देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने विधानसभा में आश्वस्त किया कि इस वर्ष की बजट घोषणा के क्रम में बीजासन माता मंदिर में रोप वे निर्माण के लिए शीघ्र ही डीपीआर बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इसकी क्रियान्विति के लिए जिला कलेक्टर एवं सम्बंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।
कुमावत प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि विधान सभा क्षेत्र केशोरायपाटन में स्थित श्री केशवरायजी के.पाटन मंदिर, राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर है। इस मंदिर के अधीन 399.1 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिससे विगत पांच वर्षों में 8 लाख 13 हजार 500 रूपये की आय प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि यह आय देवस्थान विभाग के माध्यम से राज्यकोष में जमा होती है। केशोरायपाटन में स्थित अन्य मंदिर श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर का संचालन प्रन्यास के द्वारा किया जाता है एवं मंदिर से प्राप्त होने वाली आय प्रन्यास के कोष में ही जमा होती है।
इससे पहले विधायक चुन्नीलाल सी.एल.प्रेमी बैरवा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में देवस्थान मंत्री ने सदन को अवगत कराया कि विधान सभा क्षेत्र केशोरायपाटन में कुल 2 मंदिर राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर केशवरायजी के.पाटन एवं राजकीय आत्म निर्भर मन्दिर - राधा दामोदर जी के.पाटन देवस्थान विभाग द्वारा प्रबंधित एवं नियंत्रित हैं। उन्होंने विगत 5 वर्षों में वर्णित मंदिर से हुई आय का विवरण सदन के पटल पर रखा।
उन्होंने बताया कि राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर केशवरायजी के.पाटन में बजट घोषणा संख्या 69 वर्ष 2017-18 की क्रियान्विति के क्रम में 23 मई 2017 को पत्र क्रमांक प.4(4)देव/2017 के द्वारा 546.75 लाख की स्वीकृति जारी की गई। इस स्वीकृति के क्रम में वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 29 जुलाई 2020 को पत्र क्रमांक प.4(2)देव/2020 के द्वारा कार्यकारी एजेन्सी निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को कार्य करने के लिए 150 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है।
कुमावत ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-2024 में बजट घोषणा संख्या 397 के तहत राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर श्री केशवरायजी के.पाटन एवं राजकीय आत्म निर्भर मन्दिर राधा दामोदर जी के.पाटन के लिए दोनों मंदिरों में पोशाक, रंग-रोगन एवं मरम्मत हेतु राशि एक-एक लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया गया है।
उन्होंने जानकारी दी कि मंदिर केशवरायजी की 399.1 हेक्टेयर भूमि है, जिसका विवरण परिशिष्ट उन्होंने सदन के पटल पर रखा। मन्दिर राधा दामोदर जी के नाम से कोई भूमि दर्ज नहीं है।
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