महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में एक साथ विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. चुनाव आयोग इस संबंध में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा. चुनाव आयोग शुक्रवार दोपहर विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करेगा. दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए मीडिया को दिए गए चुनाव आयोग के निमंत्रण में उन राज्यों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिनके लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी.
हरियाणा और महाराष्ट्र की विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: 3 नवंबर और 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है. चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 30 सितंबर से पहले कराने की भी योजना बनाई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई समयसीमा है. रिपोर्ट के मुताबिक ओयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव तैयारियों की समीक्षा कर ली है.
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में अगले छह महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभाओं का कार्यकाल नवंबर में और झारखंड का अगले साल जनवरी में समाप्त हो रहा है. केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से 30 सितंबर, 2024 की समयसीमा तय किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. जम्मू-कश्मीर में 2018 से ही निर्वाचित सदन नहीं है.
अतीत में चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में एक साथ विधानसभा चुनाव कराए थे. झारखंड में अलग-अलग चुनाव हुए थे. हालांकि, इस बार चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में पहले और महाराष्ट्र और झारखंड में बाद में चुनाव करा सकता है.
रिपोर्ट में चुनाव आयोग के जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के हालिया दौरों का हवाला दिया गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और दो चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एस एस संधू 8-9 अगस्त को हितधारकों से मिलने और चुनाव तैयारियों का आकलन करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर में थे. इसी उद्देश्य से टीम 12-13 अगस्त को हरियाणा में थी.
जानकारी के मुताबिक हरियाणा में वर्तमान में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. यहां पर 2019 में पिछले विधानसभा चुनाव हुए थे. वहीं, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर 2019 को वोटिंग हुई थी. बात झारखंड की करें तो 81 विधानसभा सीटों पर पिछली बार 2019 में मत डाले गए थे. सबसे महत्वपूर्ण बात जम्मू-कश्मीर की बात की जाए तो यहां आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. वहीं, आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार चुनाव होंगे.
जम्मू-कश्मीर में पहले 87 विधानसभा सीटें थीं. इनमें से 37 जम्मू में, 46 कश्मीर घाटी में और लद्दाख में 6 सीटें थीं, लेकिन परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है. जिनमें 43 सीटें जम्मू और तकरीबन 47 सीटें कश्मीर में हैं.
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