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गैस सिलेंडर ब्लास्ट से 8 मौतें, क्लेम किसी को नहीं राजस्थान में 38 लाख का इंश्योरेंस, लेकिन नियमों की अनदेखी पड़ रही पीड़ितों पर भारी

तारीख - 13 मई 2024, लोकेशन- जयपुर के हरमाड़ा थाना क्षेत्र का शिवाजी नगर

रामलाल बैरवा सुबह उठे और अपने बेटे को चाय बनाने के लिए कहा। किचन में रखे एलपीजी स्टोव को जैसे ही रामलाल के बेटे ने चालू किया सिलेंडर में आग लग गई। बेटे की चीख सुनकर रामलाल और पड़ोसी दौड़े और सुरक्षित बाहर निकाला।

इस हादसे में रामलाल के बेटे का एक हाथ जल गया। किचन और घर में रखा सारा सामान आग की चपेट में आ गया। मकान में दरारें पड़ गईं। एलपीजी वितरक कंपनी के चक्कर लगाने के बावजूद रामलाल बैरवा को उसके नुकसान का हर्जाना (क्लेम) नहीं मिल पाया।

अकेले रामलाल ऐसे नहीं हैं, राजस्थान में ऐसे तमाम केस हुए, जिसमें क्लेम नहीं मिला। वजह, नियमानुसार गैस सिलेंडर का उपयोग नहीं करना।

एलपीजी सिलेंडर से कोई भी हादसा होता है तो वितरक कंपनियां 38 लाख तक का क्लेम देती हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्लेम क्यों नहीं मिलता। सिलेंडर रामलाल के नाम पर नहीं था। वो उसे पड़ोसी से मांगकर लाए थे।

ऐसी कई गलतियां हैं, जो सैकड़ों लोग करते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में पिछले 6 महीने में 60 अलग-अलग हादसों में 8 लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन आजतक उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया

LPG वितरक कंपनियों का दावा : 2023-24 में एक भी क्लेम नहीं
हाल ही में राजस्थान को एलपीजी से निल एक्सीडेंट की श्रेणी में रखकर पुरस्कृत किया गया है। इसका मतलब है कि एलपीजी कंपनियों के मुताबिक वर्ष 2023 -24 में इंश्योरेंस कंपनियों की नियम व शर्तें किसी दुर्घटना में पूरी नहीं हुईं। इसलिए किसी को क्लेम नहीं दिया गया। इससे पहले 2022 में 20 करोड़ का क्लेम जारी हुआ था।

हकीकत : एलपीजी से जयपुर में 6 माह में 60 हादसे, 8 की गई जान
अग्निशमन विभाग का रिकॉर्ड बताता है, एलपीजी रिसाव के कारण जयपुर में जनवरी से लेकर 15 जून तक 60 से अधिक जगहों पर आग लगने और ब्लास्ट की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। आग की चपेट में आने के कारण 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 लोग घायल हो गए।

सार्वजनिक तेल कंपनियों के अनुसार, राज्य में गत एक वर्ष में एलपीजी से हुई दुर्घटनाओं में एक भी पीड़ित को इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिला है। वहीं एलपीजी ग्राहकों का आरोप है कि उन्होंने एलपीजी वितरकों के चक्कर लगाए लेकिन उन्हें इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिला।

आखिर क्यों नहीं मिल रहा क्लेम?
38 लाख रुपए का इंश्योरेंस होने के बावजूद प्रभावितों को क्लेम क्यों नहीं मिल पाता, इसकी तह तक पहुंचने के लिए हमने पड़ताल की तो पाया कि कंपनियों के सिलेंडर इस्तेमाल करने के दौरान जो सेफ्टी नियम हैं, उनका पालन ही नहीं किया जाता। इन तीन बड़े हादसों से समझते हैं…

21 मार्च 2024 : जयपुर शहर के विश्वकर्मा इलाके में स्थित जैसल्या गांव में रहने वाले राजेश को पत्नी रूबी ने बताया घर में गैस सिलेंडर खत्म हो चुका है। राजेश अपने पड़ोसी से भरा हुआ सिलेंडर लेकर आया। खाना बनाने के दौरान लीकेज के कारण आग फैल गई। कमरे में फैली आग की चपेट में आने के कारण राजेश (27), रूबी (24), ईशु (7), खुशमानी (4), दिलखुश (2) की झुलसने से मौत हो गई।

राजेश के रिश्तेदार प्रमोद यादव बताते हैं कि ऑयल कंपनी की टीम मौके पर दुर्घटना के कारणों का आकलन करने पहुंची। राजेश के पिता सोना लाल यादव को इंश्योरेंस के रुपए नहीं मिले।

थानाधिकारी विश्वकर्मा राजेश शर्मा ने बताया कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की टीम के अधिकारियों ने जांच में पाया कि एलपीजी सिलेंडर पड़ोसी के यहां से भरा हुआ लिया गया था। राजेश रजिस्टर्ड ग्राहक नहीं था। इस कारणवश इंश्योरेंस में किसी प्रकार का लाभ उनके परिजनों को नहीं मिल पाया।

5 जून 2024 : विश्वकर्मा क्षेत्र के ही मुन्ना कुमार के घर पर पाइप लीकेज के कारण सिलेंडर में आग लग गई। आग बुझने के बाद सिलेंडर दोबारा चालू किया तो फिर से आग लग गई। इसके बाद अग्निशमन विभाग ने आग बुझाई। मुन्ना कुमार ने बताया कि कंपनी ने उनके नुकसान की भरपाई नहीं की।

गैस वितरक का कहना है कि पीड़ित ने आईएसआई मार्क की पाइप इस्तेमाल नहीं करता था, जिसके चलते यह हादसा हुआ।

जोधपुर के भूंगरा में सिलेंडर ब्लास्ट से 35 मौतें, एक को भी क्लेम नहीं
दिसंबर 2022 में जोधपुर के शेरगढ़ इलाके के भूंगरा गांव की गैस त्रासदी में झुलसे दूल्हे सुरेंद्र सिंह सहित 35 लोगों की मौत हो गई थी। भूंगरा त्रासदी पीड़ितों के लिए राज्य सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर कई विधायक, सांसद और अन्य नेताओं ने बड़े पैमाने पर विरोध किया। एक को भी एलपीजी वितरक कंपनियों ने क्लेम के दायरे में नहीं लिया।

एलपीजी ड्रिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष दीपक गहलोत बताते हैं कि केवल रजिस्टर्ड कस्टमर को इंश्योरेंस का क्लेम दिया जाता है। इंश्योरेंस का क्लेम तभी मिलता है, जब एलपीजी कनेक्शन का इस्तेमाल रजिस्टर्ड पते पर किया जाए। भूंगरा में सिलेंडर बाहर से रिफिल करवाए गए थे। इसलिए क्लेम नहीं मिला होगा।

क्या हैं सिलेंडर इस्तेमाल के नियम व शर्तें?

  • एलपीजी के इस्तेमाल के लिए सेपरेट किचन होना चाहिए। कमरे में एलपीजी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
  • एलपीजी के इस्तेमाल के दौरान कंपनी (इंडेन, एचपी या अन्य) के रेगुलेटर और पाइप का इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य है।
  • पॉलिसी होल्डर के मुताबिक चूल्हे और एलपीजी सिलेंडर की प्रॉपर मेंटेनेंस होनी चाहिए।
  • एलपीजी का रिफिल ऑफिशियल भरा होना चाहिए बाजार से नहीं।
  • एलपीजी स्टोव आपके सिलेंडर के 6 इंच ऊपर के प्लेटफार्म पर रखा जाना चाहिए।
  • एलपीजी सिलेंडर सीधी स्थिति में रखना चाहिए।
  • सिलेंडर किसी और के नाम है, तब भी क्लेम नहीं मिलता।

अधिकृत कस्टमर को मिलता है, इंश्योरेंस का अधिकार

दीपक गहलोत बताते हैं कोई भी व्यक्ति कनेक्शन खरीदता है, उसी के नाम से 38 लाख का इंश्योरेंस चालू हो जाता है। किसी को भी अन्य व्यक्ति के गैस कनेक्शन का उपयोग नहीं करना चाहिए। कस्टमर अगर अपना घर बदलता है तो उसे भी तुरंत अपडेट करवाना चाहिए। सिलेंडर हमेशा कंपनी से ही रिफिल कराना चाहिए। बाजार से रिफिल करवाए गए सिलेंडर पर कोई इंश्योरेंस नहीं दिया जाता है। इसके साथ ही सुरक्षा मानकों के तहत रेगुलेटर व पाइप आईएसआई मार्क के होने चाहिए। इनकी साल में एक बार सर्विस होनी भी अनिवार्य है।

कितना मिलता है क्लेम?

दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाने छह लाख रुपए प्रति व्यक्ति दिए जाते हैं। इसके लिए डेथ सर्टिफिकेट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट इंश्योरेंस क्लेम के लिए अनिवार्य होता है। इसी प्रकार दुर्घटना के मामले में प्रति व्यक्ति 30 लाख रुपए का चिकित्सा में खर्च का क्लेम किया जा सकता है। जिसके लिए मेडिकल बिल देना होता है। दुर्घटना के दौरान रजिस्टर्ड संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो संपत्ति के नुकसान का आंकलन कर दो लाख रुपए तक का क्लेम दिया जाता है।

घट रहा है इंश्योरेंस क्लेम का आंकड़ा

आंकड़ों पर गौर करें तो आईओसीएल, एचपी, और बीपी ने संयुक्त रूप से 2022-23 में एलपीजी के रिसाव के कारण हुई दुर्घटनाओं में मृतकों और घायलों के परिजनों को इंश्योरेंस क्लेम के रूप में 15 करोड़ रुपए दिए। जबकि वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 20 करोड़ रुपए और 2020- 21 में 22 करोड़ रुपए था। नियमों का पालन नहीं होने के कारण ज्यादातर ग्राहकों को इंश्योरेंस का क्लेम ही नहीं मिल पा रहा है। समय के साथ क्लेम की संख्या लगातार घटती जा रही है, जबकि एलपीजी कनेक्शन की संख्या में इजाफा हुआ है।

इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए अपनाएं ये प्रक्रिया

मनोहर बताते हैं कि एलपीजी सिलेंडर में लीकेज या ब्लास्ट के कारण आग लगने से दुर्घटना होती है। उस स्थित में रजिस्टर्ड ग्राहक को क्लेम देना होता है। ग्राहक के रिश्तेदार या परिजन को गैस वितरक को दुर्घटना के बारे में लिखित सूचना देनी होती है। पुलिस की एफआईआर लगानी होती है और गैस वितरक कंपनी को सूचना देते हैं। कंपनी के नुकसान के आकलन के बाद इंश्योरेंस दिया जाता है।

आग लगने पर बरतें ये सावधानियां- सीएफओ

चीफ फायर ऑफिसर गौतम लाल बताते हैं कि अगर लीकेज हो तो किसी भी इलेक्ट्रिक स्विच का प्रयोग का नहीं करना चाहिए। हवा से भारी होने के कारण एलपीजी नीचे की तरफ आ जाती है।

इसलिए लीकेज होने पर सिलेंडर कभी छत की तरफ लेकर नहीं जाना चाहिए। गैस नीचे की तरफ आ जाती है। एहतियात के तौर पर गीले कपड़े से एलपीजी सिलेंडर को ठंडा करते रहना चाहिए। स्मेल के लिए गैस में ‘मरकप्तान’ नाम का रसायन मिलाया जाता है, जिसकी बदबू से लीकेज की पहचान की जाती है।

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