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75 हजार नौकरियां, पेट्रोल-डीजल सस्ता करने की तैयारी 'बिग गिफ्ट' थीम पर होगा राजस्थान का बजट, आयुष्मान में कवर होंगी महंगे इलाज वाली बीमारियां

राजस्थान में भजनलाल सरकार का पहला पूर्ण बजट 20 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है। सरकार का सबसे ज्यादा फोकस युवा और महिलाओं पर रहने वाला है। युवाओं को हर महीने भर्तियों की सौगात मिलेगी तो वहीं सरकारी नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण का दायरा बढ़ाया जा सकता है।

लोकसभा चुनाव में 11 सीटों का नुकसान झेल चुकी भाजपा सरकार आगामी उपचुनाव को देखते हुए बजट घोषणाएं करेगी। बजट से पूर्व कई समीक्षा बैठकों में फीडबैक आया था कि युवा और कर्मचारी वर्ग नाराज हैं। अब बजट के जरिए नाराज वर्गों को साधा जाएगा।

हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल ने संकेत दिए थे कि राजस्थान की वित्तीय सेहत बढ़िया चल रही है। सूत्रों के अनुसार यही कारण है कि राज्य सरकार अपने पहले ही बजट को जनता के सामने एक 'बिग गिफ्ट' के रूप में पेश करना चाहती है। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, क्या खास हो सकता है भजनलाल सरकार के पहले पूर्ण बजट में..

25 फीसदी तक बढ़ सकता है बजट साइज, गहलोत सरकार जैसी ब्रांडिंग नहीं

राजस्थान की पिछली गहलोत सरकार ने बजट 2022-23 की जबरदस्त ब्रांडिंग की थी। उसकी थीम 'बचत, राहत और बढ़त' की ब्रांडिंग पर ही 300 करोड़ रुपए तक खर्च हुए थे। लेकिन भजनलाल सरकार ने तय किया है कि बजट की ब्रांडिंग नहीं की जाएगी।

सूत्रों के अनुसार इस बार बजट साइज (जीएसडीपी) पिछले बजट की तुलना में करीब 25 फीसदी बढ़ जाएगा। पिछले साल बजट (2023-24) 15.7 लाख करोड़ रुपए था। माना जा रहा है कि इस बार बजट 2024-25 का बजट साइज 20 लाख करोड़ देखने को मिल सकता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2022-23 का बजट साइज 13.34 लाख करोड़ रुपए था। इसकी तुलना यदि 2023-24 के बजट से करें, तो ये बजट साइज 13 फीसदी बढ़ा हुआ था।

1. एक साल में 75 हजार भर्तियां, युवाओं को हर महीने नौकरी की सौगातें

सबसे अधिक फोकस युवा वर्ग पर रहने वाला है। सरकार युवाओं को अगले एक वर्ष में करीब 75 हजार नौकरियों का तोहफा बजट में देने जा रही है। इन नौकरियों के विभागवार पद कितने होंगे, इसकी तैयारी कार्मिक विभाग ने पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। बजट प्रावधान के बाद इस रिपोर्ट के तहत 'भर्ती कैलेंडर' जारी कर उसी आधार पर हर महीने भर्तियां जारी की जाएंगी।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही कहा था कि युवाओं को प्रत्येक महीने एक न एक प्रतियोगी परीक्षाओं का विज्ञापन मिलेगा। इनमें सर्वाधिक नौकरियां करीब 20 हजार पदों के लिए शिक्षा विभाग में होंगी। इसके अलावा 53 हजार भर्तियां पुलिस, चिकित्सा, जलदाय, वन, पीडब्ल्यूडी और कृषि विभाग में निकाली जाएंगी। आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड पहली किस्त के तौर पर करीब 10 हजार पदों पर भर्तियां निकालने की तैयारी भी कर रहे हैं। ये भर्तियां सम्भवतः अगस्त में जारी होनी हैं।

2. महिला आरक्षण का दायरा अन्य विभागों में भी बढ़ाने की तैयारी

बजट में भर्तियों की घोषणा के अलावा सबसे बड़ा तोहफा महिला आरक्षण का होगा। हाल ही सरकार ने शिक्षा विभाग में महिला भर्ती के आरक्षण को 50 फीसदी तक बढ़ाया है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार महिलाओं के लिए अधिकारी वर्ग के पदों पर भी आरक्षण बढ़ाने पर विचार कर रही है। जिसकी घोषणा बजट में की जा सकती है।

महिलाओं को तृतीय श्रेणी (5वीं कक्षा तक) शिक्षक भर्ती के अलावा अन्य विभागीय भर्तियों में भी 50 फीसदी पदों पर आरक्षण मिलने के संकेत मिल रहे हैं। महिलाओं को आरक्षण देने के लिए वित्त, कार्मिक व विधि विभाग से लीगल ओपिनियन ले ली गई है। ये भर्तियां शुरुआत में तृतीय श्रेणी (वनपाल, कांस्टेबल आदि) के विभिन्न विभागीय पदों के लिए की जाएंगी।

3. राजस्थान में भी लखपति दीदी, मिलेगा 1 लाख का लोन

खुद का छोटा व्यापार शुरू करना चाहने वाली महिलाओं के लिए केंद्र सरकार ने लखपति दीदी योजना की घोषणा की थी। राजस्थान में केंद्र सरकार की लखपति दीदी योजना के तहत 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उन महिलाओं को दी जाएगी, जो अपने बल पर कोई छोटा व्यापार शुरू करना चाहती हों।

इस योजना के लिए पिछले दिनों भाजपा के महिला मोर्चा ने पूरे देश में एक विस्तृत स्टडी की थी। वित्त मंत्री दीया कुमारी ने लखपति दीदी प्रोजेक्ट पर रुचि दिखाते हुए वित्त विभाग की पिछली बैठक में प्रजेंटेशन देखा था। योजना देशभर में लागू होगी, लेकिन भाजपा शासित राज्य इसे लागू करने में रुचि दिखा रहे हैं। राजस्थान में भी इस बजट में ये योजना लागू करने की घोषणा हो सकती है।

3. मुफ्त इलाज : महंगे इलाज वाली बीमारियां और डे-केयर पैकेज भी होंगे शामिल

राजस्थान में कांग्रेस की पिछली गहलोत सरकार ने चिरंजीवी मेडिकल बीमा योजना के तहत आम लोगों को 25 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त करने की सुविधा दी थी। कांग्रेस ने इसका प्रचार चुनाव में किया और सरकार जाने के बाद भाजपा सरकार पर चिरंजीवी योजना को बंद करने और बीमा राशि घटाने के आरोप भी जड़े।

भजनलाल सरकार ने चिरंजीवी मेडिकल बीमा योजना का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य योजना कर दिया है। इस योजना में पिछली सरकार की तरह ही फिलहाल बीमा कवरेज 25 लाख रुपए का है। सूत्रों के अनुसार सरकार बजट में इस योजना के कवरेज को बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। गौरतलब है कि इस बीमा योजना का दायरा बढ़ाने और इसे व्यापक करने पर प्रस्ताव चिकित्सा क्षेत्र से पिछले दिनों मांगे गए थे। हाल ही, चिकित्सा विभाग ने भी एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी है।

सूत्रों के अनुसार अब इस योजना के तहत महिलाओं के प्रजनन चक्र से संबंधित विभिन्न ऑपरेशन और रोगों का उपचार किया जा सकेगा, पहले ये सुविधा इस योजना में शामिल नहीं थीं। कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के उपचार के बाद मिलने वाले डे केयर पैकेज (घर पर होने वाला इलाज में उपयोग होने वाले उपकरण व दवाएं) को भी शामिल किया जाएगा।

4. रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का फैसला सीएम स्तर पर पेंडिंग, वर्क फ्रॉम होम कल्चर को बढ़ावा देने की तैयारी

भजनलाल सरकार अपने इस बजट से राज्य के कर्मचारियों को भी खुश करने की तैयारी कर रही है। पिछले दिनों सीएम के साथ विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट पूर्व बैठक की थी। कर्मचारियों ने सीएम से डिमांड की थी कि प्रदेश के सरकारी विभागों में रिटायरमेंट की उम्र विश्वविद्यालयों, चिकित्सा व केंद्रीय मंत्रालयों, आयोगों व बोर्ड की तर्ज पर 62 से 65 साल की जाए। कर्मचारियों का तर्क है कि एमपी, यूपी, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों में भी कई कैटेगरी में कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 62 से 65 वर्ष तक है।

बैठक में कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम कल्चर को सरकारी विभागों में भी लागू करने की बात कही। साथ ही, प्रत्येक कर्मचारी-अधिकारी को सप्ताह में एक दिन घर से कार्य करने की सुविधाएं देने की मांग की गई थी। कर्मचारियों का तर्क था कि कॉर्पोरेट जगत में कोरोना काल के बाद वर्क फ्रॉम होम अब आम हो गया है, जिसके की फायदे भी विभिन्न कंपनियों को मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार बैठक में कर्मचारियों की मांग पर मुख्य सचिव सुधांश पंत व अतिरिक्त मुख्य वित्त सचिव अखिल अरोड़ा ने स्टडी करवाने का आश्वासन भी दिया था। सूत्रों का कहना है कि बजट में सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ विभागों में वर्क फ्रॉम होम की सुविधा लागू कर सकती है। वहीं रिटायरमेंट एज को लेकर अंतिम फैसला सीएम स्तर पर होना है। यदि सीएम इस एज को बढ़ाने का निर्णय करते हैं, तो घोषणा बजट में शामिल हो सकती है।

5. बजरी-टोल-पेट्रोल की कीमतों में राहत पर नजरें

बजरी के दाम घटेंगे, नई नीति की तैयारी : राजस्थान में बजरी का अवैध खनन व परिवहन कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है। बजरी सस्ती करने के उपाय सरकार ने अभी से शुरू कर दिए हैं। खान विभाग प्रदेश के 9 शहरों में 48 लीज इसी महीने से जारी करेगा। इसके लिए ऑनलाइन ऑक्शन 27 जुलाई से शुरू होंगे जो चरणबद्ध 24 सितम्बर तक चलेंगे

सरकार अब बजरी के उन विकल्पों को देख रही है, जिनके तहत बजरी के वैध खनन और परिवहन के अवसर बढ़ाए जा सकें। साथ ही, लोगों को सस्ती बजरी भी मिल सके। इसके लिए बजट में बजरी खनन व परिवहन के संबंध में नई नीति सामने आ सकती है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रति टन बजरी पर 500 से 1000 रुपए की कीमतों में कमी हो सके।

स्टेट हाईवे हो सकते हैं टोल मुक्त : राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार (2013 से 2018) ने दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में स्टेट हाईवे को टोल मुक्त कर दिया था। इससे जनता को 2000 करोड़ रुपए की राहत मिली थी। लेकिन पिछली गहलोत सरकार ने आते ही अपने पहले साल (2019) में ही वापस टोल लागू कर दिया था। तब से अब तक स्टेट हाईवे पर जनता को टोल देना पड़ रहा है।

भाजपा ने टोल के इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार की भरपूर आलोचना की थी और चुनाव में कहा था कि सरकार बनने पर स्टेट हाईवे को टोल मुक्त किया जाएगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और वित्त विभाग ने हाल ही राज्य के सभी स्टेट हाईवे की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई है।

सूत्रों का कहना है कि पहले चरण में उन स्टेट हाइवे को टोल मुक्त किया जा सकता है। जो एक शहर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे को दूसरे शहर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे को जोड़ रहे हों

पेट्रोल की कीमतें कम करने पर विचार : प्रदेशवासियों की नजरें बजट में पेट्रोल की कीमतें कम होने पर टिकी हुई हैं। राजस्थान देश में पेट्रोल की ज्यादा कीमतों को लेकर पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान पहले नंबर पर था। भाजपा ने पेट्रोल की ज्यादा कीमतों को चुनाव में मुद्दा भी बनाया था।

दिसंबर 2023 में भाजपा सरकार बनने के बाद दो फीसदी वैट घटाया था, जिससे राजस्थान में पेट्रोल की कीमतों को 109 रुपए प्रति लीटर से कम होकर 105 रुपए प्रति लीटर हो गई। लेकिन राजस्थान में अब भी पेट्रोल पर वेट करीब 29 फीसदी है। चुनावी घोषणा के तहत राज्य सरकार पेट्रोल की कीमतें कम करने के प्रयास में जुटी है।

सूत्रों के अनुसार पेट्रोल की कीमतें कम करने के लिए राज्य सरकार वैट और घटाने का फैसला बजट में कर सकती है। हालांकि सीएम के स्तर पर फैसला होना है, जो पेंडिंग चल रहा है। राज्य सरकार प्रदेश में पेट्रोल की कीमत 2 से 4 रुपए के बीच और घटा सकती है। गौरतलब है कि भाजपा का लक्ष्य है कि उसके द्वारा शासित किसी भी राज्य में पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 100 रुपए से कम ही हो।

6. MLA-MP की तर्ज पर पार्षदों के लिए हो सकती है फंड की व्यवस्था

सांसदों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में विकास के लिए एमपी और एमएलए फंड की व्यवस्था है। जन प्रतिनिधि उस फंड से स्कूल-कालेज या संस्था (एनजीओ) के लिए कमरे आदि, सड़क जैसे आधारभूत विकास के लिए प्रावधान कर सकता है। राजस्थान में एमएलए को एमएलए फंड के तहत 5 करोड़ रुपए हर साल मिलते हैं।

शहरी निकाय और पंचायती राज के जनप्रतिनिधि के लिए फंड की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे वह अपने क्षेत्र में कुछ विकास कार्य करवा सकें। निकायों के जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र से संबंधित विकास के लिए निकाय या विभाग को अपने प्रस्ताव भेजते हैं।

सूत्रों के अनुसार भजनलाल सरकार शहरी निकायों और पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों को खुश करने के लिए उन्हें फंड दिए जाने की घोषणा कर सकती है। ये जन प्रतिनिधि पिछली कई सरकारों से एमपी-एमएलए के जैसे विकास के लिए फंड की व्यवस्था करने की लगातार मांग करते आए हैं।

7. उपचुनाव वाली पांचों सीटों पर विशेष फोकस

राजस्थान में बजट के बाद राजनीतिक पार्टियों का फोकस 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर हो जाएगा। एक दशक के उपचुनाव के आंकड़े देखें, तो सत्ता में होते हुए भी भाजपा का स्ट्राइक रेट काफी कमजोर रहा है और कांग्रेस ने हमेशा बाजी मारी है। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा से कांग्रेस ने 11 सीटें छीन लीं, भाजपा की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है। देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, झुंझुनूं और दौसा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।

वर्ष 2014 से 2024 के बीच अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव में से कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने भी 5 सीटों पर अगले उपचुनाव को लेकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार बजट में पांचों सीटों पर सड़क, चिकित्सा, पानी, बिजली जैसे महकमों से जुड़े विकास कार्यों को महत्व दिया जाएगा।

  • कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां को दूर करने की घोषणा।
  • प्रशासन गांव के संग अभियान और प्रशासन शहरों के संग अभियान।
  • आदिवासी बाहुल्य इलाकों में उद्योग लगाने के लिए और सुविधाओं की घोषणा संभव।
  • सभी स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी सुविधा का विस्तार करने की घोषणा होगी।
  • घुमंतू जातियों, जिनके स्थाई घर नहीं है उन्हें पेंशन और सरकारी कागज बनाने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए घोषणा।
  • गाड़िया लोहार और घुमंतू जातियों के घर बनाने के लिए मौजूदा योजना का दायरा और बढ़ाया जा सकता है।

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