पटना के टिनी टॉट एकेडमी स्कूल में 16 मई को 4 साल के आयुष की हत्या हुई। इसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट से साफ हो गया है कि आयुष की गला दबाकर हत्या की गई है। 16 मई को आयुष का शव क्लास रूम के गटर में मिला था। हालांकि हत्या क्यों की गई, इसका खुलासा अभी तक पुलिस नहीं कर पाई है।
इस मामले में पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल वीणा झा , उसके बेटे और स्कूल संचालक धनराज झा और एक टीचर को गिरफ्तार किया था। तीनों का कहना था कि आयुष खेलने के दौरान गिरा। सिर पर चोट आई थी, खून निकलने लगा। वो डर गए और गटर में फेंक दिया।
DSP-2 दिनेश पांडे ने दैनिक भास्कर को बताया कि तीनों ने हत्या की बात को स्वीकार किया है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया था।
मौत के 31 दिन बाद खुलासा, अब विसरा रिपोर्ट का इंतजार
आयुष की मौत के 31 दिन बाद पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस की माने तो तीनों ने अपना गुनाह छिपाने के लिए सभी से झूठ बोला। सबूत छिपाने के लिए शव को गटर में डाल दिया था। आगे की जांच के लिए आयुष के शव का सैंपल विसरा जांच के लिए भेजा गया है।
पिता बोले- बेटे के हत्यारों को फांसी मिले
आयुष के पिता शैलेंद्र कुमार को अब भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है। पुलिस की ओर से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। उनका कहना है कि अब हम वरीय अधिकारियों का दरवाजा खटखटाएंगे। ऐसे दरिंदों को फांसी मिलनी चाहिए, ताकि इस तरह की घटना कोई दोबारा ना हो सके।
पोते को याद कर रो पड़ते हैं दादा
आयुष के दादा बिंदेश्वरी राय पोते की हत्या के बाद से अब तक सदमे में है। वे उस दिन को याद करते हुए रो पड़ते हैं। दैनिक भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने आयुष के साथ बिताए पलों का जिक्र करते हुए कहा कि स्कूल जाने के लिए आयुष दादा और दादी को ही ढूंढता था। इस घटना के बाद से पूरा परिवार आज भी सदमे में है।
छोटा भाई कहता है आयुष भइया कब आएंगे…
आयुष की मां कहती हैं कि अब तो मेरे पास सिर्फ छोटा बेटा ही बचा है। वो भी आयुष को याद करता रहता है। दोनों साथ खेलते थे। साथ सोते थे। साथ पढ़ते थे। रोज सोने के वक्त वो भइया को ढूंढता रहता है। मैं उसे बस ये ही कह पाती हूं…बेटा सो जाओ..भइया नहीं आएगा। मैं उसे ये कह तो देती हूं, लेकिन इसके बाद आंसू नहीं रुकते।
16 मई को हत्या की, 17 को स्कूल बंद होने का मैसेज डाला
आयुष की हत्या के बाद प्रिंसिपल ने तीनों के साथ मिलकर उसे ठिकाने लगाने का पूरा प्लान बना रखा था। 16 मई को आयुष की हत्या के बाद वॉट्सऐप पर पेरेंट्स के ग्रुप में 17 मई को स्कूल बंद होने का मैसेज डाला था। ताकि उसकी हत्या का राज कभी किसी के सामने ना आ पाए।
भीड़ ने स्कूल में लगाई थी आग
आयुष का शव मिलने के बाद गुस्साए लोगों ने स्कूल कैंपस में तोड़फोड़ की और बिल्डिंग में आग लगा दी थी। गुस्साए परिजन ने शव को सड़क पर रख दानापुर-गांधी मैदान मुख्य मार्ग को बाटागंज पेट्रोल पंप के पास जाम लगा दिया था। सड़क पर भी आगजनी की गई थी।
इसके बाद पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल, स्कूल संचालक (प्रिंसिपल का बेटा) और एक टीचर को गिरफ्तार किया था। तीनों ने कहा था कि आयुष खेलते वक्त गिर गया था। खून ज्यादा बहने लगा। हम डर गए और उसे गटर में फेंक दिया।
इस गिरफ्तारी के 31 दिन बाद आयुष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है। इससे साफ हो गया है कि आयुष की खेलते वक्त नहीं गिरा था। उसकी हत्या की गई। पिता अब बेटे के हत्यारों को फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं।
अब आयुष की पूरी कहानी पढ़िए…
16 मई को आयुष रोज की तरह सुबह 7 बजे स्कूल के लिए निकला था। उसके दादा-दादी उसे बस तक छोड़ने आए थे। आयुष का स्कूल 12 बजे तक ही रहता था। इसके बाद लंच होता था। वो उसी स्कूल में 1 बजे से 3 बजे तक कोचिंग पढ़ता था।
उस दिन भी 12 बजे तक सब ठीक था। आयुष की चचेरी बहन भी उसी क्लास में पढ़ती थी। उसकी माने तो उसने लंच किया। लंच के बाद उसके साथ क्या हुआ, ये किसी को नहीं पता था। 3 बजे के बाद आयुष घर लौटता था, लेकिन उस दिन नहीं लौटा।
साढ़े 3 बजे स्कूल से पिता को फोन आया कि आपका बच्चा नहीं मिल रहा है। बस के ड्राइवर ने कहा कि मैंने स्कूल में छोड़ा है। प्रिसिंपल ने परिवार के सामने CCTV खोलकर रख दिया। जिसमें 10 मिनट का फुटेज गायब मिला।
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