उदयपुर-पिंडवाड़ा नेशनल हाइवे 76 पर सड़क हादसों में लोगों की जान पर जान जा रही है। एक दिन पहले सोमवार को एक ही परिवार के तीन सदस्यों सहित चार लोगों की मौत हो गई। इसमें हाईवे एंबुलेंस की भी लापरवाही रही है।
पुलिस और लोग फोन करते है कि, जल्दी एंबुलेंस भेजिए। जब तक एंबुलेंस आती है खून ही खून बह जाता है। इसके बाद सुनने को मिलता है कि इसकी तो जान चली गई है। यहां गोल्डन ऑवर को ध्यान में रखकर तेजी रखते तो जान बच जाती। ऐसा एक नहीं कई केस में लापरवाही देखने को मिली है।
पुलिस का भी दिल शवों को देखकर पिघल जाता है। वे कहने लगते है कि इस लापरवाही को हाइवे की डिजाइन को बदलकर दूर करना होगा। नेशनल हाइवे की हेल्पलाइन नंबर से लेकर स्थानीय नंबर पर सूचना देने के बाद भी कई बार एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचती है। जब आती है तब तक घायल की मौत हो चुकी होती है या पुलिस अपने स्तर पर अस्पताल पहुंचाती है, तब तक बहुत समय निकल जाता है।
गोल्डन ऑवर में नहीं मिलता इलाज
हाइवे पर लोगों की जान जाने का कारण मात्र इतना सा था कि गोल्डन ऑवर में घायलों को इलाज नहीं मिला है। जनवरी महीने में हाइवे पर हादसों में 12 जनों की जान चली गई और इससे ज्यादा लोग घायल हो चुके है। अमूमन हर महीने यहां बड़े-बड़े हादसे हो रहे है।
यहीं नहीं हाइवे पर कई तकनीकी खामियां है जिसको कई हादसे होने के बाद भी ठीक नहीं किया गया। इस बारे में उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत को भी सोमवार को हुई घटना के बाद गोगुंदा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि ये हाइवे लोगों की जान ले रहा है।
हादसे का बड़ा कारण ढलान
हाइवे पर जगह-जगह ढलान है जहां पर भारी वाहन चालक गाड़ी को बंद कर न्यूटन में चलाते है और बाद में गाड़ी अनियंत्रित हो जाती है। इसके अलावा नेशनल हाइवे पर हादसा होने के बाद पुलिस सबसे पहले हाइवे की हेल्पलाइन नंबर 1033 पर सूचना देकर एंबुलेंस बुलाती है लेकिन कई ऐसे मौके आए जब एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची। ऐसे में पुलिस और आमजन अपने स्तर पर घायलों को पहुंचाते है जितने बहुत देर हो जाती है।
यहीं नहीं एंबुलेंस में तो अस्पताल जाने तक रास्ते में भी प्राथमिक उपचार मिल जाता है लेकिन पुलिस जिस निजी गाड़ी से लेकर जाएगी उसमें कोई उपचार नहीं मिलता है। पिछले महीनों में हुए एक हादसे के दौरान तो तत्कालीन थानाधिकारी रहे प्रभुसिंह चुंडावत तो साफ तौर पर बोले थे की हाइवे से एक तो एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचती है और दूसरी तरफ रास्ता खोलने के लिए क्रेन तक भी नहीं पहुंचती है और कहीं बहाने बनाए जाते है।
हर 50 किलोमीटर पर एंबुलेंस
बताते है कि नेशनल हाइवे पर कि टोल बूथ संचालित करने वाली एजेंसी को हर 50 किलोमीटर पर एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यहीं नहीं इस दूरी में कोई हादसा होने पर क्रेन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है लेकिन पिंडवाड़ा हाइवे पर गोगुंदा और बेकरिया पुलिस के सामने कई बार ऐसे मौके आए जब एंबुलेंस और क्रेन को लेकर परेशानियां हुई है।
जानिए गोल्डन ऑवर के बारे में
जब भी कोई सड़क हादसा या दुर्घटना होती है और उसमें किसी को गंभीर चोट आती है, तो उसे दुर्घटना के एक घंटे के अंदर, अगर सही इलाज मिल जाता है. तो उसकी जान को कम से कम खतरा होने कि संभावना होती है। इसीलिए इसे गोल्डन ऑवर कहते हैं।
सबसे पहले नजदीकी अस्पताल ले जाए
कोई दुर्घटना होती है तब गंभीर चोट आने पर मरीजों के शरीर से काफी ज्यादा खून बहता है। जितना ज्यादा खून बहेगा उतना ही खतरा बढ़ेगा। कुछ दुर्घटना से सदमे में चले जाते हैं, जिसे हार्ट अटैक होने की ज्यादा संभावना रहती है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके, घायल व्यक्ति को तुरंत इलाज मिल जाना चाहिए। ऐसे में सबसे पहले घायलों को अस्पताल पहुंचाना होगा।
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टूरिस्ट भी इसी हाइवे से गुजरते है
उदयपुर घूमने आने वाला टूरिस्ट यहां से माउंट आबू जाएगा तो उसे हाईवे से गुजरना होता है। माउंट आबू घूमने आने वाले टूरिस्ट उदयपुर आते है तो यही हाइवे होकर पहुंचते है। गुजरात के पालनपुर, उदयपुर जिले के गोगुंदा, बेकरिया क्षेत्र और आसपास रहने वाले इस हाइवे से ही यात्रा करते है। सड़क हादसों में कई टूरिस्ट की गाड़ियां भी शामिल है।
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ढलान पर न्यूट्रल गियर में गाड़ी नहीं चलानी चाहिए
जानकार बताते है कि ढलान वाले क्षेत्र में गाड़ी को न्यूट्रल में डाल देते हैं। यह सबसे बड़ा जोखिम है, जिसे कई वाहन चालक जानते हुए भी आजमाते हैं। गियर गति संशोधक के रूप में कार्य करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर आपको रोकने की अतिरिक्त शक्ति देते हैं। इसके अलावा इस तरह से गाड़ी चलाने से वाहन के गियरबॉक्स और पावरट्रेन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दो घंटे बाद आई एम्बुलेंस
पुलिस ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि आए दिन परेशान होना होता है। 21 जनवरी की शाम को यहां एक बड़ा हादसा हो गया। तब पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि उस दिन बहुत तकलीफ हुई। शाम की सात बजे उखलियात टनल पर हादसे की सूचना मिली थी। मौके पर जीप पलट गई थी जिसमें पांच लोग थे। नेशनल हाईवे की टोल फ्री नंबर 1033 से एनएचआई से एंबुलेंस और क्रेन के लिए हेल्प मांगी गई। बार-बार फोन किया लेकिन प्रोपर रिस्पॉन्स नहीं मिला। घटना के दो घंटे बाद एम्बुलेंस आई तब तक दूसरे वाहन से घायलों को गोगुंदा अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद बाधित हाईवे को खोलने के लिए बार-बार टोल फ्री नंबर पर कॉल कर क्रेन के लिए याद दिलाया गया लेकिन मदद नहीं मिली और आनाकानी होती रही। रात एक बजे तक क्रेन नहीं पहुंची तब तक पुलिस ने अपने स्तर पर गाड़ी हटाकर रोड शुरू कराया।
ब्लैक स्पॉट है उन पर तकनीकी जांच करा रहे
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के उदयपुर विंग के परियोजना निदेशक हरीश चंद्र ने बताया कि यहां पर जो ब्लैक स्पॉट है उन पर तकनीकी जांच करा रहे और इसमें जो भी कमी होगी उसको ठीक करवाएंगे। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचे ऐसी बात नही हैं, सोमवार को सूचना मिलते ही पहुंच गई। एंबुलेंस ओर क्रेन समय पर पहुंचे इसको लेकर भी पूरी समीक्षा करेंगे।
सबसे पहले अस्पताल पहुंचाएंगे तो जान बच सकती
एमबी अस्पताल उदयपुर के अस्थि रोग विभाग के सीनियर प्रोफेसर डा. अनामेन्द्र शर्मा बताते है कि गोल्डन ऑवर मतलब की दुर्घटना ग्रस्त मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचा दें। इसमें उसकी ब्लड प्रेशर, पल्स आदि की जांच कर उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है तो उसकी मृत्यु दर (Mortality rate) कई गुणा कम कर सकते है। गोल्डन ऑवर में मरीज को उपचार शुरू कराना ऐसे में मामले में सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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