बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में अजमेर दोपहर तक बंद रखा गया. सकल हिंदू समाज ने मौन जुलूस निकालकर विरोध किया. वहीं अजमेर में विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू की सलामती के लिए दुआएं की गई. अंजुमन सैयद जादगान कमेटी की ओर से सैयद गुलाम किबरिया के नेतृत्व में खादिम समुदाय ने सामूहिक दुआ का कार्यक्रम रखा.
कार्यक्रम में अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष सैयद गुलाम किबरिया ने खादिम समुदाय की ओर से बांग्लादेश के हिंदुओं और अल्पसंख्यक समाज के लोगों की हिफाजत और अमन-चैन कायम होने की दुआ की. दरगाह में खादिम सैयद अफशान चिश्ती ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन अल्पसंख्यक हैं. जहां बहुसंख्यकों में शामिल फिरके की ओर से उन पर अत्याचार किया जा रहा है, जो निंदनीय है.
उन्होंने कहा कि हम भारत के मुसलमान से अपील करते हैं कि वह भी बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए खड़े हों एवं उनकी सलामती के लिए आवाज उठाएं और दुआ करें. कार्यक्रम में चिश्ती फाउंडेशन के संस्थापक सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाएं, अमन और भाईचारे को बढ़ाने का काम करती हैं. ख्वाजा गरीब नवाज के दर से हम सभी बांग्लादेश में जो दरगाहे हैं, उनसे भी गुजारिश करते हैं कि वह भी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार का खुलकर विरोध करें और पीड़ित अल्पसंख्यकों का समर्थन करें.
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