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राजस्थान में प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकार देगी दवाइयां और इम्प्लांट निर्धारित कीमत से ज्यादा रुपए का मरीज को करना होगा भुगतान, भर्ती करने के नियम भी बदले

राजस्थान में प्राइवेट हॉस्पिटल में महंगी दवाइयां और इम्प्लांट अब सरकार के जरिए उपलब्ध करवाए जाएंगे। अगर कोई दवाई या इम्प्लांट उपलब्ध नहीं होती है। उसे बाजार से लाकर मरीज को दिया जाता है। निर्धारित रेट से ज्यादा कीमत पर आए सामान का अतिरिक्त चार्ज लाभार्थी खुद की जेब से भरेगा। अभी तक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को महंगी दवाइयां और इम्प्लांट हॉस्पिटल ही उपलब्ध करवाता है। उसका बिल बनाकर इंश्योरेंस कंपनी को भेजकर क्लेम उठाते थे।

दरअसल, वित्त विभाग की ओर से राजस्थान हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम (आरजीएचएस) के तहत लाभार्थियों के लिए नए संशोधित नियम जारी किए गए हैं। दरअसल, कई इम्प्लांट बाजार में सीधे उपलब्ध नहीं होते और न ही उनकी दरें निर्धारित है। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक अपनी मर्जी से बाजार से इन्हें लाकर मरीज को लगाते हैं। मनमर्जी से दरें वसूलते है। इसे देखते हुए सरकार ने अब इन इम्प्लांट और महंगी दवाइयों को अपने स्तर पर उपलब्ध करवाने या उनकी दरें निर्धारित करने का फैसला किया है।

ये होगा फायदा

सीमित रेट पर अच्छी क्वालिटी की दवाइयां और इम्प्लांट लोगों को उपलब्ध हो सकेंगे। अभी कई प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक अपना मुनाफा कमाने के लिए बाजार से सस्ती दरों पर दवाइयां और इम्प्लांट लाकर मरीज काे देते है। उनका बिल ज्यादा लगाकर उठाते हैं। ये नियम हेल्थ बेनिफिट एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिश के बाद जारी किए हैं। इसमें ओपीडी में दिखाने के लिए आने वाले मरीजों के लिए भी नियमों में बदलाव किया है।

एक माह में 6 बार से ज्यादा नहीं दिखा सकेंगे ओपीडी में
इस स्कीम के तहत मरीजों को ओपीडी में दिखाने की संख्या को भी सीमित कर दिया है। इस स्कीम के तहत एक लाभार्थी एक महीने में अधिकतम 6 बार ही ओपीडी में जाकर दिखा सकता है। फिर वह चाहे एक ही दिन में दिखाए या अलग-अलग दिन। हालांकि इस बीच जो जांच एक बार मरीज से करवा ली। उसे 15 दिन के अंदर दूसरी बार रिपिट नहीं करवा सकेंगे।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या बोर्ड से मिलेगी अनुमति

अगर कोई प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक किसी मरीज को 5 दिन से ज्यादा समय तक भर्ती रखता है तो उसे सस्वीकृति लेनी होगी। इसके तहत अगर कोई मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती है तो उसे जिले के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या कॉलेज के बनाए मेडिकल बोर्ड अथवा जहां मेडिकल कॉलेज संचालित नहीं है। वहां के पीएमओ से अनुमति लेकर अधिकतम 12 दिन तक और भर्ती करके इलाज किया जा सकता है।

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