साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट कर लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे. साथ ही वारदात के दौरान शातिर पीड़ित के सभी कम्युनिकेशन डिवाइस को कंट्रोल कर लेते हैं और फिर अपनी मर्जी से ट्रांजेक्शन करवाते हैं. वहीं, जयपुर के बाद अब जोधपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है. इस बार शातिर ठगों ने जोधपुर आईआईटी की एक प्रोफेसर को अपना निशाना बनाया और 10 दिनों तक माइंड वॉश कर उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा.
इस दौरान पीड़ित असिस्टेंट प्रोफेसर से कहा गया कि वो मनी लॉन्ड्रिंग के केस में सस्पेक्ट हैं, जो स्टेट लिए घातक है. इसलिए उन्हें सर्विलांस पर रहना होगा. वहीं, वो ऐसा नहीं करती हैं तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बदमाशों ने चेक से आरटीजीएस करवा कर उनके खाते से 23 लाख से ज्यादा रुपए ट्रांसफर भी करवा लिए. करवड थाना अधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि प्रोफेसर की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
पार्सल में एमडी और पासपोर्ट बताकर धमकाया
बदमाशों ने 1 अगस्त को अलग-अलग नंबर से कई कॉल किए. प्रोफेसर से कहा कि उनका एक पार्सल मुंबई में आया हुआ है, जिसमें नशे की सामग्री एमडी मिली है. साथ में कई पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड भी है. आप इसकी रिपोर्ट मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में करवा दें. इसके बाद बदमाश ने खुद ही प्रोफेसर का फोन क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर किया, जहां से बताया गया कि आप मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंस गई है. इसलिए सहयोग करें अन्यथा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जायेगा
10 दिन मोबाइल का कंट्रोल रखा, कैमरा भी रखा ऑन
खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का पुलिसकर्मी बताकर बदमाश ने प्रोफेसर को लगातार सर्विलांस पर रखने की बात कही. इसके बाद प्रोफेसर का मोबाइल कंट्रोल ले लिया. कैमरा ऑन रखा. स्क्रीन शेयर कर लिए गए. प्रोफेसर किसी से कांटेक्ट नहीं कर सकी. उनका लैपटॉप भी skype से कर दिया. इतना ही नहीं, ऑनलाइन रिपोर्ट भी ले ली गई. उसके अगले दिन किसी व्यक्ति ने खुद को डीसीपी बताते हुए अरेस्ट करने की धमकी दी.
चेक बुक मंगवाकर करवाया RTGS
लगातार दस दिन सर्विलांस पर रखने के बाद फाइनेंशियल वेरिफिकेशन की बात की गई, जिसमें सभी खातों और फंड्स से रुपए एक जगह लेने का प्रयास होता है. लेकिन नेट बैंकिंग से नहीं होता है. इसके बाद नई चेक बुक इश्यू करवाते हैं. 12 अगस्त को उससे यस बैंक के एक खाते में चेक से आरटीजीएस के मार्फत 11 लाख 97 हजार रुपए ट्रांसफर करवाते हैं. इसके बाद संपर्क टूट जाता है. तब प्रोफेसर को पता चलता है कि उसके साथ फ्रॉड हुआ है. जोधपुर साइबर थाने में सूचना देने पर उसका अकाउंट होल्ड किया गया. इसके बाद प्रोफेसर ने करवड थाने में रिपोर्ट दी, जिस पर मामला दर्ज किया गया है.
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