बच्चों में दिल से संबंधित बीमारियों का ग्राफ थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले 5 साल में 5 हजार 490 दिल की बीमारी से पीड़ित बच्चे पहुंचे। इनमें से आधे यानी 50 फीसदी बच्चे जन्मजात हृदय रोगी मिले। 385 (7 फीसदी) ऐसे हैं, जिन्हें जन्म के समय बीमारी नहीं थी, लेकिन बाद में दिल कमजोर व शरीर नीला पड़ने जैसी दिक्कतें सामने आईं।
इसका खुलासा जेके लोन अस्पताल के पिछले 5 साल के आंकड़ों की पड़ताल से हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल जेके लोन में पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी का विभाग और कार्डियक आईसीयू नहीं है। ऐसे में बच्चों को एसएमएस अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है। लेकिन एसएमएस अस्पताल में भी बच्चे का उच्च स्तरीय कार्डियक आईसीयू नहीं है। ऐसे में हर माह 15 से 20 बच्चे एम्स दिल्ली भेजे जाते हैं।
देश में हर साल 2 लाख बच्चे जन्मजात हृदय रोगी
एम्स दिल्ली द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति हजार में 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित होते हैं और हर साल करीब दो लाख बच्चे जन्मजात दिल की बीमारी से ग्रसित होते हैं।
जेके लोन की खामियां
ये लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं
बच्चे का शरीर का पीला पड़ना, होठों के आसपास नीला पड़ना, वजन कम होना और धीमी गति से बढ़ना, बार-बार फेफड़ों का संक्रमण होना, अचानक से तेज पसीना आना, गर्मी में भी कंपकंपी, मिल्क-फीड के समय रोना। सांस लेने में दिक्कत व सांस फूलना।
इसी साल कार्डियोलॉजी विभाग शुरू होगा
जेके लोन अस्पताल में 20 करोड़ लागत की पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी और कार्डियोलॉजी विभाग खोलने का काम चल रहा है। इसमें कैथ लैब, आईसीयू और एचडीयू बनकर तैयार हैं।
-डॉ. रामबाबू शर्मा, कार्यवाहक अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल
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