आज विश्व आदिवासी दिवस है। इसे लेकर दौसा के नांगल मीणा हाईकोर्ट परिसर में भव्य आयोजन में हजारों लोग जुटेंगे। यहां दौसा-लालसोट हाईवे पर नांगल प्यारीवास गांव में आदिवासी संस्कृति की अनमोल ग्रीन धरोहर मीणा हाईकोर्ट का भवन कैंपस 3 बीघा से ज्यादा एरिया में है। यहां 70 प्रकार के 20 हजार से ज्यादा पौधों से हरियाली क्षेत्र विकसित किया है। वहीं 2-2 करोड़ की लागत से लाल पत्थर से निर्मित हेरिटेज लुक में पंच अथाई व न्याय द्वार भी आकर्षक बनाए हैं।
जल, जंगल, जमीन के रक्षक और प्रकृति व वन्यजीव प्रेमी आदिवासी समुदाय का दौसा जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर गांव नांगल प्यारीवास में मीणा हाईकोर्ट है। यह आदिवासी संस्कृति की अनमोल धरोहर के साथ ही सर्व समाज का अनूठा न्याय मंच भी माना जाता है। यह धरोहर राष्ट्र पटल पर दौसा ही नहीं, पूरे प्रदेश का ऐतिहासिक स्थल है। इसके नामकरण की कहानी 16 जुलाई 1993 के चूडियावास प्रकरण से जुड़ी है।
यह था चूड़ियावास प्रकरण
मीणा हाईकोर्ट नामकरण की कहानी 16 जुलाई 1993 को हुए चूडियावास प्रकरण से जुड़ी है। इलाके की एक विवाहिता ने अपनी मां व मां के प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर शव खेत में फिंकवा दिया था। पुलिस ने मामले पर एफआर लगा दी।
इससे आक्रोशित समाज की खाप पंचायत ने आरोपियों को सजा सुना दी। यह सजा बेहद अमानवीय व असंवैधानिक थी। इस पर पुलिस ने 24 अगस्त को खाप के पंच-पटेलों को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में दौसा न्यायालय से उनकी जमानत खारिज हो गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी आ चुके यहां
वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैली के दौरान नगाडा बजाकर 2 करोड़ की लागत से बनीं पंच अथाई का लोकार्पण किया था। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 2022 को यहां रात्रि विश्राम कर इस धरोहर का दीदार कर चुके हैं।
मीन की कलाकृति व एनिकट का नाम भी मत्स्य सरोवर
न्याय द्वार पर मीन की कलाकृति व एनिकट का नाम भी मत्स्य सरोवर यहां मीणा आदिवासी संस्कृति की प्रारंभ में ही परिचायक हैं। समाज ने मजलूमों का मुलाजिम व प्रकृति प्रेमी होने के नाते डॉ.किरोड़ी लाल मीणा को इस ऐतिहासिक धरोहर का संयोजक बनाया है। यही वजह है कि मुख्यद्वार पर डॉ.किरोड़ी लाल की टाइल्स तस्वीर लगाई गई है।
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