जोधपुर. हाथरस सत्संग भगदड़ में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई. उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है और जांच भी शुरू हो गई है, लेकिन सवाल इस बात का है कि देश में इस तरह के होने वाले हादसों की जांच रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आती है. आज से करीब 16 साल पहले जोधपुर के मेहरानगढ़ में भी चैत्र नवरात्र के दौरान इसी तरह की भगदड़ हुई थी, जिसमें 216 लोगों की जान चली गई थी. उस हादसे की जांच करने के लिए गठित जस्टिस जसराज चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई. भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार सभी इसे दबाकर बैठ गई.
बता दें कि तत्कालीन वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री ने जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था. आयोग ने ढाई साल लगातार जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी. जस्टिस चोपड़ा ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को दी तो मरने वालों के परिजनों से कहा था कि जब मेरी रिपोर्ट सामने आएगी तो कई लोग बेनकाब हो जाएंगे, लेकिन सरकार रिपोर्ट दबाकर बैठ गई. सिर्फ रिपोर्ट में दी गई सिफारिश पर काम किया गया जैसे मेले या बड़े आयोजन में किस तरह की सुरक्षा की जाए, जबकि रिपोर्ट में 216 युवकों की मौत के जिम्मेदारों के बारे में भी बताया गया था. उस बारे में सरकारों ने मौन साध लिया.
कोर्ट में है याचिका है, इस माह आ सकता है फैसला: मेहरानगढ़ हादसे में मरने वालों के परिजन 16 साल बाद भी इस बात को लेकर संघर्ष कर रहे हैं कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए. इसी सप्ताह एडवोकेट ईश्वर चंद खंडेलवाल ने एक और याचिका लगाई, जिसे मेहरानगढ़ दुखांतिका परिवार मंच द्वारा लगाई गई याचिका में क्लब किया गया है. मंच के संयोजक एडवोकेट विजय राव ने बताया कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि वह रिपोर्ट सामने आए, लेकिन कोई भी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है अब हाईकोर्ट में भी याचिकाएं दायर हो रखी है. इस पर जुलाई के अंतिम सप्ताह में फैसला आ सकता है.
हर सरकार बचा रही है जिम्मेदारों को: विजय राव ने बताया कि हमने हर स्तर पर प्रयास किया, जिससे कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक हो सके, लेकिन सरकार चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की कोई भी नहीं चाहता कि रिपोर्ट बाहर आए. रिपोर्ट में जस्टिस चोपड़ा ने हर उस आदमी को बेनकाब किया है, जो उस घटना के लिए जिम्मेदार था. यह बात उन्होंने हमें खुद जाते समय कही थी, लेकिन सरकारों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है.
216 की हुई थी मौत: 30 सितंबर 2008 को चैत्र नवरात्र के दौरान जोधपुर के मेहरानगढ़ में चामुंडा मंदिर के दर्शन करने के लिए सुबह करीब 5:00 बजे लोगों के भीड़ जमा हुई थी. मंदिर पहुंचने के लिए एक रैंप पार्ट से गुजरना होता है, जहां पर आगे बैरिकेड लगा हुआ था. भीड़ भागती हुई जा रही थी. बैरिकेड के कारण लोग आगे नहीं जा पाए और रैंप पार्ट की ढलान में ही 216 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में अधिकांश युवा थे.
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