नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलिंपिक के जेवलिन थ्रो इवेंट में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। 26 साल के नीरज ने 89.45 मीटर दूर भाला फेंका और दूसरा स्थान हासिल किया। इसी के साथ नीरज लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले भारत के तीसरे ही प्लेयर बने। नीरज से पहले रेसलर सुशील कुमार और शटलर पीवी सिंधु ने लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीते थे।
पाकिस्तान के अरशद नदीम ने जेवलिन थ्रो के नए ओलिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 92.97 मीटर दूर भाला फेंका। अरशद के 2 थ्रो 90 मीटर से ज्यादा के रहे। ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने 88.54 मीटर दूर भाला फेंक कर ब्रॉन्ज मेडल जीता। नीरज की उपलब्धि पर PM नरेंद्र मोदी ने कहा- 'नीरज एक्सिलेंस के उदाहरण हैं। उन्होंने बार-बार अपनी प्रतिभा दिखाई है।' नीरज की मां बोलीं- 'हमारे लिए सिल्वर ही गोल्ड जैसा, जिसने गोल्ड जीता वह भी मेरा बेटा ही है।' पिता बोले- 'इंजरी की वजह से परेशानी हुई, नीरज का मेडल विनेश के जज्बे को समर्पित।'
जेवलिन की शुरुआत 12 साल की उम्र में
नीरज ने जेवलिन थ्रो की शुरुआत 2010 में 12 साल की उम्र में की। SAI पानीपत में अक्षय चौधरी नीरज के पहले कोच बने थे। अक्षय इस बात से बहुत प्रभावित थे कि नीरज इतनी कम उम्र में बिना किसी ट्रेनिंग के 40 मीटर दूर जेवलिन फेंक लेते थे। चौधरी ने करीब 1 साल तक नीरज को ट्रेनिंग दी। इसके बाद वे ताउ देवीलाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पंचकुला चले गए।
पंचकुला में नसीम अहमद ने नीरज को कोचिंग दी। उन्होंने नीरज को जेवलिन के साथ-साथ लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग की ट्रेनिंग भी, ताकि उनके अंदर और भी ज्यादा स्टैमिना और एंड्योरेंस डेवलप हो।
पंचकुला में नीरज ने तीन बार के ओलिंपिक चैंपियन चेकोस्लोवाकिया के जान जेलेनी के वीडियो देखना शुरू किए। उनकी स्टाइल की कॉपी भी की। इससे पहले वे नियमित तौर पर 55 मीटर थ्रो करते थे। इसके बाद उन्होंने 10 मीटर से ज्यादा का इजाफा किया। 2012 में नीरज ने लखनऊ में 68.40 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड जीता।
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