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राजस्थान में आज होंगे ये 5 बड़े बदलाव: हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं तो कटेगा 5000 तक का चालान, किसी को धर्म के नाम पर मारा तो फांसी

हत्या के लिए अब IPC की धारा 302 नहीं, भारतीय न्याय संहिता की धारा-103 लगेगी। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून 163 साल बाद खत्म हो गए हैं।

अगर 5000 से कम की चोरी करते पकड़े गए तो कोर्ट गली-मोहल्ले में झाड़ू लगाने की सजा भी सुना सकती है। कानून में नए बदलावों से आमजन को बड़ा फायदा भी होगा। मोबाइल, वॉट्सऐप और ई-मेल पर ई-एफआईआर दर्ज हो सकेगी।

इसके साथ ही कई बड़े बदलाव हैं, जो राजस्थान में आज (सोमवार) से लागू हो रहे हैं। मोबाइल सिम चोरी होने या फिर पोर्ट कराने पर नई सिम को एक्टिवेट कराने में 7 दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा। आज से बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के वाहन का 5000 रुपए तक का चालान काटा जाएगा।

ऐसे और कौन से बड़े बदलाव हैं, इनसे आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा। आइए जानते हैं…

हत्या के लिए अब धारा 302 नहीं, भारतीय न्याय संहिता-103 लगेगी

सीनियर एडवोकेट अनिल सोनी ने बताया कि नए अधिनियम भारतीय न्याय संहिता 2023 में 20 अध्याय और 358 धाराएं बनाई गई हैं। भारतीय दंड सहिता 1860 में 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं। भारतीय न्याय संहिता 2023 को 1 जुलाई से यानी आज सोमवार से ही लागू कर दिया गया है। अब देश में चली आ रही 163 वर्ष पुरानी आईपीसी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।

 

पहले क्या होता था?: किसी की हत्या करने पर पहले पुलिस धारा 302 में मुकदमा दर्ज करती थी। हत्या के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था। हत्या के प्रयास पर आईपीसी की धारा 307 में मुकदमा दर्ज होता था। इसमें सिर व शरीर के अंगों पर गंभीर चोटें लग जाती थीं।

अब क्या बदलाव किया? : अब हत्या का मुकदमा भारतीय न्याय संहिता की धारा- 103 में दर्ज किया जाएगा। नई धारा में एक नया क्लॉज जोड़ा गया है। यदि 5 या 5 से अधिक लोगों का समूह मिलकर जाति, मूल वंश या समुदाय, जन्म स्थान और भाषा को लेकर हत्या करते हैं, हैं तो मॉब लिचिंग कहा जाता है।

ऐसे में उन सभी दोषियों को आजीवन कारावास या फिर फांसी की सजा के साथ-साथ जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। हत्या के प्रयास का मुकदमा अब भारतीय न्याय संहिता की धारा-109 के तहत दर्ज होगा। इसमें भी 10 वर्ष की सजा का प्रावधान रहेगा।

पहले क्या?: भारतीय दंड संहिता में पहले घर या दुकान व किसी प्रकार की चोरी की घटना किए जाने पर धारा 378 से 382 के मुकदमा दर्ज होता था। धारा 379 व अन्य धाराओं में चोरी के आरोप सही पाए जाने पर 3 साल की सजा का प्रावधान था।

अब क्या?: अब 303 से 307 में चोरी जैसे अपराधों में मुकदमा दर्ज होगा। दोषी को 3 साल की सजा मिलेगी। एक बार सजा प्राप्त अपराधी दोबारा से चोरी का अपराध करता है तो कठोर कारावास के तहत 5 साल की सजा होगी।

इसमें एक खास बदलाव किया गया है यदि चोरी के रुपए 5000 या उससे कम हैं और दोषी होने पर अपराधी चोरी किए रुपए लौटा देता है तो उसे कम्युनिटी की सजा दी जाएगी। जैसे गली-मोहल्ले में साफ-सफाई, पेड़-पौधों में पानी देने, पार्कों में साफ-सफाई की सजा दी जा सकती है।

 

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