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ईरान में आज राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव पिछली वोटिंग में किसी को बहुमत नहीं मिला था; सईद जलीली और मसूद पजशकियान में टक्कर

रान में आज राष्ट्रपति पद के दूसरे चरण के लिए वोटिंग चल रही है। इससे पहले देश में 28 मई को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। इसमें किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला था।

ईरान में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के लिए 50% वोट हासिल करना जरूरी होता है। पिछले हफ्ते हुए चुनाव में पजशकियान को 42.5% वोट मिले थे, जबकि सईद जलीली 38.8% वोट मिले।

इन दो उम्मीदवारों में से कोई भी 50% हासिल नहीं कर पाया। इसलिए आज हो रहे चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले इन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।

सबसे अधिक मसूद पजशकियान को मिला वोट
पिछली हफ्ते चुनाव आयोग के प्रवक्ता मोहसेन इस्लामी ने कहा था कि चुनाव में 2 करोड़ 45 लाख वोट पड़े। इसमें सबसे अधिक 1 करोड़ 4 लाख वोट मसूद पजशकियान को मिले। दूसरे नंबर पर सईद जलीली रहे जिन्हें 94 लाख वोट मिले थे।

तीसरे नंबर पर संसद के स्पीकर मोहम्मद बाकर कालीबाफ रहे जिन्हें 33 लाख वोट मिले और आखिरी नंबर पर रहने वाले मुस्तफा पोरमोहम्मदी को 2 लाख 6 हजार वोट मिले थे।

कौन हैं मसूद पजशकियान ?
तबरेज से सांसद मसूद पजशकियान की पहचान सबसे उदारवादी नेता के रूप में रही है। ईरानी मीडिया ईरान वायर के मुताबिक लोग पेजेशकियन को रिफॉर्मिस्ट के तौर पर देख रहे हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी का करीबी माना जाता है। पजशकियान पूर्व सर्जन हैं और स्वास्थ्य मंत्री के पद पर हैं। डिबेट में ये कई बार हिजाब का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि किसी को भी मोरल पुलिसिंग का हक नहीं है।

पजशकियान सबसे पहले 2006 में तबरीज से विधायक बने थे। वे अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं। 2011 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन बाद में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।

छाया हिजाब का मुद्दा
इस चुनाव में पहली बार ऐसा हो रहा है जब भ्रष्टाचार, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, प्रेस की आजादी, प्रतिभा पलायन रोकने जैसे नए मुद्दे छाए हुए हैं।

सबसे चौंकाने वाला चुनावी मुद्दा हिजाब कानून का है। 2022 में ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन और उसके बाद सरकार के द्वारा उसके दमन के चलते कई वोटर्स के जेहन में यह सबसे बड़ा मुद्दा रहा है।

हिजाब लंबे समय से धार्मिक पहचान का प्रतीक रहा है, लेकिन ईरान में यह एक राजनीतिक हथियार भी रहा है। 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान में जब से हिजाब का कानून लागू हुआ था, तब से महिलाएं अलग-अलग तरह से इसका विरोध करती रही है। ईरान के 6.1 करोड़ वोटर्स में से आधे से ज्यादा महिलाएं हैं।

ईरान में चुनाव से जुड़े नियम

  • 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी शख्स नेशनल आईडी कार्ड दिखाकर वोट दे सकता है।
  • देश भर में 58,640 बूथों पर चुनाव बैलेट बॉक्स के जरिए वोटिंग हो रही है।
  • वोटिंग बूथ स्कूल, मस्जिद और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर बने हैं।
  • राष्ट्रपति चुनाव 40 से 75 साल के बीच के व्यक्ति ही लड़ सकते हैं।
  • चुनावी नतीजे के बाद ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामेनई नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले इसके नतीजों को मंजूरी देंगे।

 

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