भारतीय मौसम विभाग (IMD) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने सोमवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जुलाई में देशभर में 106% बारिश होगी। जून के आखिरी चार दिनों में मानसून ने जो रफ्तार पकड़ी है, उसके जुलाई में भी जारी रहने का अनुमान है।
जुलाई के आखिरी में ला-नीना कंडीशन उभरने के संकेत मिल रहे हैं, जो बारिश के लिए अनुकूल साबित होंगी। मानसून के पहले महीने जून में 10.9% बारिश की कमी दर्ज हुई है। सामान्य रूप से 165.3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 30 जून तक केवल 147.2 मिमी बारिश दर्ज हुई।
8 से 26 जून के बीच लगातार सामान्य से कम बारिश हुई। खासतौर पर 10 से 18 जून के बीच बारिश में भारी कमी रही। 19 जून से बारिश में सुधार आया। आखिरी चार दिन देश में भारी बारिश हुई, जिसके चलते 26 जून को बारिश में जो 20% की कमी थी, 30 जून को वह केवल 10.9% रह गई।
उत्तर-भारत में 123 साल बाद सबसे गर्म रहा जून
IMD ने बताया कि इस साल जून में उत्तर-पश्चिमी भारत यानी जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 123 साल बाद सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी है।
इन राज्यों में औसत तापमान 31.73 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो कि सामान्य से 1.65 डिग्री ज्यादा रहा। यह 1901 (123 साल) के बाद से सबसे ज्यादा है। वहीं महीने भर का औसत अधिकतम तापमान 38.2 डिग्री रहा, जो कि सामान्य से 1.96 डिग्री ज्यादा है। औसत न्यूनतम तापमान 25.44 डिग्री रहा, जो कि सामान्य से 1.35 डिग्री ज्यादा है।
इस साल 40 हजार से ज्यादा हीटस्ट्रोक के मामले
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सबसे गर्म और लंबे हीटस्ट्रोक पीरियड में हीटस्ट्रोक के 40,000 से ज्यादा मामले और गर्मी से संबंधित 100 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। अप्रैल से जून के दौरान देश के लगभग 40% हिस्से में सामान्य से दोगुने हीटवेव के दिन दर्ज किए गए।
राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, जबकि कई स्थानों पर रात का तापमान लगभग 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा। दिल्ली में 13 मई के बाद से 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान वाले लगातार 40 दिन दर्ज किए गए। इस साल दिल्ली में गर्मी से लगभग 60 मौतें हुईं।
IMD ने पहले अनुमान लगाया था कि गर्मी के मौसम में हीटवेव के 4-8 दिनों की बजाय 10 से 20 दिन होंगे। हालांकि, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और गुजरात सहित पूर्वी, उत्तरी और मध्य भारत के विभिन्न हिस्सों में हीटवेव वाले 20 से 38 दिन दर्ज किए गए।
20 बड़े राज्यों में से सिर्फ 4 में सामान्य से अधिक बारिश हुई
महापात्रा ने बताया कि जून में देश के 20 बड़े राज्यों में से सिर्फ 4 में ही सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 10 में सामान्य और 10 में सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। इनमें तमिलनाडु में सामान्य से 116%, आंध्र प्रदेश में 67%, दिल्ली में 39% और तेलंगाना में 20% ज्यादा बारिश हुई है।
उत्तर-पश्चिम भारत (जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली) में 33%, मध्य भारत (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में 14% और पूर्व (बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार) और पूर्वोत्तर भारत (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम) में 13% कम बारिश हुई है।
IMD के डेटा के अनुसार, पिछले 25 में से 20 साल में जब जून में बारिश सामान्य से कम (लंबी अवधि के औसत का 92% से कम) रही तो जुलाई में बारिश सामान्य (LPA 94-106%) या सामान्य से अधिक रही। 25 में से 17 साल में जब जून में बारिश सामान्य से कम रही, मानसूनी बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक रही।
अगस्त-सितंबर में ला-नीना कंडीशन प्रभावी होने का अनुमान
मौसम विभाग ने बताया कि देश में अच्छी मानसूनी बारिश के लिए जरूरी ला-नीना कंडीशन अगस्त-सितंबर में प्रभावी होने की संभावना है। ला-नीना में समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। ला-नीना से दुनिया भर के मौसम में असर पड़ता है।
इससे आसमान में बादल छाते हैं और बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करता है। भारत में ला-नीना के वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है।
भारी बारिश से इन राज्यों में बाढ़ का खतरा
वहीं जुलाई में भारी बारिश के चलते पश्चिमी हिमालयाई राज्यों (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की नदियों के बेसिन में बाढ़ आने का खतरा है। हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से कम बारिश की आशंका के चलते कम बाढ़ आने का अनुमान है।
IMD ने रविवार को देश के 25 राज्यों में आज और अगले 5 दिन बारिश का रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया था। इनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, झारखंड, दक्षिण और नॉर्थ-ईस्ट के राज्य शामिल हैं।
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