आज गुरु पूर्णिमा है। पाली शहर के नाड़ी मोहल्ला में आज चिड़िया बाबू के आवास पर उनके पैर छूने वाले शिष्यों की कतार लगी है। पेशे से सब्जी मंडी व्यापारी चिड़िया बाबू का जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है। उन्हें बास्केटबॉल का शौक था। अच्छे खिलाड़ी थे लेकिन कम हाइट की वजह से नेशनल प्लेयर नहीं बन सके। सपना अधूरा रहा तो कोच बन गए। 50 साल से वे बास्केटबॉल की फ्री कोचिंग दे रहे हैं। अब तक 4 इंटरनेशनल और 150 नेशनल प्लेयर तैयार कर चुके हैं।
शहर के नाड़ी मोहल्ला में रहने वाले 64 साल के नजर मोहम्मद उर्फ चिड़िया बाबू की पहचान बास्केटबॉल खिलाड़ी और गुरुजी के नाम से है। इस खेल की फ्री कोचिंग देकर वे सैकड़ों इंटरनेशनल, नेशनल और स्टेट प्लेयर तैयार कर चुके हैं। 70 खिलाड़ी इस खेल के दम पर सरकारी नौकरी पा चुके हैं।
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करीब 50 साल से दे रहे निशुल्क ट्रेनिंग
चिड़िया बाबू ने बताया- पेशे से मैं सब्जी मंडी व्यापारी हूं। बास्केटबॉल का जुनून बचपन से था। सुबह शाम बांगड़ स्कूल ग्राउंड के कोर्ट पर रहता था। टारगेट यही था कि पाली कोई खिलाड़ी निकले और नेशनल गेम खेले।
यही सोचकर बांगड़ स्कूल के बास्केटबॉल ग्राउंड में खिलाड़ियों को फ्री ट्रेनिंग देना शुरू किया। 1974 में फ्री ट्रेनिंग देना शुरू किया था, आज 50 साल बाद भी यह काम जारी है।
खिलाड़ियों की मदद के लिए भी तैयार
चिड़िया बाबू के शिष्य भवानी बालवंशी ने बताया- चिड़िया बाबू खिलाड़ियों की आर्थिक मदद के लिए भी तैयार रहते है। कई मौके आए जब उन्होंने खिलाड़ियों को जूते खरीदकर दिए। टूर पर जाने वाले कई गरीब खिलाड़ियों का खर्च उठाया।
पाली से दिए 4 इंटरनेशनल, 150 नेशनल टीम प्लेयर
चिड़िया बाबू ने बताया- मेहनत बेकार नहीं गई। जो सोचा था वो पाया। पाली के खिलाड़ी बास्केटबॉल की इंटर नेशनल भी खेलकर आए। हनुमान सिंह बेस, नीरज काला, विनोद मेवाड़ा, हर्षवर्धन टांक ऐसे ही नेशनल प्लेयर हैं। इन सभी को सरकारी नौकरी भी मिली। कुल मिलाकर करीब 70 खिलाड़ी तो सरकारी जॉब में हैं।
इन चारों के अलावा कोचिंग लेकर 150 खिलाड़ी नेशनल तक खेल चुके हैं। स्टेट लेवल पर खेलने वाले पाली के खिलाड़ियों की संख्या तो सैकड़ों में है।
2015 में आया हार्ट अटैक, फिर भी ग्राउंड में लौटे
चिड़िया बाबू के बेटे मोहम्मद जाहिद ने बताया- जून 2015 में पापा को हार्ट अटैक आया। बाइपास सर्जरी हुई। डॉक्टर ने घर से निकलने और फिजिकल एक्टिविटी कम करने की सलाह दी। लेकिन वे 3 महीने बाद ही ग्राउंड पर लौट गए।
बोले कि घर में बैठा रहा तो मर जाऊंगा। ग्राउंड में जाऊंगा तो कुछ और खिलाड़ी तैयार करूंगा। तब से वे आज तक खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
पाली को स्थायी कोच, इंडोर ग्राउंड मिलने का सपना
चिड़िया बाबू ने बताया- अब तबीयत ठीक नहीं रहती। ग्राउंड में ज्यादा समय नहीं दे पाता। पाली को बास्केटबॉल का स्थायी कोच मिलना चाहिए। बास्केटबॉल का इनडोर और सिंथेटिक ग्राउंड भी बनना चाहिए। ताकि यहां से खिलाड़ी तैयार होते रहें और देश-दुनिया में नाम करते रहें।
970 में हुआ राजस्थान टीम कैंप में सिलेक्शन
चिड़िया बाबू ने बताया- 1967 में बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। 3 साल बाद 1970 में राजस्थान टीम के कैंप में सलेक्शन हो गया। बहुत खुश था। लेकिन हाइट कम (4.9 फीट) होने के कारण टीम में चयन नहीं हुआ। मैं टूट गया।
कई दिन बास्केटबॉल कोर्ट पर नहीं गया। सोचा कि अब नेशनल खेलने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। घरवालों ने संभाला। एक बार फिर मैदान पर उतरा। यह सोचकर कि खुद नेशनल प्लेयर नहीं बन सकता, लेकिन अब मैं नेशनल प्लेयर तैयार करूंगा।
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