राजस्थान में 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इस बीच आज हम आपको दक्षिणी राजस्थान की दो विधानसभा सीटों का लेखाजोखा बताएंगे, जहां भाजपा-कांग्रेस के लिए यह दोनों सीटें काफी मायने रखती हैं. मेवाड़ की सलूंबर विधानसभा सीट और वागड़ की चौरासी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं.
बता दें कि सलूंबर विधानसभा सीट विधायक अमृतलाल मीणा का निधन होने पर उपचुनाव हो रहा है, जबकि चौरासी विधानसभा से विधायक रहे राजकुमार रोत के बांसवाड़ा सांसद बनने पर उपचुनाव हो रहा है. ये दोनों सीटें भाजपा और कांग्रेस के लिए सिर दर्द बनती नजर आ रही हैं. यहां जानिए इसके पीछे की कहानी.
बांसवाड़ा की चौरासी विधानसभा सीट
चौरासी विधानसभा क्षेत्र में इस बार उपचुनाव में भारत आदिवासी पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है. राजकुमार रोत 2 बार यहां से विधायक रह चुके हैं. आदिवासी वोट बीएपी में जाने के बाद से पार्टी मजबूत हुई है. उपचुनाव में बीएपी के प्रदेश संयोजक पोपट खोखरिया को टिकिट मिल सकता है. इसके अलावा बीएपी से जुड़े अनिल और दिनेश को भी मौका मिल सकता है.
इसके अलावा 2 बार से हार रही बीजेपी और कांग्रेस इस सीट को फिर से अपने कब्जे में लेने का प्रयास कर रही है. हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस, बीएपी के साथ गठबंधन की संभावना बन रही है. गठबंधन की स्थिति में ये सीट बीएपी अपने पास ही रखने का प्रयास करेगी. वहीं, गठबन्धन नहीं होने पर कांग्रेस यहां से पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को फिर से मैदान में उतार सकती है. इसके अलावा भगोरा के परिवार से ही रूपचंद भगोरा या निमिषा भगोरा को भी मौका मिल सकता है. वहीं, बीजेपी से पूर्व मंत्री सुशील कटारा के साथ सीमलवाड़ा के पूर्व प्रधान नानूराम परमार या चिखली क्षेत्र से पूर्व प्रधान महेंद्र बरजोड़ को टिकिट दे सकती है.
भाजपा-कांग्रेस की बढ़ी मुश्किल
चौरासी विधानसभा विधानसभा सीट न सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा के लिए भी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि यहां पर तीसरी पार्टी बीटीपी ने अपने पांव पसार रखे हैं. लोकसभा चुनाव में भी जहां भाजपा को यहां से करारी शिकस्त मिली तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भले ही बीटीपी पार्टी से गठबंधन किया हो, लेकिन उनका भी वोट परसेंट काम होता हुआ नजर आया था. हालांकि, इससे पहले की विधानसभा के उपचुनाव में ही बीटीपी पार्टी ने ही कब्जा जमाया था. ऐसे में दक्षिणी राजस्थान की विधानसभा सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस अलग-अलग रणनीति भी बना रही हैं.
सलूंबर विधानसभा सीट
मेवाड़ की सलूंबर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक अमृतलाल मीणा के निधन होने पर यहां उप चुनाव होगा. राजनीतिक विश्लेषक डॉ कुंजन आचार्य ने बताया कि इस विधानसभा सीट से भाजपा सहानुभूति के तौर पर अमृतलाल मीणा के परिवार को टिकट दे सकती है, क्योंकि राजस्थान में देखा जा सकता है कि सहानुभूति लहर का फायदा देखने को मिला है. भाजपा इसी लहर के दम पर सलूंबर के चुनावी समर में उतरी है तो दिवंगत विधायक अमृतलाल की पत्नी शांता देवी, उनकी बेटी प्रियंका मीणा या बेटा अविनाश मीणा में से किसी एक को टिकट देगी.
इनके अलावा भी कई दावेदार
हालांकि, इनके अलावा भी सलूंबर विधानसभा सीट दावेदार हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य के मुताबिक इससे पहले की विधानसभा उपचुनाव को देख तो मेवाड़ मे वल्लभनगर विधानसभा सीट विधायक गजेंद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने उनकी पत्नी प्रीति शक्तावत और राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी के देहांत के बाद भाजपा ने उनकी बेटी दीप्ति को टिकट दिया और दोनों ही जीतीं. हालांकि, 2021 के उपचुनाव में एक अपवाद यह भी रहा कि धरियावद से विधायक गौतमलाल मीणा के देहावसान के बाद भाजपा ने उनके बेटे कन्हैयालाल को टिकट नहीं दिया और भाजपा को हार का सामना पड़ा था.
सलूंबर में बीटीपी के बढ़ते कदम भाजपा के लिए चिंता जनक है, क्योंकि भाजपा पिछले तीन बार से लगातार अमृतलाल मीणा के चेहरे पर चुनाव जीतती आई है. ऐसा मजबूत उम्मीदवार फिलहाल भाजपा के पास दिखाई नहीं देता. वहीं, कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेता रघुवीर मीणा पर फिर से दाव लगा सकती है. हालांकि, मीणा इस बार भी विधानसभा चुनाव को हार का सामना करना पड़ा था. दिवंगत विधायक अमृतलाल की पत्नी शांता देवी अभी सेमारी से सरपंच हैं.
सलूंबर भाजपा का गढ़
सूलंबर विधानसभा सीट पर साल 1990 के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस सिर्फ दो बार ही जीत दर्ज कर पाई. भाजपा बड़े वोटों के मार्जिन से जीतती रही है. अब उपचुनाव में अपनी पारंपरिक सीट बचाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है. वहीं, इस बार भाजपा को सलूंबर सीट को जीतने की चुनौती रहेगी, क्योंकि यहां भारत आदिवासी पार्टी (BAP) का दबदबा बढ़ता जा रहा है.
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