अजमेर का प्रॉपर्टी कारोबारी नितेश नैन। शादीशुदा महिला से अफेयर था। एक दिन अचानक लापता हो गया। घरवालों ने बहुत ढूंढ़ा, कहीं नहीं मिला। पुलिस में भी रिपोर्ट दी।
पुलिस ने मामले को इंवेस्टिगेट किया तो लाश मिली अजमेर से 400 किलोमीटर दूर। हत्यारों ने मर्डर के बाद यूपी के फिरोजाबाद के एक अंडर कंस्ट्रक्शन मकान में बने तहखाने के नीचे दफना दी। इसके बाद सीमेंट से तहखाने का फर्श बना दिया।
हत्यारे बेफिक्र थे कि पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन एक फोन कॉल और फोटो ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
7 फरवरी 2022 की शाम अजमेर के प्रेमचंद पुत्र किशनलाल नैन (66) रोते-बिलखते अलवर गेट पुलिस स्टेशन पहुंचे। उन्होंने पुलिस को बताया कि मेरे बेटे नितेश का अपहरण हो गया है और उसकी हत्या भी हो सकती है।
प्रेमचंद ने पुलिस को बताया कि- ‘मेरे बेटे नितेश ने अपने सगे भाई हेमंत नैन को 31 जनवरी को फोन करके बताया था कि अजमेर के कुख्यात बदमाश हरि लंगड़ा के इशारे पर उसके गिरोह के बदमाश मनोज यादव और यूपी के कुछ बदमाश जिसमें से एक का नाम कल्लू इटावा है, उसका पीछा कर रहे हैं।’
‘इस फोन कॉल के बाद से नितेश के दोनों मोबाइल फोन स्विच ऑफ हैं। हरि लंगड़ा काफी टाइम से हमारे परिवार के पीछे पड़ा है। हमें अंदेशा है कि उसने नितेश का किडनैप कर उसकी हत्या करवा दी है।’
अलवर गेट पुलिस स्टेशन के तत्कालीन SHO रामेन्द्र हाड़ा ने इस मामले की पूरी जानकारी तब के सीओ मुकेश सोनी और दूसरे अधिकारियों को दी। मुकेश सोनी तुरंत मामला समझ गए।
पुलिस को आभास हो गया कि नितेश के साथ कोई अनहोनी हो गई है। हालांकि अभी भी हत्या के दावे पर पूरा यकीन नहीं था। लिहाजा पुलिस ने इंवेस्टिगेशन शुरू की।
पहले भी 3 बार दर्ज कराए थे मामले
दरअसल ये पहला मौका नहीं था जब नितेश नैन के परिजन हरि लंगड़ा के खिलाफ पुलिस स्टेशन पहुंचे हो। इससे पहले भी वो फायरिंग और आगजनी के अलग-अलग 3 मामले उसके खिलाफ दर्ज करा चुके थे।
इन तीनों ही मामलों में हरि लंगड़ा की इन्वॉल्वमेंट पुलिस इन्वेस्टिगेशन में सामने भी आई थी और जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था।
नितेश का एक दोस्त शक के दायरे में
पहले के 3 केस को देखते हुए शक की सुई हरि के ऊपर ही थी, लेकिन नितेश की किडनैपिंग के समय वो जेल में था।
हालांकि उसके पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए उसके लिए जेल से भी ये वारदात कराना मुश्किल नहीं था। हरि नशे की तस्करी के लिए अजमेर में सबसे कुख्यात था।
हर पहलू को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन सीओ मुकेश सोनी ने मामले में जांच शुरू की। नितेश ने अपने भाई हेमंत को किए आखिरी कॉल में मनोज यादव का नाम लिया था।
मनोज नितेश का दोस्त था लेकिन उसी पर प्रेमचंद नैन ने नितेश की किडनेपिंग में शामिल होने का शक जताया था। मनोज यूट्यूब चैनल के जरिए शहर में पत्रकारिता करता था।
शर्ट पर खून जैसे दाग ने बढ़ाया शक
मनोज का खबरों के सिलसिले में पुलिस थानों में आना-जाना लगा रहता था। पुलिस ने उसे किसी क्राइम की खबर की जानकारी देने के बहाने अलवर गेट स्टेशन पर बुलाया।
यहां पहुंचने के बाद तत्कालीन सीओ मुकेश सोनी और उनकी टीम ने उससे नितेश को लेकर पूछताछ की। पहले तो उसने कुछ भी नहीं बताया और बाद में गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि वो और नितेश घूमने गए थे, लेकिन जल्दी लौट भी आए थे।
उसके बाद नितेश कहां गया, इसकी उसे कोई जानकारी नहीं है। इस बीच पुलिस को मनोज के मोबाइल में एक फोटो मिली। इस फोटो में उसके शर्ट पर खून जैसा लाल रंग लगा था।
जब उससे इस बारे में पूछा गया तो वो कहने लगा कि किसी पार्टी में उसके शर्ट पर टोमेटो सॉस गिर गया था। हालांकि ये तर्क पुलिस के गले उतरने वाला नहीं था।
हथियार खरीदना चाहता था नितेश?
पुलिस ने मनोज से सख्ती से पूछताछ शुरू की। उसने पुलिस को बताया कि नितेश और वो दोनों दोस्त हैं। हरि लंगड़ा से दुश्मनी के चलते नितेश को पिछले कुछ समय से जान का खतरा भी महसूस हो रहा था।
मनोज ने बताया कि यही वजह है कि कुछ समय पहले नितेश ने उसे हथियार दिलाने को कहा था। हथियार लाने के लिए ही वो और नितेश अजमेर से हरियाणा की तरफ गए थे। रास्ते में दोनों ने कई जगहों पर पार्टी भी की थी। इसके बाद वो दोनों अजमेर लौट आए। अब नितेश कहां है, इसका उसे कुछ पता नहीं है।
20 लाख में दोस्त ने ही ली सुपारी
तत्कालीन CO मुकेश सोनी को अभी भी मनोज यादव की इस कहानी पर यकीन नहीं था। शक के लिए उनके पास 2 वजह थीं। पहली ये कि मनोज के अनुसार, वो और नितेश साथ गए थे तो नितेश लौटने के बाद कहां गायब हो गया? और दूसरी ये कि नितेश ने अपने आखिरी फोन कॉल में अपने दोस्त मनोज यादव पर ही यूपी के बदमाशों के साथ मिलकर अपनी हत्या का शक क्यों जताया?
सच तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मनोज से सख्ती से पूछताछ की। इस बार मनोज टूट गया। उसने बताया कि उसने यूपी के कुछ भाड़े के बदमाशों के साथ मिलकर नितेश का किडनैप किया था।
नितेश उन बदमाशों के कब्जे में है। मनोज ने बताया कि उसने इस काम की सुपारी 20 लाख रुपए में ली थी। इसके बाद उसने ये काम आगे इटावा (UP), इसरार निवासी कल्लू को 15 लाख रुपए में दे दिया था।
हथियार खरीदना चाहता था नितेश?
पुलिस ने मनोज से सख्ती से पूछताछ शुरू की। उसने पुलिस को बताया कि नितेश और वो दोनों दोस्त हैं। हरि लंगड़ा से दुश्मनी के चलते नितेश को पिछले कुछ समय से जान का खतरा भी महसूस हो रहा था।
मनोज ने बताया कि यही वजह है कि कुछ समय पहले नितेश ने उसे हथियार दिलाने को कहा था। हथियार लाने के लिए ही वो और नितेश अजमेर से हरियाणा की तरफ गए थे। रास्ते में दोनों ने कई जगहों पर पार्टी भी की थी। इसके बाद वो दोनों अजमेर लौट आए। अब नितेश कहां है, इसका उसे कुछ पता नहीं है।
20 लाख में दोस्त ने ही ली सुपारी
तत्कालीन CO मुकेश सोनी को अभी भी मनोज यादव की इस कहानी पर यकीन नहीं था। शक के लिए उनके पास 2 वजह थीं। पहली ये कि मनोज के अनुसार, वो और नितेश साथ गए थे तो नितेश लौटने के बाद कहां गायब हो गया? और दूसरी ये कि नितेश ने अपने आखिरी फोन कॉल में अपने दोस्त मनोज यादव पर ही यूपी के बदमाशों के साथ मिलकर अपनी हत्या का शक क्यों जताया?
सच तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मनोज से सख्ती से पूछताछ की। इस बार मनोज टूट गया। उसने बताया कि उसने यूपी के कुछ भाड़े के बदमाशों के साथ मिलकर नितेश का किडनैप किया था।
नितेश उन बदमाशों के कब्जे में है। मनोज ने बताया कि उसने इस काम की सुपारी 20 लाख रुपए में ली थी। इसके बाद उसने ये काम आगे इटावा (UP), इसरार निवासी कल्लू को 15 लाख रुपए में दे दिया था।
कल्लू को रुपए देने के बहाने बुलाकर पकड़ा
ये खुलासा होने के बाद पुलिस को अब कल्लू को पकड़ कर नितेश का पता लगाना था। इसके लिए पुलिस ने मनोज को टूल बनाया और जाल बिछाया।
मनोज के मार्फत कल्लू को काम के रुपए देने के बहाने अजमेर बुलाया गया। कल्लू अपने साथी इमरान को लेकर मनोज से पैसे लेने के लिए अजमेर आया।
पुलिस ने डमी नोट से भरा एक बैग मनोज को देकर कल्लू और इमरान को देने के लिए भेज दिया। पास ही पुलिस टीम ने अपना घेरा भी डाल लिया। जैसे ही लेन-देन हुआ पुलिस टीम ने दबिश देकर तीनों को पकड़ लिया।
2 दिन की पूछताछ के बाद कबूल किया मर्डर
कल्लू व इमरान को मनोज के आमने-सामने बिठाया गया और सख्ती से पूछताछ की गई। पहले तो वो पुलिस को गुमराह करते रहे कि उन्होंने तो नितेश को किडनैप किया था और बाद में छोड़ भी दिया।
हालांकि दो दिन तक हुई सख्ती से पूछताछ के बाद कल्लू पुलिस के सामने बिखर गया। उसने बताया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर नितेश की हत्या कर दी है।
वहीं नितेश की लाश को यूपी के फिरोजाबाद में अपने अंडर कंस्ट्रक्शन मकान के तहखाने के फर्श के नीचे दफना दिया है। अब उस पर सीमेंट का पक्का फर्श भी बना दिया गया है।
तहखाने से निकली लाश
बदमाशों ने पुलिस को जो बताया वो फिल्मी कहानी जैसा था। पुलिस कल्लू व इमरान को लेकर यूपी के फिरोजाबाद पहुंची। साथ में नितेश का भाई हेमंत भी था।
कल्लू की बताई जगह पर पुलिस ने खुदाई शुरू की। पहले नमक का एक कट्टा बाहर आया और उसके नीचे से निकली एक लाश। कल्लू ने पुलिस को बताया कि ये नितेश की लाश है।
हालांकि लाश की कंडीशन इतनी खराब हो गई थी कि मौके पर उसकी शिनाख्त कर पाना संभव नहीं था। शव को पोस्टमार्टम के बाद अजमेर के लिए रवाना किया गया।
पुलिस को ये तो पता चल गया था कि नितेश की हत्या कर दी गई, लेकिन ये पुष्टि नहीं हुई थी कि जो शव तहखाने से मिला, वो नितेश का ही है या नहीं।
नितेश के हत्यारे शातिर थे, वो किसी और की लाश को नितेश की बता कर कोर्ट में अपने बचने का रास्ता बना सकते थे। ऐसे में पुलिस ने शव का डीएनए टेस्ट कराने का डिसीजन ले लिया.....
कल पढ़िए :
क्या तहखाने से निकली लाश नितेश की ही थी?
नितेश की हत्या की वजह क्या थी?
क्यों नितेश के अपने दोस्त ने उसकी सुपारी ली?
क्या थी एक साधारण से परिवार की एक गैंगस्टर से दुश्मनी की वजह?
कौन थी वो शादीशुदा महिला, जिससे नितेश का अफेयर था?
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