अजमेर के JLN हॉस्पिटल में सोमवार रात डॉक्टरों व स्टाफ ने 2 जिंदगियां बचा ली। हॉस्पिटल की इमरजेंसी यूनिट में सिर्फ एक्सीडेंट के केस आते हैं। डॉक्टर व स्टाफ को अनुभव भी इसी तरह के हालात का है। सोमवार रात 8.30 बजे उस वक्त इमरजेंसी यूनिट के डॉक्टर-स्टाफ सकते में आ गए जब प्रसव पीड़ा से कराहती एक प्रसूता को यहां लाया गया। हालत क्रिटिकल थी, बच्चे का कुछ हिस्सा बाहर आ चुका था।
जानकारी के अनुसार- अजमेर के लव कुश उद्यान रामप्रसाद घाट चौपाटी निवासी महिला मुस्कान को रात 8.15 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। पति साहिल आनन-फानन में ई-रिक्शा में मुस्कान को लेकर JLN हॉस्पिटल पहुंच गया।
ई-रिक्शा में ही शुरू हो गया था प्रसव
अस्पताल के गेट के पास ही मुस्कान की ई-रिक्शा में प्रसव प्रक्रिया शुरू हो गई थी। नवजात का कुछ हिस्सा शरीर से बाहर आ गया था। गेट पर ई-रिक्शा को सुरक्षाकर्मियों ने रोका। बताया कि यहां प्रसव कराने की सुविधा नहीं है, जनाना हॉस्पिटल ले जाओ। साहिल ने बताया कि प्रसव शुरू हो चुका है। जानकारी नहीं थी कि यहां प्रसूताओं को भर्ती नहीं करते। वह सिर्फ अस्पताल देख चला आया।
मुस्कान को इमरजेंसी यूनिट में ले जाया गया। वहां मौजूद डॉक्टर-स्टाफ सभी सकते में आ गए। सवाल यह था कि इस स्थिति में कौन प्रसूता को संभालेगा। नाइट ड्यूटी पर तैनात सीनियर रेजीडेंट डॉ. चेतना राठौड़, डॉ. पूजा मीना, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर जितेन्द्र कुमार शर्मा व प्रदीप सुंदर पंवार ने तुरंत प्रसव कराने का फैसला किया।
नाइट ड्यूटी पर तैनात हर व्यक्ति ने निभाई जिम्मेदारी
मुस्कान के लिए आपातकालीन यूनिट की केबिन में पर्दा लगाया गया। पुलिस चौकी प्रभारी अनिता राज भी टीम के साथ वहां पहुंच गईं।
सीनियर नर्सिंग ऑफिसर जितेन्द्र शर्मा कुछ समय पूर्व ही जनाना अस्पताल से तबादले पर आए थे। उनका ऑपरेशन थियेटर में काम करने का अनुभव काम आया। नवजात और प्रसूता को बचाने के लिए सीनियर रेजीडेंट-नर्सिंग स्टाफ के प्रयास सफल रहे। मुस्कान ने एक बच्ची को जन्म दिया।
महिला की स्थिति और आधा बच्चा शरीर से बाहर निकलने के कारण दोनों की जान को खतरा था लेकिन पूरी टीम के प्रयास से इमजेंसी वार्ड में बच्ची की किलकारी गूंज उठी। प्रसूता व नवजात दोनों सुरक्षित हैं। प्रसव के बाद उन्हें जनाना अस्पताल रेफर कर दिया गया।
सभी ने ताली बजाकर की चिकित्सा कर्मियों की सराहना
सुरक्षित प्रसव के बाद आपातकालीन यूनिट में मौजूद चिकित्सकों व अन्य मरीज के परिजन ने ताली बजाकर चारों चिकित्सा कर्मियों के प्रयासों की सराहना की। रेफर होते समय प्रसूता ने पूरे स्टाफ को हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया। कहा- आपके प्रयास से मुझे और बच्ची को नया जीवन मिला है।
मुस्कान और उसका पति साहिल आगरा के रहने वाले हैं। दो साल से दंपती रामप्रसाद घाट चौपाटी पर रह रहा है। साहिल मजदूरी करता है।
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