जयपुर नगर निगम में मृतक आश्रितों के नाम पर फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी लगाने का आरोप लगा है। जयपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत की। इसके बाद राजस्थान सरकार पूरे मामले को लेकर हरकत में आई। अब इस मामले की जांच की जा रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता महेश सारसर ने बताया- जयपुर नगर निगम में मृतक आश्रितों के नाम पर गलत तरीके से सरकारी नौकरी लगाने का काला खेल चल रहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से अब तक सैकड़ों लोग इस तरह नगर निगम में नियुक्ति हासिल कर चुके हैं। इनके खिलाफ मैंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, राज्यपाल और लोकायुक्त में शिकायत की थी। इसके बाद नगर निगम की टीम अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
अधिकारी ही गलत दस्तावेज बनाते हैं
महेश ने बताया कि नगर निगम के ही कुछ अधिकारी गलत दस्तावेज बनाते हैं। झूठे गोदनामे से लेकर दत्तक पुत्र के फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर उन पर मोहर लगवाने के लाखों रुपए हड़प रहे हैं। महज 4 से 5 लाख रुपए लेकर मृतक आश्रितों की नौकरी को बेचा जा रहा है। इसके तथ्यों के साथ प्रमाण मैनें प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर मुख्य सचिव तक भेज दिए हैं। अब मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है, सरकार और प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेगा
नगर निगम हेरिजेट के सेनेटरी इंस्पेक्टर ने अपने बेटे की नौकरी लगवाई
महेश ने बताया- इनमें नगर निगम में तैनात कर्मचारी सबसे ज्यादा अपने बेटे और बेटियों की सरकारी नौकरी लगवा रहे हैं। नगर निगम हेरिटेज में सेनेटरी इंस्पेक्टर पद पर तैनात कमल चंद ने अपने बेटे शाहुल कुमार को उंगता देवी का दत्तक पुत्र बना दिया। फिर गलत दस्तावेजों के आधार पर नौकरी लगवा दी। उंगता देवी के असली बेटे सोनू की पहले से ही सरकारी नौकरी है। शाहुल कुमार के सभी दस्तावेज झूठे और फर्जी हैं। इसके प्रमाण भी नगर निगम में जमा हो चुके हैं।
महेश ने कहा कि सैकड़ों लोग मृतक आश्रित कोटे से अब तक नौकरी हासिल कर चुके हैं। उनके दस्तावेजों की भी जांच होनी चाहिए। ताकि नगर निगम में हुए सबसे बड़े नौकरी घोटाले की असलियत आम जनता को भी पता चल सके। इसके साथ ही भविष्य में भी मृतक आश्रितों की नौकरी को लेकर सख्त नियम बने चाहिए। ताकि इस तरह के गड़बड़ और घोटाले को भविष्य में होने से रोका जा सके।
शाहुल कुमार बोले- मेरे मामले की जांच चल रही
मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी हासिल करने वाले शाहुल कुमार से कहा- मेरे मामले की जांच चल रही है। अगर मेरी नौकरी गलत होगी तो सरकार मुझे नौकरी से हटा देगी। मैं थोड़ा कम पढ़ा लिखा हूं, ज्यादा तो नहीं समझता हूं। नौकरी लगने के वक्त मैंने मेरे डॉक्यूमेंटेशन का काम किसी और को दिया था। शायद उसने ही कुछ गलती हो गई होगी।
नगर निगम कमिश्नर अभिषेक सुराणा ने कहा- मृतक आश्रितों की फर्जी नियुक्ति को लेकर कुछ शिकायतें सामने आई है। इनकी जांच की जा रही है। जांच पूरी होने पर जो भी व्यक्ति इसमें दोषी होंगे। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही भविष्य में इस तरह की लापरवाही ना हो, इसको लेकर भी पुख्ता व्यवस्था की जाएगी।
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