी चाहिए।
- ऑर्गनाइज्ड क्राइम और आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लिखा-पढ़ा जाएगा। सभी तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी होगी।
8 राज्यों में कानूनों के लागू होने से पहले की तैयारी क्या...
- मध्यप्रदेश: सभी पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। लेकिन राज्य के सभी 27 हजार आईओ को टैबलेट-फोन (हार्डवेयर) अभी नहीं दिया गया है। महिला आईओ की फिलहाल पर्याप्त संख्या नहीं।
- छत्तीसगढ़: सभी पुलिस अफसरों, एसडीएम और निगम के अफसरों को 10 दिन की ट्रेनिंग दी गई। लेकिन जीरो एफआईआर के प्रावधान को पूरा करने के लिए थानों में पर्याप्त स्टाफ अभी नहीं है।
- राजस्थान: फील्ड में तैनात आईओ-वरिष्ठ अफसरों को ट्रेनिंग, पीएचक्यू, आरएसी, विजिलेंस और इंटेलिजेंस की ट्रेनिंग देनी बाकी है। एफएसएल की अनिवार्यता के लिए संसाधनों का अभाव है।
- झारखंड: वरिष्ठ-कनिष्ठ स्तर के अफसरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। टेक्नीकल ट्रेनिंग अभी बाकी है। इसमें नए कानूनों, इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के प्रावधान शामिल हैं। इसके लिए कमेटियां बना दी गई हैं।
- हिमाचल प्रदेश: ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम पर काम चल रहा है। पहाड़ी राज्य होने के कारण ऑनलाइन एफआईआर के लिए इंटरनेट इंफ्रा बढ़ाना होगा। 1200 पुलिसकर्मियों की भर्ती बाकी है।
- पंजाब: नए कानूनों को लागू करने के लिए क्राइम विंग के डीजीपी को विशेष जिम्मेदारी तय की गई है। नए कानूनों के लिए लाॅ अफसरों को लगाया गया है। 422 थानों को कंप्यूटराइज्ड किया गया है।
- बिहार: 1300 थानों में नए कानूनों का सॉफ्टवेयर अपलोड, हैंडबुक भी दी। 25 हजार पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है। हर थाने में फोरेंसिक टीम, एसपी रोज एक घंटे पीड़ितों से संवाद करेंगे।
- महाराष्ट्र: सभी रैंक के 90 फीसदी पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। गाइडेंस के लिए 74 वीडियो जारी किए जा चुके हैं। तीनों नए कानूनों का मराठी अनुवाद सभी पुलिसकर्मियों को दिया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इन कानूनों को लागू करने से रोकने की मांग की थी। बंगाल CM ने संसद से इन कानूनों की नई समीक्षा कराने की मांग की थी।ममता ने 20 जून को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम से मुलाकात की थी। चिदंबरम इन तीनों कानूनों की जांच को लेकर बनाई गई संसद की स्थायी समिति के सदस्य थे।
ममता ने ये भी कहा था- मेरा भरोसा है कि अगर कानून लागू नहीं होते और उनका रीव्यू किया जाता है तो इससे लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा और देश में कानून का शासन लागू होगा।