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बैंक ने उठाया युवक का कारावास में रहने-खाने का खर्च 8 साल पहले लिया था 10 लाख का लोन, नहीं चुकाने पर 10 दिन की सजा

बीकानेर में लोन के 10 लाख रुपए(जो बढ़कर 11.76 लाख हो गए थे) का लोन नहीं चुकाने पर कोर्ट ने एक कर्जदार को सिविल कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक वह रुपए नहीं चुकाता है, कारावास में ही रहेगा।

कोर्ट ने आदेश में ये भी लिखा कि कारावास में रहने के दौरान उसके खाने-पीने से लेकर अन्य खर्च का वहन बैंक को ही करना होगा। कोर्ट ने बैंक को कारावास के नियमानुसार 69 रुपए के हिसाब से 7 दिन के रुपए जमा कराने के लिए कहा था।

कोर्ट ने आदेश में ये भी कहा कि जब भी अगर लोन के रुपए जमा करा दिए जाते हैं तो उसे बिना कोई देरी किए कारावास से रिहा कर दिया जाएगा।

कारावास पहुंचने के बाद परिवार ने बैंक से सेटलमेंट कर रुपए जमा करा दिए तो उसे चार दिन पहले कारावास से रिहा कर दिया गया था। युवक 10 दिन कारावास में रहा था। इसके दैनिक खर्च के रुपए बैंक ने ही जमा कराए थे।

8 साल पहले 10 लाख का मुद्रा लोन लिया
एडवोकेट अनिल सोनी ने बताया कि पेमाराम भादू नोखा बीकानेर का रहने वाला है। पेमाराम की पंक्चर की दुकान थी। उन्होंने टायर का बड़ा शोरूम खोलने के लिए मुद्रा लोन के लिए एसबीआई में आवेदन किया था।

बैंक ने 9 अगस्त 2016 को प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर 10 लाख रुपए का मुद्रा लोन दे दिया। लोन के पैसों से पेमाराम ने नागौर रोड पर मोटर मार्केट में भादू टायर्स के नाम से बिजनेस (टायर का) शुरू कर दिया था।

कुछ समय तक पेमाराम ने किस्तें चुकाईं। बाद में किस्तें समय पर मिलनी बंद हो गईं। पेमाराम के वकील अनिल सोनी ने बताया कि कोरोनाकाल में काफी नुकसान हुआ था।

पेमाराम को टायर का काम बंद करना पड़ा और वह बैंक में मुद्रा लोन की किस्तें जमा नहीं करा पा रहा था।

2022 में एसबीआई ने रिकवरी के लिए कोर्ट की शरण ली
एसबीआई ने 10 मई 2022 में बीकानेर की वाणिज्यिक कोर्ट में मुद्रा लोन की रिकवरी के लिए याचिका पेश की थी। बैंक ने कोर्ट को बताया था कि उनके पेमाराम पर 11 लाख 76 हजार रुपए बकाया हैं।

कई बार नोटिस और मीटिंग के बाद भी रुपए नहीं जमा हो रहे है। पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए भी पेमाराम को सेटलमेंट के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन नोटिस के बावजूद वह नहीं पहुंचा।

कोर्ट के फैसले के बाद भी जमा नहीं कराए रुपए
बैंक ने लोन रिकवरी के लिए कोर्ट में 70 हजार 970 रुपए स्टांप शुल्क के जमा कराए थे। इसके बाद कोर्ट में याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी। बैंक ने स्टांप शुल्क के 70970 रुपए और मुद्रा लोन के बकाया 1176742 रुपए दिलाने का दावा किया।

लोन रिकवरी की याचिका के बाद कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। नोटिस के बाद भी पेमाराम एक बार भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने बैंक की ओर से सुनवाई के बाद 18 मई 2023 को 11 लाख 76 हजार 742 रुपए जमा कराने का फैसला सुनाया।

कोर्ट के फैसले के बाद भी पेमाराम ने रुपए जमा नहीं कराए। वो कोर्ट में उपस्थित भी नहीं हुआ और न ही कोर्ट में लोन माफी या फिर राहत के लिए याचिका पेश की।

लोन के रुपए नहीं मिलने पर बैंक ने रिकवरी के लिए 11 लाख 76 हजार 742 रुपए, ब्याज के 4 लाख 66 हजार 860 रुपए और कानूनी कार्यवाही के खर्च को मिलाकर करीब 17 लाख 16 हजार 833 रुपए दिलाने का दोबारा से दावा पेश किया।

पेमाराम की संपत्ति की डिटेल भी कोर्ट को दी ताकि कुर्क की कार्रवाई कर रुपए दिलवाए जा सकें। कोर्ट ने बैंक की याचिका पर 17 लाख की रिकवरी का फैसला सुना दिया।

रुपए नहीं चुकाने पर कोर्ट ने सुनाई सजा
इसके बाद भी पेमाराम ने रुपए जमा नहीं कराए। इस पर कोर्ट ने 18 जुलाई 2024 को आदेश दिया कि पुलिस 25 जुलाई को पेमाराम को पकड़कर बीकानेर वाणिज्यिक कोर्ट में पेश करे।

अगर वह 25 जुलाई से पहले रुपए दे देता है तो उसे कोर्ट नहीं लाया जाए। इसके बावजूद पेमाराम ने रुपए जमा नहीं कराए। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने रुपए लेनदेन के बारे में पूछा तो उसने रुपए नहीं होने की बात कहीं।

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जब तक पेमाराम रुपए नहीं चुका देता है, तब तक उसे सिविल कारावास की सजा दी जाती है। अगर कोर्ट या फिर अन्य जगह पर सिविल कारावास नहीं है तो उसे केंद्रीय कारागृह में सिविल कारावास के लिए भेजा जाए।

10 दिन कारावास में रहा
कोर्ट ने सिविल कारावास में पेमाराम को रखने के दैनिक खर्च के लिए 50 रुपए रोज के हिसाब से बैंक को पैसे जमा कराने के आदेश दिए। बाद में दैनिक खर्च ज्यादा होने का पता चलने पर ये राशि बढ़ाकर 69 रुपए कर दी गई।

साथ ही आदेश में कहा कि जिस दिन भी पेमाराम रुपए जमा करा देता है उसे कारावास से रिहा कर दिया जाए।

पेमाराम को केंद्रीय कारागृह के सिविल कारावास में भेजा गया। करीब 10 दिन तक वह सिविल कारावास में रहा। पेमाराम के परिवार से बैंक मैनेजर से रुपए के लेनदेन को लेकर बात की। रुपए जमा कराने के बाद बैंक ने एनओसी जारी कर दी। इसके बाद पेमाराम को रिहा कर दिया गया।

लोन का सेटलमेंट किया
एसबीआई के मैनेजर राजेंद्र बिजारणियां का कहना है कि पेमाराम भादू ने 10 लाख रुपए का मुद्रा लोन लिया था। वह बीच-बीच में ब्याज जमा करवा रहे थे। मूल रुपए लंबे समय से बकाया चल रहे थे। अब उनसे बैंक का 10 लाख रुपए में सेटलमेंट हो चुका है। पेमाराम 10 दिन कारावास में रहे थे। उनके दैनिक खर्च के 690 रुपए बैंक ने ही जमा कराए थे।

नियम : सिविल कारावास में सजा दिलाने वालों को देना पड़ता है खर्च
सीनियर एडवाेकेट अनिल सोनी ने बताया कि 25 जुलाई को कोर्ट के सिविल कारावास भेजने के फैसले के बाद उनके पास फाइल आई थी। इससे पहले 2022 से ही बैंक की ओर से ही कोर्ट में दावे पेश किए जा रहे थे। पेमाराम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार भी पेश नहीं हुए थे। कोर्ट ने एक तरफा ही बैंक की याचिका पर फैसला सुनाया था। सिविल कारावास में किसी तरह का कोई काम नहीं करवाया जाता है। उन्हें आम अपराधियों से बिल्कुल अलग रखा जाता है। साथ ही दैनिक खर्च भी सजा दिलाने वाले को देना पड़ता है।

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